भारतीय संविधान का कार्यकरण एवं समीक्षा Functioning and Review of the Constitution
संवैधानिक परिदृश्य संविधान किसी भी शासन व्यवस्था की आत्मा के समान है जो संबधित राष्ट्र की ऐतिहासिक निरन्तरता, जनाकांक्षाओं तथा
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Read moreशक्ति पृथक्करण का सैद्धांतिक विकास मोंटेस्क्यू (Montesquieu), जो कि फ्रांस का एक प्रसिद्ध राजनीतिक दार्शनिक था, को शक्ति पृथक्करण के
Read moreमूल भारतीय संविधान में केवल 8 अनुसूचियों की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वर्तमान संविधान में अनुसूचियों की संख्या 12
Read moreसंविधान एक जीवित एवं प्रगतिशील प्रलेख होता है। देश और काल की परिवर्तित होती परिस्थितियों के अनुसार संविधानों में भी
Read moreभारत एक बहुभाषी देश है। भाषा की विविधता भारतीय समाज की विलक्षणता है। यहां भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की जनता भिन्न-भिन्न भाषा
Read moreभारतीय संविधान में सभी वगों को सामाजिक और राजनीतिक न्याय दिलाने तथा आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के उद्देश्य को ध्यान
Read moreनिर्वाचन संबंधी सांविधानिक उपबंध भारतीय संविधान ने राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए स्पष्ट प्रावधान किया है किंतु संघ
Read moreसंसदीय शासन व्यवस्था में प्रशासनिक नीतियों का निर्धारण मंत्रियों द्वारा किया जाता है परंतु देश का प्रशासन लोक सेवा अधिकारियों
Read moreआपात की व्यवस्था का आधार वस्तुतः संविधान निर्माताओं ने शांतिकाल की स्थिति में शासन व्यवस्था हेतु हमें एक विशाल, परिपूर्ण
Read moreसंघ और राज्यों की संपत्ति संविधान में संघ और राज्यों को कानूनी व्यक्ति माना गया है जो संपत्ति के स्वामी
Read moreप्रशासनिक एवं विधायी विषय अनुच्छेद 356 एवं 355 का दुरुपयोग केंद्र द्वारा संविधान के अनुच्छेद-356 का दुरुपयोग राज्य विधानसभा को
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