श्री केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 के लिए मिला सर्वोच्च साहित्यिक ज्ञानपीठ पुरस्कार Shri Kedarnath singh Receive Literary Jnanpith Award – 2013

सुप्रसिद्ध हिन्दी कवि एवं लेखक श्री केदारनाथ सिंह को वर्ष 2013 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा| ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत में किसी व्यक्ति को दिया जाने वाला सर्वोच्च साहित्य सम्मान है| भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से, किसी भी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। पुरस्कार के रूप में केदारनाथ सिंह को 11 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र, वाग्देवी की प्रतिमा, प्रतीक चिह्न तथा शॉल आदि भेंट की जाएगी। सीताकांत महापात्रा की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने वर्ष 2013 के लिए श्री केदारनाथ सिंह को यह पुरस्कार देने का निर्णय लिया| ज्ञानपीठ पुरस्कार का फैसला भारतीय ज्ञानपीठ न्यास लेता है| इस चयन समिति के अन्य सदस्य हैं-

1.डा. सीताकांत महापात्रा (अध्यक्ष), 2. प्रोफ. दिनेश सिंह, 3. श्री नित्यानंद तिवारी, 4. प्रोफ.अमिया देब, 5. श्री शंकर सरदा, 6. प्रोफ. आलोक राई, 7.श्री र. शौरी राजन, 8. श्री सुरजीत पाटर, 9. श्री दिनेश मिश्रा, 10. श्री लीलाधार मंडलोई

श्री केदारनाथ सिंह ज्ञानपीठ पुरस्कार का सम्मान पाने वाले हिंदी के 10वें लेखक हैं|

श्री केदारनाथ सिह का परिचय और रचनाएं

केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के चकिया गाँव में हुआ था| उऩ्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 1956 में हिंदी में M.A. और 1964 में Phd. की उपाधि हासिल की| गोरखपुर में उन्होंने कुछ दिन हिंदी पढ़ाई और जवाहर लाल विश्वविद्यालय से क्लिक करें हिंदी भाषा विभाग के अध्यक्ष पद से रिटायर हुए| उन्होंने कविता व गद्य की अनेक पुस्तकें रची हैं. इससे पहले उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, कुमार आशान पुरस्कार (केरल) और व्यास पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं| जटिल विषयों पर बेहद सरल और आम भाषा में लेखन उनकी रचनाओं की विशेषता है| उनकी सबसे प्रमुख लंबी कविता ‘बाघ’ है. इसे मील का पत्थर कहा जाता है| ताना-बाना (आधुनिक भारतीय कविता से एक चयन), समकालीन रूसी कविताएँ, कविता दशक, साखी (अनियतकालिक पत्रिका) और शब्द (अनियतकालिक पत्रिका) का उन्होंने संपादन भी किया|

केदारनाथ सिंह की प्रमुख रचनाएं जमीन पक रही है, यहां से देखो, बाघ, अकाल में सारस, मेरे समय के शब्द, कल्पना और छायावाद, हिंदी कविता बिंब विधान, कब्रिस्तान में पंचायत, तालस्ताय और साइकिल आदि हैं|

ज्ञानपीठ पुरस्कार Jnanpith Award


22 मई 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के 50वें जन्म दिवस के अवसर पर उनके परिवार के सदस्यों ने साहित्यिक या सांस्कृतिक क्षेत्र में कोई ऐसा महत्वपूर्ण कार्य करने का निश्चय किया जो राष्ट्रीय गौरव तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिमान के अनुरूप हो, फलस्वरूप 16 सितंबर 1961 को भारतीय ज्ञानपीठ की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती रमा जैन ने न्यास की एक गोष्ठी में इस पुरस्कार का प्रस्ताव रखा। 2 अप्रैल 1962 को दिल्ली में भारतीय ज्ञानपीठ और टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संयुक्त बैठक में देश की सभी भाषाओं के 300  विद्वानों ने इस विषय पर विचार किया। इस बैठक में काका कालेलकर, हरेकृष्ण मेहताब, निसीम इजेकिल, डॉ. सुनीति कुमार चैटर्जी, डॉ. मुल्कराज आनंद, सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, सियारामशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, उदयशंकर भट्ट, जगदीशचंद्र माथुर, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. बी.आर.बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, मन्मथनाथ गुप्त, लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया। इस पुरस्कार के स्वरूप का निर्धारण करने के लिए गोष्ठियाँ होती रहीं और 1965 में पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार का निर्णय लिया गया।

पुरूस्कर की चयन प्रकिया कई महीनो तक चलने वाली जटिल प्रकिया है| पुरस्कार वर्ष को छोड़कर पिछले बीस वर्ष की अवधि में प्रकाशित कृतियों के आधार पर लेखक का मूल्यांकन किया जाता है। जिस भाषा के साहित्यकार को एक बार पुरस्कार मिल जाता है उस पर अगले तीन वर्ष तक विचार नहीं किया जाता है।

प्रक्रिया का आरंभ विभिन्न भाषाओं के साहित्यकारों, अध्यापकों, समालोचकों, प्रबुद्ध पाठकों, विश्वविद्यालयों, साहित्यिक तथा भाषायी संस्थाओं द्वारा प्रस्ताव भेजने के साथ होता है।  प्राप्त प्रस्ताव संबंधित ‘भाषा परामर्श समिति’ द्वारा जाँचे जाते हैं।  हर भाषा की एक ऐसी परामर्श समिति होती है जिसमें 3 विख्यात साहित्य-समालोचक और विद्वान सदस्य होते हैं। इन समितियों का गठन 3-3 वर्ष के लिए होता है। भाषा समितियों पर यह प्रतिबंध नहीं है कि वे अपना विचार विमर्ष प्राप्त प्रस्तावों तक ही सीमित रखें। उन्हें किसी भी लेखक पर विचार करने की स्वतंत्रता है। भारतीय ज्ञानपीठ के न्यास मंडल का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं होता है|

ज्ञानपीठ पुरस्कार में प्रतीक स्वरूप दी जाने वाली वाग्देवी का कांस्य प्रतिमा मूलतः धार, मालवा के सरस्वती मंदिर में स्थित प्रतिमा की ही अनुकृति है। इस मंदिर की स्थापना विद्याव्यसनी राजा भोज ने 1035 ईस्वी में की थी। अब यह प्रतिमा ब्रिटिश म्यूज़ियम लंदन में है।

पूर्व वर्षों में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार Writers Receive Jnanpith Award in Earlier Years
वर्ष नाम कृति भाषा
1965 जी शंकर कुरुप ओटक्कुष़ल (वंशी) मलयालम
1966 ताराशंकर बंधोपाध्याय गणदेवता बांग्ला
1967 के.वी. पुत्तपा श्री रामायण दर्शणम कन्नड़
1967 उमाशंकर जोशी निशिता गुजराती
1968 सुमित्रानंदन पंत चिदंबरा हिन्दी
1969  फ़िराक गोरखपुरी गुलनगमा उर्दू
1970  विश्वनाथ सत्यनारायण रामायण कल्पवरिक्षमु तेलुगु
1971 विष्णु डे स्मृति शत्तो भविष्यत बांग्ला
1972  रामधारी सिंह दिनकर उर्वशी हिन्दी
1973  दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे नकुतंति कन्नड़
1973 गोपीनाथ महान्ती माटीमटाल उड़िया
1974 विष्णु सखाराम खांडेकर ययाति मराठी
1975 पी.वी. अकिलानंदम चित्रपवई तमिल
1976  आशापूर्णा देवी प्रथम प्रतिश्रुति बांग्ला
1977 के. शिवराम कारंत मुक्कजिया कनसुगालु कन्नड़
1978  अज्ञेय कितनी नावों में कितनी बार हिन्दी
1979  बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य मृत्यंजय असमिया
1980  एस.के. पोत्ताकट ओरु देसात्तिन्ते कथा मलयालम
1981 अमृता प्रीतम कागज ते कैनवास पंजाबी
1982 महादेवी वर्मा यामा हिन्दी
1983 मस्ती वेंकटेश अयंगार   मलयालम
1984 तकाजी शिवशंकरा पिल्लै मलयालम
1985 पन्नालाल पटेल गुजराती
1986  सच्चिदानंद राउतराय ओड़िया
1987 विष्णु वामन शिरवाडकर कुसुमाग्रज मराठी
1988 डा.सी नारायण रेड्डी तेलुगु
1989  कुर्तुलएन हैदर उर्दू
1990 वी.के.गोकक कन्नड़
1991 सुभाष मुखोपाध्याय बांग्ला
1994 नरेश मेहता हिन्दी
1993  सीताकांत महापात्र ओड़िया
1994 यू.आर. अनंतमूर्ति कन्नड़
1995 एम.टी. वासुदेव नायर मलयालम
1996 महाश्वेता देवी बांग्ला
1997 अली सरदार जाफरी उर्दू
1998 गिरीश कर्नाड कन्नड़
1999 निर्मल वर्मा हिन्दी
1999 गुरदयाल सिंह पंजाबी
2000 इंदिरा गोस्वामी असमिया
2001 राजेन्द्र केशवलाल शाह गुजराती
2002 दण्डपाणी जयकान्तन तमिल
2003 विंदा करंदीकर मराठी
2004 रहमान राही कश्मीरी
2005 कुँवर नारायण हिन्दी
2006 रवीन्द्र केलकर कोंकणी
2006 सत्यव्रत शास्त्री संस्कृत
2007 ओ.एन.वी. कुरुप मलयालम
2008 अखलाक मुहम्मद खान शहरयार उर्दू
2009 अमरकान्त व श्रीलाल शुक्ल को संयुक्त रूप से दिया गया। हिन्दी
2010 चन्द्रशेखर कम्बार कन्नड
2011 प्रतिभा राय ओड़िया
2012 रावुरी भारद्वाज तेलुगू
2013  केदारनाथ सिंह हिन्दी

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