भारत-भूटान सम्बन्ध India-Bhutan Relations

भारत एवं भूटान के आपसी संबंध घनिष्ठ विचार-विमर्श, परिपक्वता, पूर्ण विश्वास और आपसी समझ पर आधारित हैं और वे आदर्श पड़ोसी के संबंधों का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन संबंधों को नियमित यात्राओं एवं विचार-विमर्श द्वारा मधुर एवं नियमित रखने का लगातार प्रयास किया गया है। भारत एवं भूटान के बीच आर्थिक सहयोग में निरंतर वृद्धि हुई है। भारत द्वारा 1961 से ही भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं में सहायता उपलब्ध करायी जा रही है। भूटान में जल-विद्युत उत्पादन, सड़क निर्माण व अन्य सामाजिक आधारभूत सुविधाओं के क्षेत्र में भारत द्वारा मदद दी जा रही है। भूटान नरेश जिग्मे सिंघे वांगचुक 26 जनवरी, 2005 को आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे। नरेश की इस यात्रा के दौरान भूटान की 9वीं योजना हेतु भारत सरकार के सहायता पैकेज की समीक्षा की गई तथा विकास सहायता के रूप में 250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि भी दी गई। मई 2008 में भूटान में ऐतिहासिक परिवर्तन हुआ। इस दिन भूटान में चुनावों के माध्यम से प्रथम संसदीय सरकार चुनी गयी। वर्तमान में भूटान की राजनीतिक व्यवस्था राजतंत्रात्मक से लोकतंत्रात्मक हो गई है। भारत ने भूटान को लोकतंत्र के सफल कार्यान्वयन में भरसक सहायता का वचन दिया है। उल्लेखनीय है कि भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापार एवं विकास का भागीदार रहा है। हाल ही में भारत सरकार ने 2020 तक भूटान में 10,000 मेगावाट विद्युत उत्पन्न करने की प्रतिबद्धता की।

अगस्त, 2011 में नई दिल्ली में आयोजित भारत-भूटान द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में भारत ने भूटान के निवेदन पर सहमति जताते हुए डालू एवं घासूपारा लैन्ड कस्टम स्टेशनों का उपयोग भूटानी कागों के लिए तथा चार अतिरिक्त प्रवेश/निकास बिंदु के नोटिफिकेशन पर सहमति दी। 68 प्रमुख सामाजिक आर्थिक सेक्टर प्रोजेक्ट तथा कृषि, सूचना एवं संचार तकनीकी (आईसीटी), मीडिया, स्वास्थ्य, शिक्षा, उर्जा, संस्कृति तथा आधारभूत संरचना में भारत द्वारा सहायता प्रदान की जा रही है। लघु विकास प्रोजेक्ट (एसडीपी) के अंतर्गत देश के 20 जिलों एवं 205 ब्लॉकों में 1900 प्रोजेक्टों के लिए भारत द्वारा भूटान को अनुदान दिया जा रहा है। पुनतसांगचू-1 हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (एचईपी) पूर्ण गति पर है। तथा पुनतसांगचू-2 तथा मांगदेचू हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट भी बेहतर तरीके से प्रगति पर है। इस प्रकार दोनों देश भूटान में वर्ष 2020 तक लगभग 10,000 मेगावाट बिजली के संयुक्त उत्पादन के लक्ष्य के करीब है, जिसका निर्यात भारत की किया जा सकेगा।

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