हैलोजन Halogen

हैलोजन (Halogen) एक ग्रीक भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ लवण उत्पादक होता है। फ्लेरीन (F), क्लोरीन (C1), ब्रोमीन (Br), आयोडीन (I) और एस्टेटीन (At) को सम्मिलित रूप से हैलोजन कहा जाता है। हैलोजन सदस्यों को आवर्त सारणी के वर्ग 17 में रखा गया है। हैलोजन तत्व धातुओं के साथ संयोग कर लवण उत्पन्न करते हैं और इसी गुण के कारण इन्हें हैलोजन कहा जाता हैI Halogen दो शब्दों के मिलने से बना है, Halos तथा genes (Halos = लवण, Genes = उत्पन्न करने वाला) हैलोजन तत्व बहुत क्रियाशील होते हैं अतः ये मुक्त अवस्था में नहीं पाये जाते हैं। फ्लोरीन और क्लोरीन गैसीय अवस्था में पाये जाते हैं, जबकि ब्रोमीन द्रव एवं आयोडीन ठोस अवस्था में मिलते हैं। सभी हैलोजन रंगीन होते हैं। इसका कारण यह है कि ये दृश्य-प्रकाश को अवशोषित करते हैं। आयोडीन में उपधातु जैसे लक्षण पाये जाते हैं। इसमें धातुई चमक पायी जाती है। फ्लोरीन आवर्त सारणी का सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मक तत्व है।

क्लोरीन (Chlorine): क्लोरीन हरे-पीले रंग की तथा तीखी (Pungent) और दम घोंटने वाली गंध की गैस है। यह बहुत ही विषैली गैस है। यह गले, नाक और फेफड़ों पर गहरा असर करती है। क्लोरीन का औद्योगिक स्तर पर निर्माण वेल्डन विधि, डोकन विधि, केल्मर सॉल्वे विधि, नेल्सन सेल विधि आदि द्वारा किया जाता है। क्लोरीन द्वारा विरंजन उसके ऑक्सीकरण गुण पर आधारित है। यह गैस फूलों का रंग उड़ा देती है। क्लोरीन गैस चूने के साथ प्रतिक्रिया कर ब्लीचिंग पाउडर का निर्माण करती है। ब्लीचिंग पाउडर एक हल्के पीले रंग का चूर्ण है, जिसमें क्लोरीन की गंध आती है। ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग क्लोरीन, क्लोरोफार्म के निर्माण में, पेय जल को शुद्ध करने में, जीवाणुनाशक के रूप में, रंगीन कपड़ों का रंग उड़ाने में, चीनी को सफेद करने आदि में किया जाता है।

क्लोरीन के मुख्य उपयोग: (i) ब्लीचिंग पाउडर के निर्माण में (ii) विरंजक के रूप में सूती कपड़ों, कागज आदि का रंग उड़ाने में (iii) रोगाणुनाशक के रूप में पेयजल में उपस्थित रोगाणुओं को क्लोरीन द्वारा नष्ट किया जाता है। (iv) फॉस्जीन, मस्टर्ड गैस, ल्यूसाइट, जैसी विषैली गैस के उत्पादन में।

ब्रोमीन (Bromine): ब्रोमीन एक द्रव अधातु (Liquid Non Metal) है। समुद्री जल में ब्रोमीन, सोडियम, पोटैशियम एवं मैग्नीशियम के ब्रोमाइड के रूप में पाया जाता है। समुद्री जल में ब्रोमीन लवण के रूप में 0.006% मात्रा में पाया जाता है। भारत में कच्छ के रण (Rann of Kutch) में पाया जाने वाला ब्राइन ब्रोमीन का एक बहुमूल्य स्रोत है। ब्रोमीन साधारण ताप पर गहरे लाल बादामी रंग के द्रव के रूप में पाया जाता है।

ब्रोमीन का उपयोग: (i) ब्रोमाइड, हाइपोब्रोमाइट एवं ब्रोमेट लवणों के उत्पादन में (ii) आंसू लाने वाली गैसों एवं अन्य विषैली गैसों के बनाने में (iii) फोटोग्राफी में प्रयुक्त होने वाली सिल्वर ब्रोमाइड यौगिक के उत्पादन में (iv) कार्बनिक रसायन में प्रतिकारक के रूप में (v) पोटैशियम ब्रोमाइड का उपयोग नींद लाने की दवा के रूप में किया जाता है।

आयोडीन (Iodine): आयोडीन एक ठोस अधातु है। यह बैंगनी रंग का होता है तथा इसमें धातुई चमक पायी जाती है। मानव-शरीर में आयोडीन थाइरॉयड ग्रंथि (Thyroid Gland) में थाइरॉक्सिन (Thyroxin) नामक कार्बनिक यौगिक के रूप में पाया जाता है। मानव-शरीर में आयोडीन की कमी से थाइरॉयड ग्रंथियाँ बढ़ जाती हैं, जिसे घेघा या गलगण्ड (Goitre) की बीमारी हो जाती है। आयोडीन एक प्रबल जीवाणुनाशी है, अतः इसका प्रयोग टिंचर आयोडीन बनाने में होता है। आयोडीन और इथाइल ऐल्कोहॉल का मिश्रण टिंचर आयोडीन कहलाता है। आयोडीन का प्रमुख स्रोत चिली (द० अमेरिका) में पाया जाने वाला सोडियम नाइट्रेट का निक्षेप है। समुद्री पौधों एवं जीवों में आयोडीन आयोडीनयुक्त कार्बनिक यौगिक के रूप में पाया जाता है। लैमिनेरिया (Laminaria) किस्म के समुद्री घासों (एक प्रकार का शैवाल) में आयोडीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इस समुद्री घास को अच्छी तरह सुखाने के पश्चात गहरे गड्ढों में सावधानीपूर्वक जलाने से जो राख (Ash) प्राप्त होती है, उसे केल्प (Kelp) कहते हैं। इसी केल्प में आयोडाइड के रूप में आयोडीन की मात्रा 0.4% से 1.3% तक रहती है। हैलोजनों में आयोडीन प्रबलतम ऑक्सीकारक है। आयोडीन का उपयोग टिंचर-आयोडीन, आयोडेक्स, आयोडोफार्म आदि कीटाणुनाशक एवं पीड़ानाशक दवाओं के निर्माण में होता है।

एस्टेटीन (Astatine): एस्टेटीन एक रेडियोसक्रिय तत्व है जो अत्यंत ही अस्थायी होता है। यह ठोस अधातुओं में सबसे भारी तत्व है। यह भू-परत में सबसे कम मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है।


नोट:

  • कांच पर लिखने के लिए हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल का उपयोग किया जाता है।
  • फ्लुओरीन (Fluorine) का उपयोग UF6, तथा SF6, बनाने में होता है, जिनका क्रमशः परमाणु ऊजf उत्पादन एवं परावैद्युतिकी में इस्तेमाल किया जाता है।
  • क्लोरीन डाइऑक्साइड (CIO2) तथा क्लोरीन के मिश्रण को यूक्लोरीन कहते हैं।
  • क्लोरीन द्वारा किसी पदाथf कr fवरंजीकरण करने के पश्चात क्लोरीन की आधिक्य को समाप्त करने के लिए प्रयोग किया गया पदार्थ प्रतिक्लोर कहलाता है।
  • डाईक्लोरो डाईफ्लोरो मीथेन (Dichlorodifluoro Methane) को फ्रिऑन कहा जाता है। इसका उपयोग प्रशीतक (Refrigerant) के रूप में होता है।
  • हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को म्यूरेटिक अम्ल (Muratic Acid) कहा जाता है।

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