हाथ से मैला सफाईकर्मी कार्य का प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम, 2012 The Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Bill, 2012

लोकसभा ने हाथ से मैला सफाईकर्मी कार्य का प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास विधेयक-2012 को 6 सितंबर, 2013 को पारित किया और राज्यसभा ने भी 7 सितंबर, 2013 को इस विधेयक को पारित कर दिया। 19 सितंबर, 2013 को इस विधेयक को राष्ट्रपति ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी, जिससे अब यह अधिनियम बन गया है। विधेयक हाथ से मैला साफ करने के काम में व्यक्तियों को लगाने का प्रतिषेध करता है, और साथ ही इस कार्य में लगे लोगों के पुनर्वास का भी प्रावधान करता है।

अधिनियम का उद्देश्य

नए कानून को लाने की आवश्यकता इसलिए हुई कि शारीरिक रूप से मैला ढोने एवं खुले शौचालयों की बुराई का उन्मूलन करने में मौजूदा कानून नाकाफी साबित हुआ है। दरअसल हाथ से मैला साफ करना उस प्रक्रिया की ओर संकेत करता है जिसमें सूखे अस्वच्छ शौचालयों से मानव मल साफ किया जाता है और जिनका सीवर तंत्र से कनेक्शन नहीं होता है। यह प्रथा मूल रूप से दक्षिण एशिया में सर्वाधिक है।

भारत में हाथ से मैला साफ करने की प्रथा की स्थिति

भारत में हाथ से मैलासाफ करने के अमानवीय कार्य में 12,00,000 लोग संलग्न हैं। ये निरंतर, अंतर्पीटीय यातना, गंभीर मानसिक एवं शारीरिक पीड़ा से पीड़ित हैं जिसकी जड़ें जातीय भेदभाव में हैं। हाथ से मैला साफ करने वाले (जिसमें 95 प्रतिशत महिलाएं हैं) सूखे शौचालयों को मैनुअली साफ करते हैं। वे मल के निस्तारण करने के लिए इनकी जगहों पर ले जाते हैं इसके अतिरिक्त उनसे और आदमियों से यह आशा की जाती है कि वे अन्य प्रदूषित कार्य भी करें जिसमें मृत पशुओं का निस्तरण, प्रसव प्रश्चात् की गंदगी को साफ करना, एवं अन्य शवदाह संबंधी गतिविधियां शामिल हैं। उनके बच्चे भी विद्यालयों में भेदभाव का शिकार होते हैं।

जाति व्यवस्था सदियों से भारतीय समाज का एक जटिल एवं आवश्यक पहलू रहा है। यह मानव असमानता पर आधारित है जहां श्रम विभाजन जाति के आधार पर किया जाता है। लोगों के बीच सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक संबंध उनके जाति प्रस्थिति पर निर्भर करती है। इस व्यवस्था में ऐसे लोगों की भारी बहुलता है जो वंचित एवं शोषित हैं और जिन्हें अश्पृश्य माना जाता है तथा जो उनके सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक अधिकारों से वंचित हैं।

अधिनियम के प्रमुख प्रावधान


  • हाथ से मैला साफ करने पर प्रतिषेध और मैनुअल स्केवेंजर्स का पुनर्वास।
  • अस्वच्छ शौचालयों का प्रतिषेध, जिसमें ऐसे शौचालय शामिल हैं जहां मानव मल या उत्सर्जक को साफ करने की जरूरत पड़े।
  • अधिनियम में मैनुअल स्केवेंजर की परिभाषा को व्यापक किया गया है जिसमें ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया गया है जो मानव उत्सर्जन को अस्वच्छ शौचालयों या खुली नालियों या गड्डों, रेलवे ट्रैक से मैनुअली साफ करते हैं।
  • मैनुअल स्केवेंजर्स एवं अस्वच्छ शौचालयों की पहचान के लिए स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं।
  • सेप्टिक टैंकों एवं सीवर की जोखिमपूर्ण मैनुअल सफाई को प्रतिबंधत किया गया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसे कर्मियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया है।
  • अधिनियम में अधिक कड़े प्रावधान किए गए हैं।
  • प्रत्येक अथानीय प्राधिकरण, रेलवे प्राधिकरण एवं छावनी बोर्ड अपनी अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत अस्वच्छ शौचालयों के सर्वेक्षण हेतु जिम्मेदार होगा। अधिनियम के अंतर्गत स्वच्छ सामुदायिक शौचालय निर्मित किए जाएंगे।
  • अस्वच्छ शौचालय बनाने वाले इसके नष्ट करने के जिम्मेदार होंगे या अपने खर्चे पर इसका रूप परिवर्तित करेंगे। शौचालयों का रूप शौचालय धारक अधिनियम में सुझाए उपायों को लागू करने में असफल रहते हैं, के लिए स्थानीय प्राधिकारी जिम्मेदार होंगे।
  • इस अधिनियम को लागू कराने वाले प्राधिकारी स्थानीय प्राधिकारी और जिला न्यायाधीश होंगे।
  • अधिनियम के अंतर्गत यह संज्ञेय एवं गैर-जमानती अपराध होगा। ये दोनों साथ-साथ चलेंगे।
  • उल्लेखनीय है कि मैनुअल स्केवेजिंग को प्रतिबंधित करने वाला दिल्ली देश का प्रथम राज्य बन गया है।

अन्य कानून एवं प्रावधान

जैसाकि पर्याप्त रूप से स्पष्ट है कि, कई लाख लोग-इनमें अधिकांशतः महिलाएं हैं-पूरे देश में आज भी निरंतर मैनुअल स्केवेजिंग जैसे घटिया एवं अमानवीय प्रथा में काम करने को मजबूर हैं। ऐसा जाति व्यवस्था की परम्परा के कारण हैं जिससे वे अपने समानता, अवतंत्रता एवं सामाजिक विकास जैसे संवैधानिक एवं सांविधिक अधिकारों से वंचित किए गए हैं। मैनुअल स्केवेंजिग आधुनिक समय की दास प्रथा है जो निम्न कानूनों का उल्लंघन कर रही है-

  1. बंधुआ मजदूरी प्रथा (उन्मूलन) अधिनियम, 1976
  2. नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1995 की धारा 7 (9)।
  3. मैनुअल स्केवेंजिंग की प्रथा संविधान के अनुच्छेद 14, 17, 21 और 28 का उल्लंघन करती है।
  4. विशाखा दिशा-निर्देशों और कार्यस्थल पर यौन शोषण से महिलाओं का संरक्षण।
  5. मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के विभिन्न उपबंधों का उल्लंघन।

मैनुअल स्केवेंजिंग संबंधी मुद्दे:

  1. शुष्क एवं अस्वच्छ शौचालयों को नष्ट करना या रूप परिवर्तित करना (ग्रामीण क्षेत्रों में 73 प्रतिशत एवं शहरी क्षेत्रों 27 प्रतिशत शौचालय शुष्क हैं)
  2. भारतीय रेलवे में मैनुअल स्केवेंजिंग
  3. भारत में मैनुअल स्केवेंजर्स का अपूर्ण एवं असफल पुनर्वास
  4. मैनुअल स्केवेंजर्स हेतु छात्रवृति योजनाओं का असफल कार्यान्वयन
  5. जातिगत मुद्दे
  6. दलित मुस्लिम संबंधी मामले

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