लैटिन अमेरिकी एकीकरण संघ Latin American Integration Association – ALADI-LAIA

यह संघ 18 लैटिन अमेरिकी देशों, जो एक साझा बाजार के गठन और उदार व्यापार व्यवस्था के प्रति समर्पित हैं, को एक मंच पर लाता है।

औपचारिक नाम: एशोसिएशन लैटिनोअमेरिकाना डी इन्टीग्रेशन (एएलएडीआई-स्पेनिश) [Asociacion Latino americana de Integracion—ALADI (Spanish)]

मुख्यालय: मॉटिवीडियो (उरुग्वे)।

सदस्यता: अर्जेंटीना, बोलीविया, ब्राजील, चिली, कोलंबिया, क्यूबा, इक्वाडोर, मेक्सिको, पनामा, पराग्वे, पेरू, उरुग्वे और वेनेजुएला।

पर्यवेक्षक सदस्य: चीन, ईसी आयोग, कोस्टा रिका, डोमिनिकन गणराज्य, ईसीएलएसी (संयुक्त राष्ट्र संघ का), अल साल्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, आईडीबी, इटली, निकारागुआ, ओएएस, पुर्तगाल, स्पेन, यूएनडीपी, रोमानिया, रूस, स्विट्ज़रलैंड, अंतर-अमेरिकी कृषि सहयोग संस्थान (आईआईसीए) सीएएफ और सेला।

उद्भव एवं विकास

लैटिन अमेरिकी एकीकरण संघ (Latin American Integration Association-LAIA) अर्जेंटीना, ब्राजील, चिली, मैक्सिको, पैराग्वे, पेरू और उरुग्वे द्वारा 1960 की मोंटिवीडियो संधि के अंतर्गत गठित लैटिन अमेरिकी मुक्त व्यापार संघ (लाफ्टा) का उत्तरवर्ती संगठन है। बोलीविया, कोलंबिया, इक्वाडोर और वेनेजुएला ने बाद में लाफ्टा की सदस्यता ग्रहण की। लाफ्टा की स्थापना के पीछे प्रमुख उद्देश्य था- 12 वर्षों के भीतर एक मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करना। इस योजना की प्रगति बहुत धीमी थी। अतः कराकस प्रोटोकॉल, 1969 के द्वारा संधि-काल की अवधि वर्ष 1980 तक के लिये बढ़ा दी गई। 1967 में लाफ्टा ने सदस्य देशों को अधिक सीमित पैमाने पर उप-क्षेत्रीय बाजार गठित करने की अनुमति प्रदान की। ये उप-क्षेत्रीय बाजार ही अंततोगत्वा एकल लैटिन अमेरिकी बाजार में परिवर्तित होते। तद्नुसार बोलीविया, चिली, कोलंबिया, इक्वाडोर तथा पेरू ने वर्ष 1969 में एंडियन समूह का गठन किया। 1979 में यह निर्णय लिया गया कि एकीकरण प्रक्रिया में गति लाने के लिये एक नई मॉटिवीडियो संधि पर वार्ता आयोजित की जायेगी। कुछ प्रारम्भिक बैठकों के पश्चात् लाफ्टा के 11 सदस्यों ने वर्ष 1980 में मॉटिवीडियो में एलएआईए के गठन हेतु एक नई संधि पर हस्ताक्षर किए। यह संधि मार्च 1981 में प्रभाव में आई तथा एलएआईए ने लाफ्टा का स्थान ले लिया ।


उद्देश्य

एलएआईए के दीर्घकालीन लक्ष्य हैं- सदस्य देशों के मध्य शुल्क में कमी लाना और लचीला तथा व्यावहारिक उद्योग-दर-उद्योग (industry-by-industry) दृष्टिकोण अपनाकर एक साझा बाजार की स्थापना करना।

संरचना

सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद इस संघ का सबसे शक्तिशाली अंग है। यह परिषद संघ की मौलिक नीतियों का निर्धारण करती है तथा आर्थिक एकीकरण लाने के लिए आवश्यक कार्यवाहियों पर विचार करती है। इसे मूल संधि को रूपान्तरित करने तथा उसमें पूरक जोड़ने, हस्ताक्षरित हो चुके समझौतों को संशोधित करने, नये सदस्यों के बारे में निर्णय लेने तथा महासचिव को नियुक्त करने के अधिकार प्राप्त हैं।

मूल्यांकन और अभिसरण सम्मेलन में सदस्य देशों के पूर्णाधिकारी (Plenjpotentiaries) सम्मिलित रहते हैं। यह सम्मेलन प्रतिनिधि समिति द्वारा बुलाया जाता है। सम्मेलन के मुख्य कार्य हैं-एकीकरण प्रक्रिया और विभिन्न समझौतों के क्रियान्वयन का निरीक्षण करना; समझौतों में सुधार हेतु परिषद की सिफारिशें करना; क्षेत्रीय अधिमान्य शुल्क के संबंध में बहुपक्षीय वार्ताओं को प्रभावशाली बनाना, तथा; क्षेत्रीय समझौता करने में सदस्यों की सहायता पहुंचाना।

प्रतिनिधि समिति एलएआईए का स्थायी अंग है तथा इसमें सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व रहता है। इस समिति के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं- क्षेत्रीय समझौता वार्ता के लिये बैठकों का आयोजन करना; संघ के बजट को स्वीकृति देना तथा सदस्यों के अंशदान का निर्धारण करना; गैर सदस्यों के साथ वार्ताओं में संघ का प्रतिनिधित्व करना; परिषद् तथा सम्मलेन के समक्ष प्रस्तावों और अनुमोदनों को प्रस्तुत करना, तथा; सदस्यों द्वारा किए गए आंशिक उद्देश्य समझौतों का बहुपक्षीय मूल्यांकन करना।

सामान्य सचिवालय संघ की प्रशासनिक और तकनीकी शाखा है। इसका प्रमुख अधिकारी महासचिव होता है, जिसका चुनाव परिषद के द्वारा किया जाता है।

इन प्रमुख संरचनाओं के अतिरिक्त संघ के अनेक सहायक अंग हैं, जो विशिष्ट कार्यों के लिये गठित किये गये हैं।

गतिविधियां

1960 की मॉटिवीडयो संधि के विपरीत, 1980 की संधि में साझा बाजार की स्थापना के लिये किसी सख्त प्रणाली या समय-सीमा का निर्धारिण नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त 1980 की संधि में क्षेत्रीय शुल्क वरीयता (आरटीएफ) तथा क्षेत्रीय और आंशिक उद्देश्य समझौतों पर आधारित आर्थिक वरीयता क्षेत्र के गठन की मांग की गई है। सदस्य देशों में निर्मित वस्तुओं के लिये आरटीएफ योजना को 1984 में स्वीकृति मिली तथा 1987 और 1990 में इस योजना का विस्तार किया गया। क्षेत्रीय समझौतों में सभी सदस्य देश सम्मिलित होते हैं। ये समझौते क्षेत्रीय शुल्क वरीयता, चार सदस्यों में से तीन सबसे कम विकसित सदस्यों के लिये साझा बाजार में पहुंच (marketaccess), वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग तथा सांस्कृतिक सहयोग के विषयों में किये जाते हैं। आंशिक उद्देश्य समझौते दो या अधिक इच्छुक देशों से जुड़े होते हैं तथा व्यापार, आर्थिक और औद्योगिक समादर (complementation), कृषि और मवेशी तथा निर्यात प्रोत्साहन के क्षेत्रों में किये जाते हैं। लेकिन इन समझौतों में अन्य सदस्यों के प्रवेश की गुंजाइश निश्चित रूप से होनी चाहिए तथा प्रगतिशील बहुपक्षता (multilateralisation) इनका मुख्य लक्ष्य होना चाहिए।

लाफ्टा की तुलना में एलएआईए का संचालन अधिक लचीला है। यह सदस्यों के आर्थिक ढांचे के आधार पर विशिष्ट व्यवहार की अनुमति देता है। एएलआईए के सबसे विकसित देशों में अर्जेंटीना, ब्राजील और मेक्सिको सम्मिलित हैं। चिली, कोलंबिया, पेरू, उरुग्वे और वेनेजुएला इसके मध्यवर्ती सदस्य हैं, जिनके साथ अधिक अनुकूल व्यवहार किया जाता है। सबसे कम विकसित देशों-बोलीविया, इक्वाडोर और पैराग्वे, को विशिष्ट दर्जा प्रदान किया जाता है।

अब तक लगभग 120 समझौते, क्षेत्रीय और आशिक दोनों, प्रभाव में आये हैं। एलएआईए के अंतर्गत अनेक लाफ्टा संगठनों को बरकरार रखा गया है। ऐसे कुछ प्रमुख संगठन हैं- पारस्परिक भुगतान और साख संधि तथा तरलता की अस्थायी कमियों को दूर करने के लिए बहुपक्षीय साख समझौता  (Accord on Reciprocal Payment and Credits and the Multilateral Credit Agreement to Alleviate Temporary Shortages of Liquidity)।

26 अगस्त, 1999 को मोंटविडीमों संधि पर प्रथम अभिवर्धन एलएआईए के सदस्य देश क्यूबा की सहायता से किया गया। 10 मई, 2012 को पनामा एएलआईए का 13वां सदस्य देश बन गया। इसी प्रकार, निकारागुआ पर सहमति मंत्रिपरिषद् की बैठक में 11 अगस्त, 2011 को हुई। वर्तमान में निकारागुआ एएलआईए के सदस्य देश बनने की शर्तो को पूरा करने का प्रयास कर रहा है। एएलआईए ने लेटिन अमेरिका के बाकी देशों के साथ कार्य के क्षेत्रों की खोला है।

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