अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा अभिकरण International Energy Agency – IEA

मुख्यालय: पेरिस (फ्रांस)।

सदस्यता: आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, फ़िनलैंड, फ़्रांस, जर्मनी, यूनान, हंगरी, आयरलैंड, इटली, जापान, लक्समबर्ग, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नार्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाक गणराज्य, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, तुर्की यूनाइटेड किंगडम, और संयुक्त राज्य अमेरिका।

पर्यवेक्षक सदस्य: ओईसीडी के सभी सदस्य तथा यूरोपीय समुदाय आयोग।

गैर-सदस्य राष्ट्र: चीन, भारत, रूस।

उद्भव एवं विकास

अंतर्राष्ट्रीय उर्जा अभिकरण (International Energy Agency—IEA) प्रमुख तेल आयातक देशों का समूह है। 1973 के अरब तेल गतिरोध, जिसके परिणामस्वरूप तेल मूल्यों में नाटकीय वृद्धि हुई थी, के बाद ओईसीडी सदस्यों ने 1979 में पेरिस (फ्रांस) में आईईए का गठन किया ।

उद्देश्य


आईईए के दो प्रमुख उद्देश्य हैं-

  1. विश्व ऊर्जा संकट के दौरान सहभागी देशों के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना, और;
  2. तेल आपूर्ति के बाधित होने की स्थिति में तेल बंटवारे के लिये एक यंत्र विकसित करना।

संरचना

शासी बोर्ड, प्रबंधन समिति और सचिवालय आईईए के प्रमुख संरचनात्मक अंग हैं। शासी बोर्ड में सदस्यं देशों की सरकारों के सभी मंत्री सम्मिलित रहते हैं। इसमें निर्णय मुख्य रूप से भारित (weighted) बहुमत के आधार पर लिये जाते हैं। वे निर्णय एक मत से लिए जाते हैं, जो सदस्य देशों पर ऐसी बाध्यता आरोपित करते हैं और जिसे मूल समझौते में सम्मिलित नहीं किया गया है। कार्यविधिक (procedural) प्रश्नों के लिये सामान्य बहुमत की आवश्यकता होती है। बोर्ड की सहायता के लिए इन घटकों की व्यवस्था की गई है-

  1. तीन स्थायी समूह, जो आपातकालीन समस्याओं, दीर्घकालीन सहयोग और तेल बाजार से संबंधित होते हैं;
  2.  दो समितियां, जो ऊर्जा और अनुसंधान एवं विकास कार्यों को देखती हैं, तथा;
  3. गैर-सदस्यीय देश।

सचिवालय का प्रधान अधिकारी कार्यकारी निदेशक होता है। इन घटकों के अतिरिक्त, आईईए के अंतर्गत एक आयात-विश्लेषण प्रणाली तथा शीघ्र अनुक्रिया यंत्र कार्यरत हैं।

गतिविधियां

यद्यपि विश्व मंदी, तेल आधिक्य तथा बढ़ती ऊर्जा दक्षता के कारण नए ऊर्जा संकट का भय कम हो गया है, तथापि, आईईए ने 1980 के दशक में ऊर्जा संरक्षण आत्म-संतुष्टि के विरुद्ध चेतावनी दी। आईईए ने 1990 में खाड़ी युद्ध से उत्पन्न ऊर्जा संकट को टालने के लिये एक आकस्मिक योजना को स्वीकृति दी, जिसमें ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म के समाप्त होने तक प्रतिदिन 2.5 मिलियन बैरल तेल की अतिरिक्त आपूर्ति का प्रावधान था। आपूर्ति-सुरक्षा के नाम से ज्ञात यह योजना अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल सिद्ध हुई थी। मार्च 1991 में खाड़ी युद्ध की समाप्ति के बाद आईईए ऊर्जा मंत्री अपने गैर-आईईए प्रतिरूपों (counterparts) से पर्यावरण मुद्दों और ऊर्जा दक्षता के विकास पर नियमित रूप से चर्चा करने के लिये तैयार हुये। हाल के वर्षों में आईईए नाभिकीय ऊर्जा विषयों के मूल्यांकन में सक्रिय रहा है, क्योंकि ऊर्जा उत्पादक नाभिकीय रिएक्टर के उपयोग के लिये सरकारी और लोक समर्थन में कमी आई है। अभिकरण के 1994 के आकलन के अनुसार वर्ष 2010 तक विश्व में ऊर्जा की खपत में 30 से 35 प्रतिशत की वृद्धि होगी, जिससे कार्बन-डाई-ऑक्साइड के उत्सर्जन में वृद्धि होगी। वर्तमान में आईईए के समक्ष सबसे बड़ा चिन्ता का विषय है-ऊर्जा उत्पादन से उत्पन्न प्रदूषण को कम करना। चूंकि पर्यावरण संरक्षण आइईए का प्रमुख उद्देश्य बन गया है, अतः, अभिकरण ने 1997 में पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा उत्पादन तकनीकों के माध्यम से ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिये अंतरराष्ट्रीय सरकारी और निजी सहयोग की अपील की।

केवल ओईसीडी के सदस्य देश ही आईईए के सदस्य बन सकते हैं। केवल चिली, एस्टोनिया, आइसलैंड, इजरायल, मेक्सिको और स्लोवेनिया को छोड़कर सभी ओईसीडी सदस्य राष्ट्र आईईए के सदस्य हैं। वर्ष 2013 में एस्टोनिया को 29वें सदस्य बनाने के लिए आमंत्रित किया गया।

जैसाकि वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों (नवीकरणीय ऊर्जा भी शामिल) के प्रोत्साहन, तार्किक ऊर्जा नीतियां, और बहुराष्ट्रीय ऊर्जा तकनीकी सहयोग में आईईए की एक व्यापक भूमिका है।

आईईए सदस्य देशों से अपेक्षा की जाती है कि वे विगत् वर्ष के कम से कम 90 दिनों के बराबर हुए कुल आयात के बराबर कुल तेल भंडार को बनाए रखें। जुलाई, 2009 के अंत तक आईईए सदस्य देशों का संयुक्त तेल भंडार लगभग 4,300,000,000 बैरल (680,000,000 M­­3) था।

आईईए ने कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने के लिए सदस्य देशों और सहयोगी राष्ट्रों के साथ मिलकर कम लागत पर और दक्ष अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय ऊर्जा नीतियों के निर्माण को प्रोत्साहित किया है जिससे कार्बन कैप्चर एण्ड स्टोरेज, ट्रेडिंग मैकेनिज्म और स्वच्छ निम्न कार्बन तकनीकियां शामिल हैं।

आईईए का फोटोवोल्टोइक सौर ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करने के विभिन्न संयुक्त कार्यक्रमों को आयोजित करते रहे हैं।

आईईए के एनर्जी कंजर्वेशन यूएनर्जी कनवर्जन प्रोग्राम (ईसीईएस) ने 20 विकासपरक संयोजन किए हैं जिसमे मौसमी तापीय उर्जा भण्डारण’ को संवेदनशील उर्जा के तौर पर और साथ ही साथ गुप्त ऊष्मा और वैद्युत ऊर्जा के भंडारण को भी शामिल किया है।

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