नाइट्रोजन Nitrogen

नाइट्रोजन (Nitrogen) (N), फॉस्फोरस (P), आर्सेनिक (As) ऐन्टिमनी (Sb) एवं बिस्मथ (Bi) को आधुनिक आवर्त सारणी के वर्ग 15 में रखा गया है। वर्ग 15 के तत्व प्रतिरूपी तत्व (Typical Elements) अथवा सामान्य तत्व (Normal Elements) कहलाते हैं। नाइट्रोजन को छोड़ शेष सभी तत्व ठोस अवस्था में पाये जाते हैं। नाइट्रोजन एवं बिस्मथ को छोड़कर VA उपवर्ग के अन्य सदस्य अपरूपता (Allotropy) का गुण प्रदर्शित करते हैं। उपवर्ग VA के तत्वों में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस अधातु (Non-Metal) है, जबकि आर्सेनिक एवं ऐन्टिमनी उपधातु (Metalloid) है, और अंतिम तत्व बिस्मथ एक धातु (Metal) है।

वर्ग V-A के तत्व और उनके अपरूप

(1) फॉस्फोरस: श्वेत फॉस्फोरस, लाल फॉस्फोरस, काला फॉस्फोरस, सिन्दुरी फॉस्फोरस, बैंगनी फॉस्फोरस आदि।

(2) आर्सेनिक: पीला आर्सेनिक (α-आर्सेनिक), काला आर्सेनिक (β-आर्सेनिक) एवं धूसर आर्सेनिक (γ-आर्सेनिक)।

(3) एन्टिमनी: (Metallic) या रवेदार (crystalline) एन्टिमनी, बेरवादार (Non Crystalline) या विस्फोटक एन्टीमनी (Explosive Antimony), पीला या α- ऐन्टिमनी तथा काला या β-ऐन्टिमनी।

नाइट्रोजन (Nitrogen): नाइट्रोजन वायु का एक प्रमुख अवयव है। आयतन की दृष्टि से वायुमंडल का लगभग 78% भाग नाइट्रोजन होता है। वायुमंडल सहित पृथ्वी पर नाइट्रोजन का बाहुल्य भारानुसार 0.01% है। संयुक्त अवस्था में नाइट्रोजन की थोड़ी मात्रा नाइट्रेट के रूप में पायी जाती है। अमोनिया एवं अमोनियम लवणों के रूप में भी नाइट्रोजन की उपस्थिति होती है। नाइट्रोजन प्रोटीन (Protein) नामक जटिल कार्बनिक यौगिक में उपस्थित रहता है। नाइट्रोजन यूरिया (Urea) नामक कार्बनिक यौगिक का प्रमुख अवयव है। यूरिया में नाइट्रोजन की 46% मात्रा पायी जाती है। पेड़-पौधे मिट्टी से नाइट्रोजन नाइट्रेट्स के रूप में प्राप्त करते हैं। जीवधारी नाइट्रोजन को पेड़ पौधों से प्रोटीन के रूप में प्राप्त करते हैं। प्रयोगशाला में अमोनियम क्लोराइड और सोडियम नाइट्राइट के मिश्रित घोल को 700°C तक गर्म करके नाइट्रोजन गैस बनायी जाती है। नाइट्रोजन का अणु द्धिपरमाण्विक (Diatomic) एवं अध्रुवीय (Non-Polar) होता है।

नाइट्रोजन का उपयोग: (i) नाइट्रोजन का सबसे प्रमुख व्यापारिक उपयोग अमोनिया के उत्पादन में होता है, जो अमोनियम सल्फेट नामक उर्वरक बनाने में प्रयुक्त होता है। (ii) थोड़ी मात्रा में नाइट्रोजन का उपयोग धातुकर्म एवं रासायनिक कार्यों में निष्क्रिय माध्यम प्रदान करने के लिए होता है। (iii) नाइट्रोजन विद्युत् बल्बों में तथा उच्च ताप मापने वाले तापमापी में भरने के काम में आता है। (iv) कृत्रिम गर्भाधान के लिए बैल के वीर्य को द्रव नाइट्रोजन में रखा जाता है।


नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (Fixation of Nitrogen): वायुमंडलीय नाइट्रोजन से उसके उपयोगी यौगिकों के बनने की क्रिया को नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (Fixation of Nitrogen) कहा जाता है। नाइट्रोजन का यौगिकीकरण मुख्यतः दो विधियों द्वारा होता है- (i) प्राकृतिक विधि एवं (ii) कृत्रिम विधि

लेग्युमिनस परिवार (Leguminous Family) या दलहनी परिवार के पौधों की जड़ों की गांठों में पाया जाने वाला राइजोबियम (Rhizobieurn) नामक सहजीवी जीवाणु (Symbiotic Bacteria) नाइट्रोजन स्थिरीकरण में भाग लेता है।

नाइट्रोजन यौगिकों का नाइट्रोजन में परिवर्तन विनाइट्रीकरण कहलाता है। यह क्रिया कुछ जीवाणुओं द्वारा सम्पादित होता है, जिसे विनाइट्रोकारक जीवाणु (Denitrifying Bacteria) कहते हैं। विनाइट्रीकारक जीवाणु के प्रभाव से नाइट्रोजन युक्त यौगिक सीधे नाइट्रोजन में परिवर्तित होकर वायुमंडल में चले जाते हैं।

प्रकृति में नाइट्रोजन के यौगिकों के निर्माण एवं विनाश का एक चक्र चलता रहता है, जिसे नाइट्रोजन चक्र कहते हैं।

कृत्रिम विधि द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण या स्थिरीकरण हैबर विधि (Haber’s Process) बर्कलैंड आइड (Birkland Eyde) विधि आदि द्वारा होता है।

नोट:

  • कैल्सियम सायनाइड (CaCN2) को नाइट्रोलिम के नाम से जाना जाता है, जिसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है।
  • नाइट्रोजन गैस मैग्नीशियम धातु के साथ प्रतिक्रिया कर मैग्नीशियम नाइट्राइड (Mg3N2) नामक यौगिक का निर्माण करता है।
  • जलती हुई सींक को नाइट्रोजन से भरे जार में ले जाने पर वह बुझ जाती है।
  • अमोनियम लवण विच्छेदित होकर अमोनिया उत्पन्न करते हैं। इसी कारण अस्तबलों, पेशाबखानों व शौचालयों से बराबर अमोनिया की गंध निकलती रहती है।

नाइट्रोजन के यौगिक

  1. अमोनिया (Ammonia): अमोनिया नाइट्रोजन का एक स्थायी हाइड्राइड है। सर्वप्रथम 1774 में प्रीस्टले ने अमोनियम क्लोराइड तथा लाइम के मिश्रण को गर्म करके अमोनिया गैस प्राप्त की और उसका नाम क्षारीय वायु (Alkaline Air) रखा। बर्थोलेट (Berthollet) ने 1785 ई० में बताया कि अमोनिया नाइट्रोजन व हाइड्रोजन का यौगिक है। अमोनिया का औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन हैबर विधि (Habber’s Process) द्वारा किया जाता है। हैबर विधि द्वारा अमोनिया के औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन करने में उत्प्रेरक के रूप में प्रायः लौह ऑक्साइड (Fe2O3) जिसमें वर्द्धक उत्तेजक (Promoter) के रूप में Al2O3 एवं K2O मिश्रित रहते हैं, का व्यवहार होता है। यह एक रंगहीन गैस है, जिसमें तीखी गंध होती है। इसे सूंघने पर छींक तथा आँखों में आँसू आ जाते हैं। अमोनिया की संरचना टेट्टाहेड्रल (Tetrahedral) एवं आकृति पिरामिडल (Pyramidal) होती है। यह कॉपर सल्फेट (CuSO4) के घोल से प्रतिक्रिया करके गहरे नीले रंग का जटिल यौगिक क्यूप्री अमोनियम सल्फेट [Cu(NH3),SO4] बनाता है। उच्च दाब पर अमोनिया को कार्बन डाइऑक्साइड के साथ गर्म करने पर कार्बनिक यौगिक यूरिया प्राप्त होता है।

अमोनिया का उपयोग: (i) द्रवित अमोनिया का उपयोग रेफ्रीजरेटरों में बर्फ जमाने के काम में होता है। (ii) अमोनियम लवणों के उत्पादन में (iii) यूरिया के निर्माण में (iv) सफाई के काम में चिकनाई दूर करने के लिए (v) ओस्टवाल्ड विधि द्वारा नाइट्रिक अम्ल तथा सौल्वे विधि (solvey process) द्वारा सोडियम कार्बोनेट के उत्पादन में प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में (vii) हाइड्रोजन के उत्पादन में।

नोट: द्रव अमोनिया की बोतलों को कुछ समय तक बर्फ में रखने के पश्चात खोला जाता है, क्योंकि द्रव अमोनिया का वाष्प दाब (vapour Pressure) अधिक होता है।

  1. नौसादर (Ammonium Chloride): नौसादर का व्यापारिक नाम अमोनियम क्लोराइड है। इसका सामान्य सूत्र NH4CI होता है।

नौसादर का उपयोग: (i) शुष्क बैटरियों में (ii) धातुओं को जोड़ने के पहले उनकी सतह साफ करने में (iii) प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में (iv) औषधि निर्माण में (v) बर्तनों में कलई करने में

  1. नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous Oxide): नाइट्रस ऑक्साइड गैस की अल्प मात्रा में सैंघने पर हँसी उत्पन्न होती है। इसी गुण के कारण नाइट्रस ऑक्साइड को हँसी उत्पन्न करने वाली गैस या Laughing Gas कहते हैं। चीड़-फाड़ (surgery) या दांत उखाड़ते समय बेहोश करने के लिए ऑक्सीजन के साथ नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) का मिश्रण निश्चेतक के रूप में प्रयोग किया जाता है। नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) की खोज का श्रेय प्रीस्टले (Pristley) को प्राप्त है। विद्युत् विसर्जन के समय हवा के ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन आपस में संयोग कर नाइट्रिक ऑक्साइड का निर्माण करते हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड शीघ्र हवा के ऑक्सीजन द्वारा NO2 में ऑक्सीकृत हो। जाता है। यह NO2 जल में घुलकर नाइट्रिक एवं नाइट्रस अम्ल (HNO3 एवं HNO2) में परिणत हो जाता है। यह मिट्टी में उपस्थित चूना या अन्य क्षारीय पदार्थों से संयोग कर नाइट्राइट एवं नाइट्रेट बनाते हैं, जिसे पौधे ग्रहण करते हैं।
  2. नाइट्रिक अम्ल (Nitric Acid): प्रयोगशाला में नाइट्रिक अम्ल का औद्योगिक पैमाने पर उत्पादन की तीन विधियाँ हैं, ये हैं- (i) ओस्टवाल्ड विधि (Ostvvald Process) (ii) बर्कलैंड आइड विधि (Birkeland Eyde Process) (iii) वकयंत्र (Retort Process) सान्द्र नाइट्रिक अम्ल में थोड़ा स्टार्च (starch) मिलाकर मिश्रण का स्रवण करने पर सधूम नाइट्रिक अम्ल (Fuming Nitric Acid) प्राप्त होता है। नाइट्रिक अम्ल एक भास्मिक अम्ल है। यह एक प्रबल ऑक्सीकारक भी है।

नाइट्रिक अम्ल का उपयोग: (i) कई धातुओं के लिए घोलक के रूप में (ii) प्रयोगशाला में प्रतिकारक के रूप में (iii) नाइट्रेट्स के उत्पादन में (iv) सोने एवं सिल्वर को शुद्ध करने में (v) तांबा, पीतल, कांसा आदि के ऊपर चित्र बनाने या नाम लिखने में (vi) डायनामाइट, पिक्रिक अम्ल (TNP), ट्राइनाइट्रो टॉल्वीन (TNT), ट्राइनाइट्रो बेन्जीन (TNB) आदि विस्फोटकों के निर्माण में।

  1. अम्लराज (Aquaregia): एक आयतन सान्द्र नाइट्रिक अम्ल तथा तीन आयतन सान्द्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल को मिश्रित करने पर जो मिश्रण प्राप्त होता है, उसे अम्लराज या Aquaregia कहते हैं। अम्लराज में सोना, प्लेटिनम आदि धातु घुल जाते हैं।
  2. नाइट्रस अम्ल (Nitrous Acid): नाइट्रस अम्ल बहुत ही अस्थायी होता है। इस कारण इस अम्ल को आवश्यकता पड़ने पर ही बनाया जाता है। नाइट्रस अम्ल (HNO3) ऑक्सीकारक एवं अवकारक दोनों प्रकार के गुण प्रदर्शित करता है। नाइट्रस अम्लों के लवण नाइट्राइट कहलाते हैं।

नोट:

  • कार्बन डाइसल्फाइड के साथ नाइटिक ऑक्साइड को मिश्रित कर उसका उपयोग फ्लैश फोटोग्राफी (Flash Photography) में किया जाता हैI
  • सिन्द्री (झारखंड) के उर्वरक कारखाने में अमोनियम सल्फेट का उत्पादन किया जाता है।
  • सोडियम नाइट्रेट (NaNO3) को चिली साल्टपीटर कहा जाता है। इसे सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर नाइटिक अम्ल बनता है।
  • कैल्सियम नाइट्रेट (Ca(NO3)2] को नार्वेजियन साल्टपीटर कहते हैं।
  • पोटैशियम नाइट्रेट (KNO3) को शोरा कहते हैं।
  • अमोनियम कार्बोनेट को स्मेल्टिंग साल्ट कहते हैं।
  • हाइड्राजीन (Hydrazine) का प्रयोग रॉकेट इंधन के रूप में होता है।
  • अमोनियम क्लोराइड (NH4CI) तथा क्लोरोस्टैनिक अम्ल को सान्द्र विलयन से प्राप्त लवण को पिंक लवण (Pinksalt) कहा जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *