मंत्री परिषद Councils Of Ministers

भारतीय संविधान मेँ ब्रिटिश संसदीय प्रणाली की तरह ही संसदीय प्रणाली की सरकार का प्रावधान है। जिसमेँ प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद को राजनीतिक प्रशासनिक प्रणाली मेँ वास्तविक कार्यकारी के प्राधिकार प्राप्त हैं।

संरचना Composition

  • मंत्रिपरिषद मेँ 3 श्रेणी के मंत्री शामिल होते हैँ। कैबिनेट स्तर के मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री। इनका दर्जा, और नकी राजनीतिक महत्ता अलग-अलग होती है।
  • इन मंत्रियोँ मेँ सर्वोपरि प्रधानमंत्री होता है जो देश के सर्वोच्च शासक होता है।
  • मंत्रिमंडल स्तर के मंत्री केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों, जैसे- गृह, रक्षा, वित्त, विदेश तथा अन्य मंत्रालयों के प्रमुख होते हैँ।
  • ये मंत्री मंत्रिमंडल के सदस्य होते हैँ, इसकी बैठकोँ मेँ शामिल होते हैँ तथा नीति निर्धारण मेँ महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैँ। इस प्रकार इनकी जिम्मेदारी का विस्तार केंद्र सरकार के पूरे कार्य क्षेत्र मेँ होता है।
  • राज्य मंत्रियोँ को मंत्रालय / विभागों के भागोँ के स्वतंत्र प्रभार सौंपे जाते हैं अथवा वे कैबिनेट मंत्रियोँ के साथ संबद्ध किए जाते हैँ। सम्बद्ध किए जाने की स्थिति मेँ उन्हें कैबिनेट मंत्रियोँ की अध्यक्षता वाले मंत्रालय के विभागोँ का प्रभार सौंपा जाता है या उस विभाग का कोई कार्य सौंपा जाता है।
  • इन दोनो ही स्थिति हो मेँ राज्यमंत्री को कैबिनेट मंत्रियोँ के निर्देशन मेँ ही कार्य करना होता है। स्वतंत्र प्रभार की स्थिति में राज्य मंत्री को वहीँ शक्तियाँ प्राप्त होती है जो कैबिनेट मंत्रियोँ को प्राप्त होती हैं। राज्यमंत्री कैबिनेट मंत्रिमंडल के सदस्य नहीँ होते, न ही कैबिनेट की बैठक मेँ शामिल होते हैँ। राज्य मंत्री के मंत्रालयोँ / विभागोँ से जुड़े मामलोँ पर विचार के समय उसे मंत्रिमंडल की बैठक मेँ बुलाया जाता है।
  • राज्य मंत्रियोँ के बाद उप मंत्रियोँ का दर्जा आता है। इन्हें मंत्रालयोँ / विभागोँ का स्वतंत्र प्रभार नहीँ दिया जाता है। इन्हें कैबिनेट स्तर के मंत्रियों तथा राज्य स्तर के मंत्रियोँ के साथ संबद्ध किया जाता है, जो प्रशासनिक, राजनीति और संसदीय कार्योँ मेँ मदद करते हैँ।
  • उपमंत्री कैबिनेट के सदस्य नहीँ होते और न ही कैबिनेट की बैठकों मेँ शामिल होते हैँ। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि उक्त 3 श्रेणी के मंत्री के अतिरिक्त एक श्रेणी और है जिसे संसदीय सचिव कहते हैँ। ये मंत्रिपरिषद के अंतिम श्रेणी (जिसे मंत्रालय भी कहा जाता है) के सदस्य होते हैं। इनके नियंत्रण मेँ कोई विभाग नहीँ होता है। इसलिए इन्हें वरिष्ठ मंत्रियोँ के साथ उनके संसदीय कार्यों मेँ मदद के लिए संबद्ध किया जाता है।
  • 1967 के बाद, राजीव गांधी के कार्यकाल की के प्रथम चरण को छोडकर संसदीय सचिव की नियुक्ति नहीँ हुई है।
  • मंत्रिपरिषद मेँ कभी उपप्रधानमंत्री का पद भी हुआ करता था, जिसके अनुसार नेहरुजी की मंत्रिपरिषद मेँ सरदार पटेल, इंदिरा गांधी की मंत्रिपरिषद मेँ मोरारजी देसाई, मोरारजी देसाई की मंत्रिपरिषद मेँ चरणसिंह, चरणसिंह की मंत्रिपरिषद मेँ जगजीवन राम, वी. पी. सिंह की मंत्रिपरिषद मेँ देवीलाल तथा ए. बी. वाजपेई की मंत्रीपरिषद में एल. के. आडवाणी उपप्रधानमंत्री के पद पर रहे थे।
  • उप प्रधानमंत्री की नियुक्ति मुख्यतया राजनीतिक कारणों से की जाती है।

मंत्रिपरिषद बनाम मंत्रिमंडल Council of Ministers vs. Cabinet

  • मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल शब्द एक जैसे लगते हैँ, किंतु इनमेँ निश्चित भेद है। मंत्रिपरिषद और मंत्रिमंडल दोनों अपनी संरचना कार्य और भूमिका के संदर्भ मेँ एक दूसरे से भिन्न हैं।

मंत्रिमंडल की भूमिका Role of Cabinet

  • मंत्रिमंडल हमारी राजनीतिक प्रशासनिक प्रणाली मेँ सरवोच्च निर्माण सत्ता है।
  • यह केंद्रीय सरकार की प्रमुख नीति नियामक संस्था है।
  • यह केंद्रीय सरकार की सर्वोच्च कार्यकारी सत्ता है।
  • यह केंद्रीय प्रशासन के बीच प्रमुख समन्वयकर्ता है।
  • यह राष्ट्रपति को सलाह देने वाली संस्था है, तथा इसकी सलाह मानने के इसकी सलाह मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य है।
  • आपातकाल के दौरान मंत्रिमंडल प्रमुख संकट विमोचक का कार्य करता है।
  • मंत्रिमंडल, विधायी और वित्तीय मामलोँ से जुड़े प्रमुख कार्यो को देखा है।
  • संवैधानिक प्राधिकारियोँ और सचिवालय के वरिष्ठ प्रशासक जैसे उच्च पदो पर नियुक्ति के मामले मेँ मंत्रिमंडल अपना नियंत्रण रखता है।
  • मंत्रिमंडल, विदेश नीति और उससे जुड़े कार्यो को भी देखता है।
मंत्रिपरिषद बनाम मंत्रिमंडल
मंत्रिपरिषद मंत्रिमंडल
इसमें 60 से 70 मंत्री होते हैं इसलिए इसका आकर बड़ा होता है इसका आकार छोटा होता है, जिसमें 15-20 मंत्री होते हैं।
इसमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उपमंत्री-तीनों श्रेणियों के मंत्री शामिल होते है इसमें केवल कैबिनेट मंत्री ही शामिल होता हैं। यह मंत्रिपरिषद का भाग होता है।
इसमें सरकारी कार्यों के निष्पादन के लिए बैठकें नहीं होती हैं। इसकी सामूहिक जिम्मेदारी भी नहीं होती है। इसकी बैठक सप्ताह में एक बार सरकारी कार्यों से सम्बंधित निर्णय लेने के लिए होती है। इसकी सामूहिक जिम्मेदारी होती है।
इसे सिद्धान्तः सभी शक्तियाँ प्राप्त होती है यह मंत्रिपरिषद की शक्तियों का प्रयोग कर मंत्रिपरिषद के लिए ही कार्य करती है
इसके कार्यों का निर्धारण मंत्रिमंडल द्वारा किया जाता है। यह नीतिगत निर्णय ;लेकर मंत्रिपरिषद को निर्देशित करती है। जिसका अनुपालन सभी मंत्रियों को करना पड़ता है।
यह कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णयों को कार्यान्वित करती है। यह अपने द्वारा लिए गए निर्णयों का कार्यान्वयन मंत्रिपरिषद द्वारा किए जाने के तथ्य की निगरानी करती है।
संविधान में इसके आकर और वर्गीकरण का यद्यपि उल्लेख नहीं है। किन्तु समय और स्थिति के अनुसार इसके आकार का निर्धारण प्रधानमंत्री द्वारा किया जाता है। तीन स्तरीय संस्था के रूप में इसका वर्गीकरण ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर आधारित है। इसको विधायी समर्थन प्राप्त है। इस प्रकार वेतन और भत्ते से सम्बंधित अधिनियम 1952 में मंत्री शब्द को मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में परिभाषित किया गया। भले ही इसे किसी नाम से पुकारा जाए। इसमें उपमंत्री का भी प्रावधान किया गया है इसे 44वें संविधान (संशोधन) अधिनियम 1978 के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 352 में शामिल किया गया था। इस प्रकार मूल संविधान में इसे स्थान नहीं मिला था। अनुच्छेद 352 में भी कैबिनेट की परिभाषा इस उल्लेख के साथ डी गयी है कि – यह प्रधानमंत्री और कैबिनेट स्तर के मंत्रियों, जिन्हें अनुच्छेद 75 के तहत शामिल किया गया है, की परिषद् / मंडल है। इसकी शक्तियों और कार्यों का उल्लेख नहीं है। दूसरे शब्दों में, हमारे राजनितिक प्रशासनिक प्रणाली में मंत्रिमंडल की भूमिका ब्रिटेन में विकसित संसदीय प्रणाली की सरकार की परंपरा पर आधारित है।
इसकी सामूहिक जिम्मेदारी संसद के निचले सदन के प्रति है। संसद के निचले सदन के प्रति यह मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी को लागू करती है।

किचन कैबिनेट Kitchen Cabinet

  • औपचारिक रुप से माना जाए तो कैबिनेट मेँ 15 से 20 अतिमहत्वपूर्ण मंत्रियों, जिसमें प्रधानमंत्री प्रमुख होता है, की एक छोटी सी संस्था है, जो सर्वोच्च स्तर पर निर्णय लेने का कार्य करती है।
  • इसके अतिरिक्त व्यवहारिक रूप से इससे भी छोटी संस्था आंतरिक कैबिनेट या किचन कैबिनेट है जो वास्तव में सत्ता का केंद्र बन गई है। इसका अनौपचारिक संस्था मेँ प्रधानमंत्री तथा उसके विश्वास के पात्र 2-4 प्रभावी सहयोगी होते हैँ। जिसके साथ प्रधानमंत्री प्रत्येक समस्याओं पर विचार विमर्श करता है।
  • किचन कैबिनेट  प्रधानमंत्री को राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विषयों पर परामर्श देता हैँ तथा महत्वपूर्ण निर्णय लेने प्रधानमंत्री की मदद करता है।
  • किचन कैबिनेट मेँ न केवल कैबिनेट मंत्री बल्कि प्रधानमंत्री के मित्र और परिवार के सदस्य भी शामिल होते हैँ।
  • भारत मेँ सभी प्रधानमंत्रियोँ ने आंतरिक कैबिनेट अर्थात घेरे के अंदर की घेरे का प्रबंध रखा था।
  • प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की आंतरिक कैबिनेट में पटेल, आजाद, आयंगर और किदवई थे। लाल बहादुर शास्त्री को वाई. बी. चह्वाण, स्वर्ण सिंह और जी. एल. नंदा पर विश्वास था। श्रीमती इंदिरा गाँधी की आंतरिक कैबिनेट (जिसे किचन कैबिनेट कहा जाने लगा था) मेँ वाई. बी. चह्वाण, उमाशंकर दीक्षित, फखरुद्दीन अली अहमद, डॉ कर्ण सिंह और अन्य शक्तिशाली व्यक्ति थे। अटल बिहारी बाजपेई के आंतरिक बजट में एल के आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज, एम एम जोशी, प्रमोद महाजन और अन्य थे।
  • प्रधान मंत्रियोँ ने आंतरिक कैबिनेट (अतिरिक्त संवैधानिक निकाय) पर इसके लाभ के आधार पर जोर दिया था। यह लाभ इस प्रकार है-
  1. जहाँ अपने छोटे स्वरुप मेँ भी बड़े कैबिनेट की तुलना मेँ अधिक दक्ष और प्रवीण निर्णय निर्माता निकाय है।
  2. यहाँ बड़े कैबिनेट की तुलना में अपनी अधिक बैठकें कर सरकार के कार्य संचालन का बेहतर ढंग कर सकती है।
  3. महत्वपूर्ण राजनीतिक मामलोँ पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में गोपनीयता बरतने में यह प्रधानमंत्री की सहायता करती है।
  • इसके अतिरिक्त, इसमें कुछ दोष भी हैं,
  1. यह निर्णय निर्माण की सर्वोच्च संस्था कैबिनेट के प्राधिकारों और उसकी प्रतिष्ठा को कम करती है।
  2. यह सरकारी कार्यो मेँ बाहरी व्यक्तियोँ को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अनुमति देकर विधायी प्रक्रिया मेँ बाधा पहुंचती है।
  • भारत मेँ किचन कैबिनेट की परिघटना (जहाँ निर्णय लेकर मंत्री मंडल के समक्ष अंतिम औपचारिक स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है) अद्वितीय नहीँ है।
  • यह परम्परा अमेरिका और ब्रिटेन मेँ भी है, जहाँ यह सरकारी निर्णय को प्रभावित करने की शक्ति रखती है।

मंत्रिमंडलीय समितियाँ Cabinet Committees

  • मंत्रिमंडल अपना कार्य विभिन्न समितियोँ के माध्यम से करता है। भारत मेँ मंत्रिमंडल समितियो के संदर्भ मेँ निम्नलिखित बातें उल्लेखनीय हैं-

अभिलक्षण Features


  • समितियाँ संविधानेत्तर हैँ। दूसरे शब्दोँ मेँ, संविधान मेँ उनका उल्लेख नहीँ किया गया है। तथापि इनकी स्थापना हेतु कार्य संचालन संबंधी नियमावली का प्रावधान है।
  • मंत्रिमंडलीय समितियाँ दो तरह की हैं- स्थाई समिति और तदर्थ समिति। स्थाई समिति की प्रकृति नाम अनुरुप होती है तथा तदर्थ समिति की प्रकृति और अस्थाई है।
  • विशेष समस्याओं से निबटने के लिए समय-समय पर तदर्थ समितियाँ गठित की जाती है। कार्य  समाप्त होने पर इन समसयाओं का अस्तित्व नहीँ रहता है। उदाहरणार्थ सन 1962 मेँ चीनी आक्रमण के बाद आपातकालीन समिति गठित की गई थी।
  • मंत्रिमंडल समितियो का गठन प्रधानमंत्री द्वारा समय और परिस्थिति की अपेक्षाओं के अनुसार किया जाता है। इसलिए इनकी संख्या, इनके नाम और उनकी संरचना समय-समय पर भिन्न होती है।
  • इन समितियोँ मेँ सदस्योँ की संख्या 3 से 8 तक हो सकती है। इनमेँ प्राय कैबिनेट स्तर के मंत्री होते हैँ। तथापि उन मंत्रियों को इन समितियोँ मेँ शामिल करने की मनाही नहीँ है जिनको कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त नहीँ है।
  • इन समितियोँ मेँ केवल सम्बद्ध विषय से संबंधित प्रभारी मंत्री शामिल नहीँ होते अपितु अन्य वरिष्ठ मंत्री भी होते हैँ।
  • इन समितियोँ की अध्यक्षता प्रायः प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। कभी-कभी गृह मंत्री तथा वित्त मंत्री भी इन समितियोँ की अध्यक्षता करते हैँ, किंतु प्रधानमंत्री के यदि समिति का सदस्य है तो उसकी अध्यक्षता वही करता है।
  • ये समितियाँ केवल मामलोँ का निपटान ही नहीँ करती अपितु मंत्रिमंडल के विचारार्थ प्रस्ताव भी तैयार करती हैं और निर्णय भी लेती हैं। तथापि मंत्रिमंडल इन समितियोँ द्वारा लिए गए निर्णय की समीक्षा कर सकता है।
  • ये समितियाँ मंत्रिमंडल के कार्यभार को कम करने संबंधी सांगठनिक तंत्र है। ये समितियाँ नीतिगत मामलोँ की गहन परीक्षा और प्रभावी समन्वय कार्य को भी सुगम बनाती है। समितियाँ श्रम विभाजन और प्रभावी प्रत्यायोजन के सिद्धांत पर आधारित हैं।

समितियोँ की सूची List of Committees

वर्तमान (2015) में 6 मंत्रिमंडलीय समितियां इस प्रकार हैं-

नियुक्ति संबंधी मं‍त्रिमंडलीय समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को शामिल किया गया है।

आवास पर बनी मं‍त्रिमंडलीय समिति में राजनाथ सिंह, अरूण जेटली, एम. वैंकेया नायडू, नितिन जयराम गडकरी को शामिल किया गया है।

आर्थिक मामलों पर बनी मंत्रिमंडलीय समिति के सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा राजनाथ सिंह, सुषमा स्‍वराज, अरूण जेटली, एम. वैंकेया नायडू, नितिन जयराम गडकरी, डीवी सदानंद गौड़ा, रवि शंकर प्रसाद, अशोक गजपति राजू पूसापति, हरसिमरत कौर बादल, राधा मोहन सिंह को शामिल किया गया है। इस समिति के विशेष आमंत्रित सदस्यों में धर्मेन्‍द्र प्रधान और पीयूष गोयल को भी शामिल किया गया है।

संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति में राजनाथ सिंह, सुषमा स्‍वराज, अरूण जेटली, एम. वैंकेया नायडू, डॉ. नजमा हेपतुल्‍ला, रामविलास पासवान, अनंत कुमार और रवि शंकर प्रसाद को शामिल किया गया है। इस समिति के विशेष आमंत्रित सदस्‍यों में स्‍मृति जुबिन ईरानी, संतोष कुमार गंगवार और प्रकाश जावड़ेकर के नाम हैं।

राजनीतिक मामलों पर बनी मंत्रिमंडलीय समिति में प्रधानमंत्री, राजनाथ सिंह, सुषमा स्‍वराज, अरूण जेटली, एम. वैंकेया नायडू, नितिन जयराम गडकरी, रामविलास पासवान, रवि शंकर प्रसाद, अशोक गजपति राजू पूसापति, अंनत गीथे, हरसिमरत कौर बादल के नाम शामिल किए गए हैं।

सुरक्षा मामलों पर बनी मंत्रिमंडलीय समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्‍वराज और अरूण जेटली को शामिल किया गया है।

कार्य Functions

चार स्थायी समितियाँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण है-

  • राजनीतिक मामलोँ की की समिति घरेलू एवँ विदेशी मामलोँ से संबंधित समस्त नीतिगत मुद्दोँ पर ध्यान  केन्द्रित करती है।
  • आर्थिक मामलोँ की समिति आर्थिक क्षेत्र में समस्त सरकारी गतिविधियो के मध्य सामंजस्य स्थापित करती है एवं उच्च मार्गदर्शन प्रदान करती है।
  • केंद्रीय सचिवालय, सार्वजनिक उपक्रमोँ, बैंकोँ एवँ वित्तीय संस्थानोँ मेँ समस्त उच्च स्तरीय पदोँ पर नियुक्ति संबंधी निर्णय नियुक्ति समिति द्वारा लिए जाते हैँ।
  • संसदीय मामलोँ की समिति संसद मेँ सरकारी व्यापार (Business) की प्रगति की समीक्षा करती है।

उल्लिखित मेँ से प्रथम तीन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा तथा अंतिम समिति की अध्यक्षता गृह मंत्री द्वारा की जाती है। समस्त मंत्रिमंडल समितियो मेँ राजनीतिक मामलोँ की समिति सर्वाधिक शक्तिशाली है। इसे सुपर कैबिनेट की संज्ञा भी प्रदान की जाती है।

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