भारत का संविधान – भाग 4क मूल कर्तव्य

[1][भाग  4क

मूल कर्तव्य

51क. मूल कर्तव्य —भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह–

(क) संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे ;

(ख) स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका फालन करे;

(ग) भारत की प्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे ;

(घ) देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे ;


(ङ) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातॄत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है ;

(च) हमारी सामासिक संस्कॄति की गौरवशाली परंफरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करे ;

(छ) प्राकॄतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका

संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे ;

(ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे ;

(झ) सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे ;

(ञ) व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलाब्धि की नई ऊंचाइयों को छू ले ;

[2][(ट) यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे ।]

 


[1] संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 11 द्वारा (3-1-1977 से) अंतःस्थापित ।

[2] संविधान (छियासीवां संशोधन) अधिनियम, की धारा 4 द्वारा (अधिसूचना की तारीख से) अंतःस्थापित किया जाएगा ।

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