मध्यान्ह भोजन योजना Mid Day Meal Scheme

पोषाहार सहायता का राष्ट्रीय कार्यक्रम जिसे सामान्य तौर पर मध्यान्ह भोजन (एमडीएम) योजना के नाम से जाना जाता है,15 अगस्त, 1995 से शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य सरकारी, स्थानीय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की प्राथमिक कक्षाओं में छात्रों की पोषाहार स्थिति सुधार कर प्राथमिक शिक्षा के व्यापीकरण को बढ़ावा देना है। अक्टूबर 2002 से इस कार्यक्रम को ईजीएस तथा अन्य वैकल्पिक अध्ययन केन्द्रों में अध्ययन करने वाले बच्चों तक बढ़ा दिया गया। भारतीय खाय निगम के माध्यम से, जहां पका भोजन उपलब्ध कराया जाता है, वहां 100 ग्राम प्रति बच्चे, प्रति स्कूल, प्रतिदिन की दर से और जहां खाद्यान्न वितरण किया जाता है, वहां, 3 किलोग्राम प्रति छात्र प्रति मास की दर से, निःशुल्क खाद्यान्न की आपूर्ति द्वारा केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।

विद्यालयों में मध्याह भोजन का राष्ट्रीय कार्यक्रम लगभग 9.70 करोड़ ऐसे बच्चों को कवर करता है जो 9.50 लाख सरकारी (स्थानीय निकायों सहित), सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों और शिक्षा गारंटी योजना (ईजीएस) एवं वैकल्पिक तथा नवीन शिक्षा योजनाओं (एआईई) के अंतर्गत चलाए जा रहे केंद्रों में शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। 1 अक्टूबर, 2007 से इस कार्यक्रम का विस्तार शिक्षा के उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों (कक्षा 5 से 8 तक) के लिए 3479 शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों (ईबीबी) में किया गया था।

कार्यक्रम में प्राथमिक स्तर पर बच्चों को 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन का मध्याह भोजन उपलब्ध कराया जाता है। प्राथमिक स्तर से ऊपर के बच्चों के लिए 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन का पोषाहार निश्चित किया गया है। कार्यक्रम के अंतर्गत लौह, फोलिक एसिड और विटामिन-एजैसे सूक्ष्म-पोषक तत्वों की पर्याप्त मात्रा की भी सिफारिश की गई है। पोषाहार मानदंडों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार प्रति प्राथमिक विद्यालय बालक/विद्यालय दिवस 100 ग्राम की दर से और प्रति प्राथमिक विद्यालय से ऊपर के बालक/विद्यालय दिवस 150 ग्राम की दर से खाद्यान्न उपलब्ध कराती है।

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