यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ European Free Trade Association – EFTA

इस संघ की स्थापना सदस्य देशों के मध्य पारस्परिक व्यापार की उदार बनाने के उद्देश्य से की गयी थी। लेकिन अधिकांश संस्थापक सदस्यों के यूरोपीय संघ (ईयू) में सम्मिलित हो जाने के परिणामस्वरूप इसके सदस्यों की संख्या केवल चार रह गयी है।

मुख्यालय: जेनेवा (स्विट्जरलैंड)।

सदस्यता: आइसलैंड, लिचेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड।

भाषा: जर्मन, फ्रेंच, और नार्वेइयाई।

उद्भव एवं विकास

ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और युनाइटेड किंगडम ने 1960 में स्टॉकहोम (स्वीडन) में यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European FreeTrade Association— EFTA) स्थापित करने के लिये एक अभिसमय पर हस्ताक्षर किए, जिसका एकमात्र लक्ष्य था-गैर-कृषि वस्तुओं में आंतरिक व्यापार अवरोधों को समाप्त करना। ये सात सदस्य ऐसे यूरोपीय देश थे, जो तत्कालीन यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ईईसी) के ढांचे से बाहर रहना चाहते थे, क्योंकि ईईसी की सदस्यता के साथ कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक बंधन (obligations) जुड़े थे। आइसलैंड और लिचेस्टीन ने क्रमशः 1970 तथा 1991 में एफ्टा की सदस्यता ग्रहण की, जबकि ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, पुर्तगाल, स्वीडन और ग्रेट ब्रिटेन यूरोपीय समुदाय (ईसी) में प्रवेश पाने के लिये इस संघ से अलग हो गये। फिनलैंड ने पहले इसकी सदस्यता ग्रहण की लेकिन फिर इससे अलग हो गया।

आज्ज एफ्टा के आइसलैंड, लिचेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंडसदस्य देश हैं, जिसमे नार्वे और स्विट्जरलैंड इसके संस्थापक सदस्य रहे हैं। एफ्टा के सदस्य देशों के कई अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते हैं। एफ्टा देश यूरोपीय संघ के आंतरिक बाजार के हिस्से हैं। आइसलैंड, लिचेस्टीन और नॉर्वे यूरोपियन इकोनॉमिक एरिया (ईईए) पर समझौते के माध्यम से और स्विट्जरलैंड द्विपक्षीय समझौते के एक समुच्चय के द्वारा इससे जुड़े हैं।


यूरोपियन इकोनॉमिक कम्युनिटी (ईईसी) पर डेनमार्क और यूनाइटेड किंगडम के शामिल होने के बाद, एफ्टा निष्फल होने लगा। इस कारण अधिकतर देशों ने ईईसी से जुड़ने की तैयारी के तौर पर अपने व्यापार शुल्क कम या हटाने शुरू कर दिए, लेकिन इससे राजस्व में कमी आई जिसने एफ्टा के महत्व को कम कर दिया। चार सदस्य देशों में से आइसलैंड ने 2008-2011 के आइसलैंड के वितीय संकट के चलते वर्ष 2009 में यूरोपीय संघ (ईयू) की सदस्यता के लिए आवेदन कर दिया।

आस्ट्रिया, डेनमार्क, नार्वे, पुर्तगाल, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड और यूनाइटेड किंगडम  एफ्टा के संस्थापक सदस्य थे। फिनलैंड 1961 में सहायक सदस्य और 1986 में पूर्ण सदस्य बना। आइसलैंड ने 1970 में एफ्टा की सदस्यता ली। यूनाइटेड किंगडम और डेनमार्क ने 1973 में ईईसी की सदस्यता ले ली और इस प्रकार एफ्टा की उनकी सदस्यता समाप्त हो गई। पुर्तगाल ने भी 1986 में ईईसी के लिए एफ्टा को छोड़ दिया । लिचेंस्टीन 1991 में एफ्टा में शामिल हुआ। ऑस्ट्रिया, स्वीडन और फिनलैंड 1995 में ईयू से जुड़ गए और इसलिए एफ्टा से उनकी सदस्यता समाप्त हो गई।

नॉर्वे ने दो बार, 1978 और 1995 में ईयू की सदस्यता प्राप्त करने का प्रयास किया, और ऐसा करने के लिए एफ्टा को छोड़ दिया। दोनों बार, राष्ट्रीय जनमत संग्रह में ईयू की इसकी सदस्यता निरस्त कर दी गई, जिससे नॉर्वे एफ्टा में बना रहा। यदि उनमें संपूर्ण बातचीत होती है, और सभी देश एक्सेशन ट्रीटी की पुष्टि कर देते हैं तो, वे एफ्टा को छोड़कर ईयू की सदस्यता ग्रहण कर लेंगे। दिसंबर 2013 की स्थिति के अनुसार, आइसलैंड और ईयू के बीच बातचीत आइसलैंड के विदेश मंत्री के अनुरोध पर रोक दी गई।

1994 और 2011 के बीच एंडोरा, सैन मरीनो, मोनाको, इजले ऑफ मैन, मोरक्को, तुर्की, इजरायल और अन्य ईएनपी सहभागियों के संदर्भ में एफ्टा की सदस्यता पर विचार किया गया।

2005 के मध्य में, फेरो द्वीप के प्रतिनिधि ने इस बात की ओर संकेत किया कि उनका क्षेत्र एफ्टा में शामिल हो सकता है। नवम्बर, 2012 में, यूरोपीय लघु देशों के साथ ईयू के संबंधों के मूल्यांकन का आह्वान करने के बाद, यूरोपीय आयोग ने ईयू में लघु यूरोपीय देशों के एकीकरण शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इसके प्रत्युत्तर में, कौंसिल ने तीन लघु राज्यों के ईयू में एकीकरण को लेकर बातचीत जारी रखने का निवेदन किया और 2013 के अंत तक रिपोर्ट तैयार कर ली गई जिसमें निहितार्थों एवं अनुसंशाओं का वितरण है कि कैसे शुरुआत करनी है।

एफ्टा ने गैर-ईयू देशों के साथ कई मुक्त व्यापार समझौते किए हैं, साथ ही साथ व्यापार में सुधार हेतु सहयोग एवं संयुक्त कार्यसमूहों पर घोषणाएं भी की हैं। वर्तमान में, एफ्टा ने यूरोपियन यूनियन के 28 सदस्य देशों के अतिरिक्त, 29 देशों और क्षेत्रों के साथ प्रीफेरेंशियल ट्रेड रिलेशन स्थापित कर लिए हैं।

उद्देश्य

एफ्टा का उद्देश्य सदस्य देशों में गैर-कृषि व्यापार के अवरोधों को समाप्त करके आर्थिक विस्तार, पूर्ण रोजगार और उच्च जीवन स्तर को प्रोत्साहन देना है।

संरचना

परिषद् जिसमे सभी देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित रहते हैं, एफ्टा सदस्यों के मध्य मुक्त व्यापार क्षेत्र के संचालन के निरीक्षण के लिये उत्तरदायी होती है। परिषद के निर्णय सदस्यों के लिये बाध्यकारी होते हैं। परिषद की सहायता के लिये कई स्थायी समितियां होती हैं। सलाहकार समिति संघ और सदस्य देशों के मुख्य आर्थिक सहभागियों (economicplayers) के मध्य सूचना एवं विचारों के आदान-प्रदान को सरल बनाती है।

एफ्टा देशों के सासंदों की समिति की वर्ष में एक बार बैठक होती है। यह सदस्य देशों की संसदों और संघ के मध्य समन्वय स्थापित करती है।

जेनेवा स्थित एफ्टा का सचिवालय प्रशासनिक कार्य करता है।

गतिविधियां

सदस्य देशों के मध्य गैर-कृषि उत्पादों में मुक्त व्यापार स्थापित करने का लक्ष्य 1966 में पूरा हो गया । एफ्टा का एक अन्य लक्ष्य था-ईईसी के साथ सहयोग स्थापित करना। इस दिशा में 1984 में एफ्टा-ईसी घोषणा हुई, जिसमें संपूर्ण पश्चिमी यूरोप के लिये एक उन्मुक्त आर्थिक क्षेत्र गठित करने का निर्णय लिया गया। 1992 में यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (ईईए) पर ईईसी और एफ्टा के सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर किए तथा जनवरी 1994 में ईईए प्रभाव में आ गया (यद्यपि स्विट्जरलैंड ने भी इस समझौता पर हस्ताक्षर किए थे, तथापि, देश के जनमत-संग्रह ने उसे अस्वीकार कर दिया)।

ईईए समझौता सम्पूर्ण एफ्टा और ईयू में वस्तुओं, सेवाओं, पूंजी, और श्रम के स्वतंत्र आवागमन की अनुमति देता है। ईईए समझौते में यह प्रावधान भी है कि एफ्टा कंपनी नियम, उपभोक्ता संरक्षण, शिक्षा, पर्यावरण, अनुसंधान और विकास एवं सामाजिक नीति के विषयों में ईयू के नियमों को धारण कर ले। इनके अतिरिक्त, ईईए समझौता एफ्टा को एफ्टा निगरानी प्राधिकरण तथा एफ्टा न्यायालय गठित करने की अनुमति देता है। साथ ही, एफ्टा देश ईयू की सामूहिक कृषि नीति और सामूहिक मत्स्य नीति का अनुसरण करने के लिये बाध्य नहीं है।

एफ्टा हंगरी, चेक गणराज्य स्लोवाकिया (एफ्टा और अविभाजित चेकेस्लोवाकिया के बीच स्थापित संबंध चेकेस्लोवाकिया के  विभाजन के परिणामस्वरूप दो इकाइयों-चेक गणराज्य एवं स्लोवेकिया, में निहित कर दिए गए हैं), पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, और लातविया तथा अन्य देशों के साथ संबंध स्थापित करता है। तुर्की, इजरायल, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, पोलैंड, रोमानिया, बुल्गारिया, हंगरी आदि देशों के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते किये गये हैं। एफ्टा ने जीसीसी के साथ भी संपर्क स्थापित किया है तथा कनाडा के साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करने के लिये औपचारिक वार्ताएं चल रही हैं। अगर ये वार्ताएं सफलतापूर्वक सम्पन्न होती हैं तो उत्तरी अमेरिका और यूरोप के मध्य प्रथम पार-अटलांटिक मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित हो पायेगी।

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