बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एण्ड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation – BIMSTEC

यह पांच देशों का एक उप-क्षेत्रीय मंच है, जिससे आर्थिक क्षेत्र में दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के मध्य एक सेतु के रूप में कार्य करने की आशा व्यक्त की जाती है।

मुख्यालय: थाईलैण्ड (अस्थायी)।

सदस्यता: बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैण्ड, नेपाल तथा भूटान।

उत्पति एवं विकास

थाईलैण्ड ने 1994 में बांग्लादेश-भारत-श्रीलंका-थाईलैण्ड (बिम्सटेक) सहयोग समूह गठित करने की दिशा में पहल की, जिसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी से सटे दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशियाई देशों में उप-क्षेत्रीय आधार पर आर्थिक सहयोग की संभावनाओं का पता लगाना था। द्वि-पक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग के लिये कार्यरत तत्कालीन क्षेत्रीय संगठनों के पूरक के रूप में कार्य करने के उद्देश्य से 6 जून, 1997 को बैंकॉक (थाईलैण्ड) में बिम्सटेक का विधिवत् उद्घाटन हुआ। दिसम्बर 1997 में म्यांमार के प्रवेश के साथ इस मंच का नाम ‘बिम्सटेक’ हो गया। 6 फरवरी 2004 को नेपाल तथा भूटान को भी बिम्सटेक में शामिल कर लिया गया । अतः इस संगठन के कुल 7 राष्ट्र सदस्य हो गए हैं।

उद्देश्य

बिम्सटेक के प्रमुख लक्ष्य हैं- व्यापार, निवेश, उद्योग, तकनीक, मानव संसाधन विकास, पर्यटन, कृषि, ऊर्जा, मूल आर्थिक ढांचा और परिवहन के क्षेत्र में विशिष्ट सहयोगी परियोजनाओं की पहचान और करना।


गतिविधियां

बिम्सटेक देशों के आर्थिक/व्यापार मंत्रियों की पहली बैठक अगस्त 1998 में बैंकॉक में हुई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि बिम्सटेक को एक मुक्त व्यापार व्यवस्था में विकसित होने का प्रयास करना चाहिए तथा इसे ऐसी गतिविधियों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, जो सदस्य देशों के मध्य व्यापार को सरल कर सकें, निवेश की मात्रा में वृद्धि करें तथा तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहन दें। सदस्यों ने इस बात की दुहराया कि बिम्सटेक की गतिविधियां ऐसी होनी चाहिये जिनसे कि वह आसियान और सार्क के मध्य एक सेतु के रूप में कार्य करने में सक्षम हो सके। सहयोग के लिए 6 क्षेत्रों की पहचान की गयी- व्यापार एवं निवेश, तकनीक, परिवहन और संचार, उर्जा, पर्यटन तथा मत्स्यपालन।

नवम्बर 1999 में ढाका (बांग्लादेश) में बिम्सटेक व्यापार और निवेश क्षेत्रीय समिति की बैठक हुई, जिसमें व्यापार एवं निवेश के क्षेत्र के अधीन चालू परियोजनाओं की गतिविधियों की समीक्षा की गई।

फरवरी 2001 में आयोजित बिम्सटेक आर्थिक/व्यापार मंत्रियों की तृतीय बैठक में व्यापार उदारीकरण और सरलीकरण उपायों पर विचार किया गया।

बिम्सटेक एस्केप (ईएससीएपी) तथा एशियाई विकास बैंक के बीच सक्रिय समन्वय स्थापित करता है। एस्कैप उन विशिष्ट परियोजनाओं की व्यावहारिकता का अध्ययन करता है, जो उप-क्षेत्रीय आधार पर शुरू की जा सकें।

सात देशों के संगठन बिम्सटेक (बीआईएमएसटीईसी-बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैण्ड, इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) का पहला शिखर सम्मेलन थाईलैण्ड की राजधानी बैंकॉक में 30-31 जुलाई, 2004 को संपन्न हुआ। नेपाल व भूटान के बिम्सटेक में शामिल होने के बाद इस संगठन का यह नाम (बिम्सटेक) अब सभी सदस्य राष्ट्रों के नाम के पहले अक्षर का समावेश नहीं कर रहा था। इसलिए बैंकॉक शिखर सम्मेलन (2004) में इसका नाम बदलने का निर्णय भी लिया गया। बिम्सटेक का पूर्ण विस्तार अब बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाइलैण्ड, इकोनॉमिक कोऑपरेशन से बदलकर बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एण्ड इकॉनामिक कोऑपरेशन किया गया। इसमें शामिल सात सदस्यों में से पांच देश दक्षेस के भी सदस्य हैं। बिम्सटेक राष्ट्रों के साथ भारत का कुल व्यापार 3.7 अरब डॉलर था। इस सम्मेलन की समाप्ति पर जारी साझा बयान में सदस्य देशों के नेताओं ने पारस्परिक आर्थिक सहयोग बढ़ाने तथा स्वतंत्र व्यापार समझौते को समय से लागू करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद व् अंतर्देशीय अपराधों से निपटने के लिए एक संयुक्त कार्यदल के गठन की सहमति इसमें दी गई। सदस्य राष्ट्रों के विरुद्ध गतिविधियों के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल न होने देने के लिए सदस्य राष्ट्र सहमत हुए। इसके अतिरिक्त खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान का निर्णय इन राष्ट्रों ने लिया।

सात देशों के बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एण्ड इकोनॉमिक कोऑपरेशन का दूसरा शिखर सम्मेलन जो 8 फरवरी, 2007 को नई दिल्ली में होना था स्थगित कर दिया गया। अतः यह सम्मेलन 13 नवम्बर, 2008 को नई दिल्ली में संपन्न किया गया। इस सम्मेलन में आपसी परिचर्चा के दौरान बिम्सटेक नेताओं ने इस क्षेत्र को आतंकवाद से मुक्त करने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट, ऊर्जा एवं खाद्य सुरक्षा तथा जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का मुकाबला मिलकर करने का निश्चय किया। आपसी सहयोग के 13 क्षेत्रों की पहचान करते हुए ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन का केंद्र भारत में तथा संस्कृति केंद्र भूटान में स्थापित करने का फैसला भी सम्मेलन में किया गया।

बिम्सटेक की अध्यक्षता अल्फाबेटिकल क्रम में होती है। नवम्बर, 2009 में, म्यांमार ने 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक की और बिम्सटेक अध्यक्षता ग्रहण की। 13वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में भी म्यांमार द्वारा अध्यक्षता की गई, जो 22 जनवरी, 2011 को नाय पी ताव, म्यांमार में आयोजित की गई। नेपाल ने औपचारिक तौर पर 4 मार्च, 2014 को नई अध्यक्षता ग्रहण की।

एशियाई विकास बैक, 2005 से बिम्सटेक का विकास सहयोगी है जो बिम्सटेक देशों में परिवहन अवसंरचना एवं विकास सुधार को प्रोत्साहित करता है। अभी तक, एडीबी ने बिम्सटेक ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर एण्ड लॉजिस्टिक स्टडी (बीटीआईएलएस) प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया है। सदस्य देशों में व्यापार एवं निवेश को बढ़ाने के क्रम में, और उच्च स्तर पर बिम्सटेक में बाहरी व्यक्तियों को व्यापार एवं निवेश के लिए आकर्षित करने के लिए फ्री ट्रेड एरिया फ्रेमवर्क एग्रीमेंट किया। बांग्लादेश को छोड़कर, सभी देशों ने छठवीं मंत्रिस्तरीय बैठक में इस फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए। बाद में बांग्लादेश ने 25 जून, 2004 को फ्रेमवर्क एग्रीमेंट को स्वीकार किया। इसके लिए ट्रेड निगोशिएटिंग समिति (टीएनसी) स्थापित की गई। इस बात पर सहमति हुई कि यदि एक बार सेवाओं में व्यापार पर समझौता पूरा कर लिया जाता है तो, टीएनसी सेवाओं एवं निवेश में व्यापार पर बातचीत को आगे बढ़ाएगी।

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