हिन्द महासागर आयोग Indian Ocean Commission – IOC

मुख्यालय: पोर्ट लुईस (मॉरीशस)।

सदस्यता: कोमोरो द्वीप समूह, फ्रांस (रीयूनियन द्वीप की तरफ से), मेडागास्कर, मॉरीशस और सिशेल्स।

उद्भव एवं विकास

हिन्द महासागर आयोग (Indian Ocean Commission—IOC) हिन्द महासागर देशों- मेडागास्कर, मॉरीशस और सिशेल्स, के मध्य हुए एक समझौते के माध्यम से जुलाई 1982 में अस्तित्व में आया। जनवरी 1984 में क्षेत्रीय सहयोग विकसित करने के लिये एक सामान्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। फ्रांस और कोमोरो द्वीप समूह जनवरी 1986 में इस आयोग के पूर्ण सदस्य बने।

उद्देश्य

हिन्द महासागर देशों के बीच सभी क्षेत्रों में, विशेषकर आर्थिक विकास के क्षेत्र में, क्षेत्रीय सहयोग संघटित और विकसित करना आईओसी का मुख्य उद्देश्य है।

संरचना


मंत्रिस्तरीय बैठक और सचिवालय आईओसी के मुख्य संगठनात्मक अंग हैं। मंत्रिस्तरीय अधिवेशन, जो नीति निर्धारक अंग का प्रतिनिधित्व करते हैं, आईओसी की गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं। ये अधिवेशन वार्षिक रूप से आयोजित होते हैं। आयोग की अध्यक्षता सदस्यों के बीच प्रत्येक वर्ष घूर्णित होती है। कार्यक्रमों का क्रियान्वयन सचिवालय के माध्यम से होता है। सचिवालय का प्रधान अधिकारी महासचिव होता है, जिसका चुनाव मंत्रिस्तरीय अधिवेशन के द्वारा 4 वर्षों के लिए होता है।

गतिविधियां

आरम्भ में आयोग ने नए एवं नवीकरण योग्य उर्जा व्यवस्था, पर्यटन प्रोत्साहन, पर्यावरणीय संरक्षण, टुना (Tuna) मत्स्य विकास और चक्रवात संबंधी सूचना के आदान-प्रदान पर बल दिया। ईयू और यूएनडीपी से प्राप्त धनराशियों के माध्यम से कई कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया गया है। क्षेत्रीय व्यापार में शुल्क और गैर शुल्क अवरोधों को समाप्त करने के लिए एक योजना पर विचार किया गया। हाल में आईओसी ने क्षेत्र में राजनीतिक उदारीकरण, क्षेत्रीय औद्योगिक परियोजना और सदस्यता-वृद्धि जैसे विषयों पर विचार करना शुरू किया है। 1991 के अंतानानारिवो शिखर सम्मेलन (AntananarivoSummit in 1991) में दक्षिण अफ्रीका की सदस्यता एक केन्द्रीय मुद्दा था। 1992 में आईओसी की संगठनात्मक संरचना की समीक्षा के लिये एक एकीकरण योजना को अनुमोदित किया गया। जून 1995 में ईयू ने एक नई आईओसी व्यापार विकास परियोजना के लिये 12 मिलियन डॉलर आवंटित किए। इस परियोजना को क्षेत्र में व्यापारिक सूचना की विश्वसनीयता और उपलब्धता में सुधार के माध्यम से निजी क्षेत्र को सहायता देने के लिये निर्मित किया गया।

हिंद महासागर आयोग (आईओसी) वर्ष 2005 में राज्याध्यक्षों के सम्मेलन द्वारा स्वीकार किए गए चार स्तंभों पर काम करता है, जिसमें शामिल हैं- राजनीतिक एवं राजनयिक सहयोग; आर्थिक एवं वाणिज्यिक सहयोग; भूमंडलीकरण के संदर्भ में सतत् विकास, कृषि, समुद्री मत्स्य के क्षेत्र में सहयोग, और पारितंत्र तथा संसाधनों का संरक्षण; प्रादेशिक सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना और सांस्कृतिक, वैज्ञानिक एवं तकनीकी, शैक्षिक, न्यायिक क्षेत्रों में सहयोग करना। आईओसी ने विभिन्न क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय संरक्षण एवं वैकल्पिक आजीविका कार्यक्रमों का वित्त पोषण किया है। वर्ष 2011 में सस्टेनेबल मेनेजमेंट ऑफ द कोस्टल जोन्स कार्यक्रम समाप्त हुआ है।

संगठन की राजनितिक एवं रणनीतिक उन्मुखताएं मंत्रिपरिषद की जिम्मेदारियों के अंतर्गत हैं, जो वार्षिक रूप से बैठक करती है और जिसकी नवीनतम बैठक जनवरी 2013 में हुई।

17 अक्टूबर, 2011 को मॉरीशस के दक्षिण में आईएमएफ रीजनल टेक्निकल असिस्टेंस सेंटर (एएफआरआईटीएसी) के शुभारंभ के मौके पर यूरोपीय संघ और आईएमएफ के बीच अनुदान समझौते (14675000 यूरो) पर सहमति हुई।

आईओसी ने फरवरी 2011 से आईओसी रणनीतिक विकास योजना (2012-2016) को तैयार किया और संचालित किया हुआ है।

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