भारत में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ Multipurpose Project In India

दामोदर घाटी परियोजना Damodar Valley Project

दामोदर घाटी निगम (Damodar Valley Corporation) 7 जुलाई 1948 को स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय परियोजना के रूप में दामोदर नदी घाटी का विकास करने के लिए एक क़ानून के द्वारा अस्तित्व में आया| यह परियोजना भारत की अधिकतर परियोजनाओं की तरह अमेरिका की ‘टेनेसी घाटी परियोजना(Tennessee Valley Project)’ आधारित हैं, जी की जल-राशि का अधिकतम प्रयोग करने के लिये बनाई गयी हैं|

दामोदर नदी छोटा नागपुर की पहाड़ियों से निकलती है, दामोदर की सहायक नदियों में कोनार, बोकारो और बराकर प्रमुख हैं। ये नदियां गिरीडीह, हजारीबाग और बोकारो जिले से बहती है।

इस परियोजना का उद्देश्य दामोदर नदी पर बाढ़ का नियंत्रण, सिंचाई, विद्युत-उत्पादन, पारेषण व वितरण , पर्यावरण संरक्षण तथा वनीकरण, दामोदर घाटी के निवासियों का सामाजिक आर्थिक कल्याण एवं औद्योगिक और घरेलू उपयोग हेतु जलापूर्ति सुनिश्चित करना है|

दामोदर घाटी परियोजना भारत की ऐसी पहली है जहाँ कोयला, जल और गैस तीनो स्रोतों से विद्युत उत्पन्न की जाती है| यहीं मैथन में सर्वप्रथम भूमिगत विद्युत गृह बनाया गया है|

दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत 8 बाँध और एक बड़ा बैराज़ बनाया गया है| यह क्रमशः बराकार नदी पर मैथन बाँध, बालपहाड़ी पर तेलैया बाँध, दामोदर नदी पर पंचेत हिल, मैथन, ऐयर बर्मो बाँध, बोकारो नदी पर बोकारो बाँध, कोनार नदी पर कोनार बाँध तथा दुर्गापुर के निकट एक बड़ा बैराज़ बनाया गया है|

तापीय विद्युत गृह  Thermal Power station


  1. बोकारो थर्मल पावर स्टेशन A , झारखंड – 1200 M.W.
  2. बोकारो थर्मल पावर स्टेशन B , झारखंड – 630 M.W.
  3. चंद्रपुरा थर्मल पावर, झारखंड – 890 M.W.
  4. दुर्गापुर थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल – 350 M.W.
  5. दुर्गापुर स्टील थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल – 1000 M.W.
  6. मेज़िया थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल – 2340 M.W.
  7. कोडरमा थर्मल पावर, झारखंड –  500+500 M.W.
  8. रघुनाथपुर थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल – 1200 M.W.

जल विद्युत गृह Hydel Power Station

  1. तेलैया बाँध, झारखंड – 4 M.W.
  2. मैथन बाँध, झारखंड – 63.2 M.W.
  3. पंचेत बाँध, झारखंड – 80 M.W.

गैस आधारित विद्युत गृह Gas Power Station

मैथन गॅस टर्बाइन स्टेशन (Maithan Gas Turbine Station), झारखंड – 82 M.W.

दुर्गापुर बैराज़ के दोनो किनारे से नहरें निकली गयी हैं जिससे पश्चिम बंगाल व झारखंड के कई जिलों में सिंचाई होती है|

कोसी परियोजना Kosi Project

कोसी नदी को अपनो विनाशकारी बाढ़ों के लिया जाना जाता है इस कारण इस बिहार का शोक भी कहते है| इस नदी पर जल के नियंत्रण के लिए भारत और नेपाल सरकार 1954 में एक सयुंक्त समझौते पर तैयार हो गई| इस परियोजना के अंतर्गत 4 इकाइयों पर काम किया गया है|

  1. नेपाल में हनुमान नगर के निकट संपूर्ण कंक्रीट से बना 1140 मी. लंबा अवरोधक बाँध
  2. कोसी के बाएँ किनारे से नहर निकाल कर नेपाल के सप्तारी जिले और बिहार के पूर्णिया व सहरसा जिलों की सिंचाई होती है| इसी नहर पर 40 मेगावाट का विद्युत-गृह बनाया गया है|
  3. दाहिने किनारे से निकलने वाली पश्चिमी कोसी नहर से बिहार के दरभंगा और नेपाल के सप्तारी जिलों की सिंचाई होती है|
  4. पूर्वी कोसी नहर का विस्तार रजरुप नहर के रूप में कर दिया गया है| इससे बिहार के मुंगेर व सहरसा जिलों को लाभ मिल रहा है|
  5. बाढ़ को रोकने के लिए कोसी के दाहिने और बाएँ किनारों के बीच एक 240 किमी लंबा तटबंध बनाया गया है|

हीराकुंड परियोजना Hirakud Project

हीराकुंड परियोजना के अंतर्गत उड़ीसा राज्य में संबलपुर जिले से 15 किमी दूर महानदी पर हीराकुंड बाँध, तीरक.पाडा और नाराज़ 3 बाँध बनाए गये हैं| इसमें हीरकुंद बाँध महत्वपूर्ण है| इस बाँध का निर्माण सन् 1948 में शुरू हुआ तथा 1953 में पूरा हुआ और 1957 में यह बाँध पूरी तरह से कम करने लगा| इस बाँध की लंबाई 4.8 किमी. है तथा तटबंध सहित इस बाँध इसकी कुल लंबाई 25.8 किमी है | इस तटबंध के कारण 743 वर्ग किमी. लंबी एक कृतिम झील बन गयी है| इसे हीराकुंड कहते है|
हीराकुंड बाँध में दो अलग-अलग जल विद्युत-गृह हैं| यह विद्युत-गृह चिपलिम्मा नामक स्थान पर हैं| इनकी कुल क्षमता 307.5 मेगावाट है| इस विद्युत-शक्ति का उपयोग उड़ीसा, बिहार, झारखंड में विभिन्न कारखानो तथा औद्योगिक इकाइयों में किया जा रहा है| इससे तीन मुख्य नहरें निकाली गयी है| दाहिनी ओर बोरागढ़ नहर और बाईं ओर से सासन और संबलपुर नहर| इन नहरों से संबलपुर, बोलमगिरी, पूरी व कटक जिलों की सिंचाई होती है|

रिहन्द बाँध और गोविन्द बल्लभ पंत सागर Rihand Dam and Govind Ballabh Pant Sagar

यह एक ग्रॅविटी बाँध है जो की उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में पिपरी नामक स्थान पर रिहन्द नदी पर बनाया गया है| यह लगभग उत्तर-प्रदेश और मध्य-प्रदेश की सीमा पर स्थित है| इस बाँध का निर्माण 1959 से 1962 के बीच  हुआ था| यहाँ 50 X 6 = 300 M.W. के जल विद्युतगृह हैं| इस बाँध से बनने वाले जलाशय को गोविन्द बल्लभ पंत सागर या रेणु सागर भी कहते हैं| इस जलाशय के जल को सोन नहर से मिला देने पर सोन नहर की सिंचाई क्षमता बढ़ गयी है|

तुंगभद्रा परियोजना Tungbhadra Project

तुंगभद्रा बाँध तुंगभद्रा नदी पर बनाया गया है जो की कृष्णा नदी की सहायक नदी है| यह बाँध कर्नाटक में हास्पेट नामक स्थान पर है| इस बाँध का निर्माण 1953 में पूरा हुआ था| यह बाँध तुंगभद्रा नदी पर एक बहुत बड़ा जलाशय बनाता है| इस बाँध से निकालने वाली नहरों से कर्नाटक और आंध्र-प्रदेश के जिलों की सिंचाई होती है| हम्पी के निकट 8 M.W. के 9 विद्युत सयंत्र लगाए गये हैं| जो कुल मिलाकर 72 M.W.  विद्युत उत्पन्न करते हैं|

भाखड़ा नंगल बाँध परियोजना Bhakra Nangal Dam Project

भाखड़ा बाँध Bhakra Dam

भाखड़ा नांगल बाँध एक ग्रॅविटी बाँध है| यह बाँध हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले मैं सतलज़ नदी पर बनाया गया है| यह बाँध टेहरी बाँध (उँचाई 261 मी.) के बाद भारत का दूसरा सबसे उँचा बाँध है, इसकी उँचाई 255.55 मी. (740 फिट) है| इस बाँध से सतलज़ नदी का जल एक जलाशय के रूप में जमा हो जाता है जिसे गोविंद सागर कहते हैं| इस बाँध के नीचे नांगल बाँध बनाया गया है| इसका निर्माण सन् 1948 में शुरू हुआ था और 1963 में पूरा हुआ था| सन् 1970 में यह बाँध पूर्ण रूप से कम करने लगा था|| यह बाँध दुनिया के सबसे उँचे ग्रॅविटी बाँधों में से एक है| अमेरिका का हुवर बाँध (Hoover Dam)743 फिट, भाखड़ा नांगल बाँध 740 फिट| इस बाँध से बनने वाले जलाशय का नाम गुरु गोविंद सिंह के नाम पर रखा गया है| यह भारत के प्रथम इंदिरा सागर, द्वितीय नागार्जुन सागर के बाद तीसरा सबसे जलाशय है|

इस बाँध की कुल जल विद्युत उत्पादन क्षमता 1325 M.W.  है| भाखड़ा बाँध से भाखड़ा मुख्य नहर, बिस्त दोआब नहर, सरहिंद नहर, नरवाना शाखा नहर निकाली गयी हैं|

नंगल बाँध Nangal Dam

यह बाँध भाखड़ा बाँध से 13 किमी. नीचे बनाया गया है| यह भाखड़ा बाँध के लिए जल संतुलन का भी काम करता है| इस बाँध के बाई तरफ से नॅंगलजल विद्युत नहर भी निकाली गयी है| इस नहर के नीचे गंगूवाल, कोटला और रोपड़ के निकट बिजलीघर बनाए गये हैं|

भाखड़ा नॅंगल परियोजना से राजस्थान, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली आदि राज्यों में बिजली का वितरण होता है| इस बाँध से 250 छोटे-बड़े कस्बों और अनेक उद्योगों को लाभ मिलता है|

चंबल घाटी परियोजना Chambal Valley Project

चंबल नदी घाटी परियोजना के अंतर्गत 3 बाँध, 5 बिजलीघर और एक बड़ा बैराज़ बनाया गया है| यह परियोजना मध्य-प्रदेश व राजस्थान सरकार का सयुंक्त उपक्रम है| प्रथम चरण में गाँधी सागर बाँध, द्वितीय चरण में राणा प्रताप सागर बाँध और तीसरे चरण में जवाहर सागर बाँध बनाए गये थे|

गाँधी सागर बाँध Gandhi Sagar Dam

64 मी. इंचा यह बाँध राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर बनाया गया है| यहाँ पर 23 M.W. की 4 तथा 27 M.W. की एक जल विद्युत इकाइयाँ स्थापित की गयी हैं|

राणा प्रताप सागर बाँध Rana Pratap Sagar Dam

गाँधी सागर से 48 किमी. नीचे राजस्थान में चूलिया प्रपट के पास 54 मी. उँचा राणा प्रताप सागर बाँध बनाया गया है| यहाँ पर 43 M.W. की 4 विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं|

कोटा या जवाहर सागर बाँध Kota or Jawahar Sagar Dam

राणा प्रताप सागर बाँध से 26 किमी. आगे 45 मी. उँचा यह बाँध बनाया गया है| यहाँ पर 33 M.W. की 3 विद्युत इकाइयाँ स्थापित की गयी हैं|

इस तीनो बाँधों से निकलने वाले जल को कोटा बैराज़ द्वारा नियंत्रित किया जाता है| और यहाँ से निकलने वाली नहरों से राजस्थान व मध्य-प्रदेश के जिलों की सिंचाई होती है|

मयूराक्षी परियोजना Mayurakshi Project

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और वीर भूमि जिले के भयानक बाढ़ से निपटने के लिए यह परियोजना स्थापित की गयी है| छोटा नागपुर पठार से निकालने वाली नदियाँ पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर जाती हैं| इसमें मयूराक्षी प्रमुख नदी है| बरसात के जल से इस नदी का जलस्तर भयानक रूप से बढ़ जाता है| मयूराक्षी नदी पर झारखंड के दुमका के निकट मैसेनज़ोर(Massanjore) बाँध बनाया गया है| इस बाँध को कनाडा बाँध भी कहते हैं क्योंकि इस बाँध को बनाने के लिए कनाडा ने वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई थी| मैसेनज़ोर बाँध के नीचे की ओर तिलपाड़ा बैराज़ बनाया गया है| यहाँ पर 40X40 M.W. की दो विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं|

नागार्जुन  सागर परियोजना Nagarjuna Sagar Project

नागार्जुन सागर बाँध आंध्र-प्रदेश में गुंटूर और  तेलंगाना के नालगोंडा जिलों की सीमा पर नंदीकोड ग्राम के पास यह बाँध बनाया गया है| इस बाँध का निर्माण सन् 1955 और १९६७ के बीच हुआ था| इस बाँध के द्वारा नालगोंडा, प्रकाशम, खम्मम, कृष्णा, और गुंटूर जिलों की सिंचाई होती है| इस बाँध के निर्माण से प्राचीन बौद्ध शहर नागार्जुनकोंडा, जो की प्राचीन इक्ष्वाकु वंश की राजधानी थी, वह डूब गयी| यहाँ 110 M.W. की 1 और 100 M.W. की 7 जल विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी है|

जमनालाल बजाज सागर या माही परियोजना Jamnalal Bajaj Sagar or Mahi Project

इस अंतर-राज्यीय परियोजना की नींव तत्कालीन वित्तमंत्री मोरार जी देसाई के द्वारा डाली गयी थी, और इसका नाम स्वतंत्रता सेनानी जमनालाल बजाज के नाम पर रखा गया है| माही नदी राजस्थान के थार जिले मे सरदारपुरा गाँव से निकलती है| यह नदी मध्य-प्रदेश, राजस्थान, व गुजरात से होकर बहती है| इस परियोजना का निर्माण सन् 1972 में हुआ था| यह राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में राजस्थान और मध्य-प्रदेश की सीमा पर स्थित है| यहाँ पर 25 M.W. की 2 विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं| गुजरात राज्य में गुजरात और राजस्थान की सीमा पर, माही की सहायक नदी अनारा, पर बजाज सागर या कडाना बाँध बनाया गया है| यहाँ पर 45 M.W. की 2 विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी है| इन परियोजनाओं से राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर और मध्य प्रदेश के जिलों की सिंचाई होती है|

व्यास परियोजना Beas Project

व्यास परियोजना दो प्रमुख इकाइयों व्यास-सतलज़ लिंक-1 तथा व्यास-सतलज़ लिंक-2 से मिलकर बनी है| यह राजस्थान, हरियाणा और पंजाब की सम्मिलित परियोजना है, जो की रावी, सतलज़ और व्यास नदी के जल का उपयोग करने के लिए बनाई गयी है| इसमें भाखड़ा बाँध के उपर पनडोह के पास एक बाँध बनाया गया है| पनडोह बाँध के नीचे व्यास नदी पर पॉंग बाँध बनाया गया है, इससे बनने वाले जलाशय को महाराणा प्रताप सागर बाँध कहते हैं| यहाँ एक पक्षी अभ्यारण (Bird Santuary) भी बनाई गयी है| यह बाँध हिमाचल प्रदेश के तिलवाडा जिले में है| इसका निर्माण सन् 1961 में शुरू हुआ तथा 1971 में पूरा हुआ था| यहाँ पर 6 X 60 = 360 M.W. की विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं|

परम्बिकुलम अलियार परियोजना Parambikulam Aliyar Project

यह केरल और तमिलनाडु की सयुंक्त परियोजना है| यह अन्नामलाई पहाड़ियों बहने वाली 6 और नीचे मैदानों में पश्चिम की तरफ बहने वाली 2 नदियों को मोड़ कर चलाकुड़ी नदी में मिलाया गया है| इस परियोजना में 6 बाँध हैं-

  1. अलियार बाँध
  2. लोवर निरार बाँध
  3. परम्बिकुलम बाँध
  4. पेरुवारीपालम बाँध
  5. सोलायार बाँध
  6. थिरुमुथि बाँध
  7. तुनाकडावु बाँध
  8. अपर निरार बाँध
  9. अपर इरोड बाँध

इस परियोजना में परम्बिकुलम बाँध प्रमुख है| यहाँ पर परम्बिकुलम वाइल्ड लाइफ सैंचुअरी (Parambikulam Wild Life Santuary) बनाई गयी है| यह केरल के पालकाड जिले में परम्बिकुलम नदी पर है| इस परियोजना के अंतर्गत 4 विद्युत परियोजना स्थापित की गयी हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 185 M.W.| सोलायार बाँध पर 75+25 M.W. की और अलियार बाँध पर 60 M.W. की विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी है|

गंडक परियोजना Gandak Project

गंडक परियोजना की शुरूवात  सन् 1961 में हुई थी यह बिहार और उत्तर प्रदेश की सम्मिलित परियोजना है तथा इससे नेपाल को भी लाभ मिलता है| इस परियोजना कीकी निम्नलिखित इकाइयाँ हैं-

  • वाल्मीकि नगर के निकट 740 मी. लंबा एक बैराज़ बनाया गया है
  • पश्चिमी मुख्य नहर के 2 मुख्य भाग है
  1. पश्चिमी गंडक नहर – इस नहर से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, भैरहवा, महाराजगंज और कुशीनगर के जिले लाभान्वित होते हैं|
  2. सारण नहर – इस नहर से बिहार के कुछ जिलों की सिंचाई होती है
  • पूर्वी मुख्य नहर या तिरहुत नहर – इस नहर के द्वारा बिहार के चंपारण, मुज़्ज़फ़रपुर, दरभंगा, वैशाली, समस्तीपुर तथा नेपाल के परसावारा, और राउतहाटजिलों की सिंचाई होती है|
  • पूर्वी मुख्य नहर पर 15 M.W.  विद्युत क्षमता की एक इकाई लगाई गयी है|

थीन बाँध Thien Dam

इसको रणजीत सागर बाँध के नाम से भी जाना जाता है| थीन बाँध पंजाब के पठानकोट जिले में रावी नदी पर बनाया गया है| इस बाँध का निर्माण सन् 1982 में शुरू हुआ था तथा 1999 में पूरा हुआ था| इसकी निम्नलिखित इकाइयाँ हैं|

  1. रणजीत सागर बाँध
  2. रणजीत सागर बाँध प्रमुख सिंचाई योजना – जम्मू
  3. रणजीत सागर बाँध प्रमुख सिंचाई योजना – पंजाब
  4. रंजीत सागर जलाशय
  5. रावी प्रमुख सिंचाई योजना
  6. उपरी बारी दोआब नहर विद्युत गृह 1, 2, 3
  7. उपरी बारी दोआब नहर – प्रमुख सिंचाई नहर

इस परियोजना से पंजाब, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू-कश्मीर को लाभ मिलता है| यहाँ पर 150 M.W. की 4 विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं|

नर्मदा योजना  Narmada Project

नर्मदा भारत की 5वीं बड़ी नदी है जो अमरकंटक पहाड़ियों की मैकाला रेंज पश्चिम की ओर बहते हुए अरब सागर में मिल जाती है| यह नदी 87% मध्य-प्रदेश, 11% गुजरात तथा 2% महाराष्ट्र में बहती है| मध्य-प्रदेश सरकार द्वारा 1985 में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण का गठन किया गया| नर्मदा घाटी परियोजना के अंतर्गत कई बाँध और नहरें बनाई जानी हैं| इस परियोजना के पूरे हो जाने पर 15 लाख हेक्टअर भूमि की सिंचाई होगी और इससे लगभग 14500 M.W.  बिजली का उत्पादन होगा| इस परियोजना में मध्य-प्रदेश सरकार द्वारा 29 बड़े 135 मध्यम और 3000 छोटी-बड़ी परियोजनाएँ सन् 2025 तक पूरी करनी हैं| नर्मदा घाटी के अंतर्गत निर्माणाधीन 2 बड़े बाँध अधिक विवादास्पद हो गये हैं – पहला इंदिरा सागर बाँध और दूसरा सरदार सरोवर बाँध|

इंदिरा सागर परियोजना Indira sagar Project

यह मध्य प्रदेश की बहुउद्देशीय परियोजना है| यह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में मुंडी के निकट स्थित है| इस परियोजना की आधारशिला सन् 1984 में इंदिरा गाँधी ने रखी थी| यहाँ पर 125 M.W. की 8 इकाइयाँ लगाई है जिससे 1000 M.W. बिजली बनती है|

सरदार सरोवर परियोजना Sardar Sarovar Project

यह नर्मदा घाटी की सबसे बड़ी परियोजना है| नर्मदा घाटी पर बनाए जाने वाले 30 बाँधों में यह सबसे बड़ा बाँध है| यह बाँध गुजरात राज्य के भरूच जिले के नवागम नमक स्थान पर बनाया गया है| सरदार सरोवर बाँध पर 200 M.W. की 6 एवं इसकी मुख्य नहर पर 50 M.W. की 5 विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं| इनकी कुल क्षमता 1450 मेगावाट है|गुजरात सरकार इससे निकालने वाली नर्मदा नहर के किनारे किनारे तथा विभिन्न हिस्सों पर सोलर-पैनल लगा कर सौर-उर्जा गृह बनाने की योजना है|

इस परियोजना के अन्य मुख्य बाँध हैं – महेश्वर बाँध, मान बाँध, बारगी बाँध, गोई बाँध, जोबाट बाँध आदि हैं|

टिहरी परियोजना Tehri Project

इस परियोजना के अंतर्गत  उत्तर्खंड के टिहरी जिले में भागीरथी नदी पर भारत के सबसे उँचा बाँध, उँचाई 260.5 मी. (855 फिट) बनाया गया है| टिहरी जल विद्युत परियोजना के अंतर्गत 3 मुख्य इकाइयाँ स्थापीतकी गयी है-

  1. टिहरी बाँध और जल विद्युत इकाई 1000 M.W.
  2. कोटेशवर जल विद्युत परियोजना – 400M.W.
  3. टिहरी पम्प स्टोरेज परियोजना – 1000 M.W.

वर्तमान में इसकी स्थापित क्षमता 2400 M.W. है| भारत सरकार ने यहाँ अतिरिक्त 1000 M.W.  की इकाई लगाने की मंज़ूरी दे दी है| इस परियोजना पर केंद्र सरकार ने 75% व राज्य सरकार ने 25% धन व्यय किया है|| टिहरी परियोजना हिमालय के केंद्रीय क्षेत्र में स्थित है,यहाँ आस-पास 6.8 से 8.5 तीव्रता के भूकंप आने का अनुमान लगाया गया है, इस कारण इस बाँध का भारी विरोध भी हो रहा है| पर्यावरणविद मानते है की बाँध के टूटने के कारण ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर इसमें जलमग्न हो जाएँगे|

माताटीला परियोजना Matatila Project

माताटीला बाँध (Matatila Dam) सन् 1958 में बेतवा नदी पर बनाया गया था| यह उत्तर-प्रदेश और मध्य-प्रदेश की सयुंक्त परियोजना है| यह ललितपुर के निकट तलबाहाट में स्थित है| इस बाँध की 4 मुख्य इकाइयाँ हैं-

  1. भंडेर नहर, मुख्य सिंचाई परियोजना – मध्य प्रदेश
  2. माताटीला बाँध, मुख्य सिंचाई परियोजना – उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश
  3. माताटीला विद्युत गृह
  4. माताटीला जलाशय

इस परियोजना के अंतर्गत 10.2 X 3 = 30.6 M.W. की विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी है|

फरक्का बैराज परियोजना Farakka Barrage Project

यह परियोजना सन् 1963 में शुरू हुई थी और 1975 में पूरी थी| यह परियोजना गंगा और हुगली नदी प्रणाली की नौगम्यता बढ़ाने के लिए और गंगा नदी का जल हुगली नदी में मिलने के लिए  के लिए बनाई गई थी| इस परियोजना में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में फरक्का के निकट 2225 मी. लंबा एक बैराज़, जंगीपुर में 213 मी. लंबा बैराज़,  एक कैनाल हेड रेग्युलेटर (Canal Head Regulator) जल को मोड़ने के लिए बनाया गया है| एक फीडर कैनाल इलाहाबाद-हल्दिया अंतर्देशीय जलमार्ग – 1 पर भागीरथी नदी की जल क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई गयी है|इस बैराज़ में 109 गेट हैं और यहाँ र्राइव 60 नहरे निकली गयी है| इस बैराज़ से फरक्का सुपर थर्मल पावर स्टेशन को जल आपूर्ति होती है|

सलाल परियोजना Salal Project

इस परियोजना का निर्माण जम्मू-कश्मीर राज्य में चेनाब नदी पर सिंचाई एवं जल विद्युत के लिए सन् 1961 में शुरू किया गया था| इस परियोजना के अंतर्गत एक  118 मी. उँचे, रॉकफिल (Rockfill), सलाल बाँध (Salal Dam)  का निर्माण जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में किया गया था| इस परियोजना के प्रथम चरण में 115 मेगावाट की 3 विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी थी| दूसरे चरण में 113X3 M.W. की तीन और इकाइयाँ लगाई गयी हैं| इस परियोजना से लाभान्वित होने वाले राज्य जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगड़ और राजस्थान हैं|

अरुणाचल प्रदेश परियोजना Arunachal Pradesh Project

इस परियोजना में 2700 M.W. की एक इकाई सियांग नदी पर और 500 M.W. की एक परियोजना सियोंग नदी पर अरुणाचल प्रदेश में बनाई जा रही है| पहली परियोजना सन् 2016 और दूसरी परियोजना 2018 तक पूरी होने की संभावना है|

कामेरा जल-विद्युत परियोजना Chamera Hydro-Electric Project

हिमाचल प्रदेश में रावी नदी पर चम्बा जिले में यह परियोजना कनाडा के सहयोग से बनाई जा रही है| इस परियोजना में प्रथम चरण में 180 X 3 = 540 M.W, दूसरे चरण में 100 X 3 = 300 M.W. और तीसरे चरण में 77 X 3 = 231 M.W.  की तीन विद्युत इकाइयाँ लगाई जा रही हैं|

चूखा परियोजना Chukha Project

भारत और भूटान के सहयोग से 84 X 4 = 336 M.W. की यह परियोजना भूटान में रायडक या वांग-चू नदी पर बनाई गयी है| इस परियोजना का निर्माण सन् 1970 में शुरू हुआ था और 1991 मेी यह परियोजना पूर्ण रूप से कार्य करने लगी थी|

कुरीच्छू परियोजना Kurichhu Hydropower Project

भूटान मॉंगर जिले में कुरीच्छू नदी पर इस परियोजना का निर्माण किया गया है| इस परियोजना मे 15 M.W. की 4 विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं|

ताला परियोजना Tala Hydropower Project

भारत और भूटान के सहयोग से भूटान के चुखा जिले में सन् 1993 में का निर्माण किया गया है| यहा 1020 M.W. की विद्युत इकाई स्थापित की गयी है|

पूनासांगचु जल विद्युत परियोजना Punatsangchhu-I Hydroelectric Project

भूटान के वांगड़ू फोदरांग जिले में 1200 M.W. की इस परियोजना का निर्माण भारत और भूटान के सहयोग से किया गया है|

दागाचु जल विद्युत परियोजना Dagachhu Hydropower Project

126 M.W.  की इस परियोजना का निर्माण भूटान के दागना जिले में किया गया है|

डुल-हस्ती जल विद्युत परियोजना Dul-Hasti Hydroelectric Project

390 M.W. की इस पारियोजना का निर्माण चेनाब की सहायक, चन्द्रा नदी पर हुआ है| इस परियोजना का निर्माण सन् १९८५ में शुरू हुआ था और सन् 2007 में यह परियोजना बनकर पूरी हुई थी| इस परियोजना से जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली और चंडीगढ़ को लाभ प्राप्त होता है|

धौली-गंगा परियोजना Dhauli-Ganga project

इस परियोजना में उत्तराखंड राज्य में धौली गंगा नदी पर धौली-गंगा बाँध(Dhauli-Ganga Dam) बनाकर 280 M.W. की विद्युत इकाई लगाई जा रही है| यह परियोजना 2014 तक शुरू होने की उम्मीद है|

जायकवाड़ी परियोजना Jayakwadi Project

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में जायकवाड़ी गाँव के निकट गोदावरी नदी पर जायकवाड़ी बाँध (Jayakwadi Dam) बनाया गया है| इस बाँध की कुल लंबाई लगभग 10 किमी. है| बाँध के पीछे नाथ-सागर जलाशय बन गया है| इस बाँध का मुख्य उद्देशय महाराष्ट्र के मराठवाडा क्षेत्र में सिंचाई क्षमता में वृद्धि करना था| इस बाँध के बनने से औरंगाबाद, जलना, बीद, अहमदनगर, और परभानी जिलों की सिंचाई होती है| यहाँ पर 12 M.W.  की क्षमता का विद्युत गृह लगाया गया है|

कलपोंग जल विद्युत परियोजना Kalpong Hydroelectric Project

कलपोंग जल विद्युत परियोजना, अंडमान निकोबार की पहली जल-विद्युत परियोजना है तथा की भी ऐसी परियोजना है जो की किसी द्वीप पर बनी है| इस परियोजना में कलपोंग नदी पर डिग्लिपर नामक स्थान पर कलपोंग बाँध (Kalpong Dam) बनाया गया है| यहाँ पर 5.2 M.W. विद्युत उत्पादन इकाई लगाई गयी है|

कोयल-कारो परियोजना Koel-Karo project

यह परियोजना राँची के निकट सिंहभूमि जिले में है| इस परियोजना में कोयल और कारो नदी पर बाँध बनाए गये है| दक्षिणी कोयल नदी पर बसिया गाँव के निकट एक बाँध और उत्तरी कारो नदी पर लोहज़िमा के निकट दूसरा बाँध बनाया गया है| यहाँ रायतोली के निकट 115 X 6 = 690 M.W. और 20 M.W. की एक यूनिट लगाई गयी है|  यह परियोजना 1974 में शुरू की गयी थी परंतु आदिवासियों के विरोध के कारण इस परियोजना का निर्माण अभी भी चल रहा है|

कोलडॅम बाँध परियोजना Koldam Dam Project

इसे कॉल बाँध के नाम से भी जाना जाता है| 800 M.W. की यह परियोजना हिमाचल प्रदेश में मंडी और बिलासपुर जिले की सीमा पर बरनामा नामक जगह पर बनाई जा रही है| इस परियोजना की शुरुआत सन् 2004 में हुई थी|

नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना Nathpa Jhakri Hydro Power Project

हिमाचल प्रदेश के किंनौर जिले में सतलज़ नदी बन रही इस परियोजना में नाथपा झाकड़ी बाँध (Nathpa Jhakri Dam) बनाया जा रहा है| इस परियोजना में 250 X 6 = 1500 M.W. की विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी है| यह परियोजना भी भारत की सबसे बड़ी परियोजनाओं मे से एक है| यहाँ पर 8.5 मी. व्यास और 27 किमी. लंबी एक सुरंग बनाई गयी है जो भारत की और संभवतः एशिया की भी सबसे लंबी सुरंग है|

पारापलर सिंचाई परियोजना Parappalar Medium Irrigation Project

पारापलर नदी पर तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में सन् 1974 में सिंचाई के उद्देशय से इस बाँध का निर्माण किया गया था|

पार्वती घाटी परियोजना Parvati Valley Project

यह परियोजना गुजरात, हरियाणा, राजस्थान एवं दिल्ली की सयुंक्त परियोजना है| इस परियोजना में  हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में व्यास की सहायक नदी, पार्वती पर 2050 M.W. की यह परियोजना लगाए जाने का प्रस्ताव है|

रोंग-तोंग परियोजना Rong-Tong Project

हिमाचल प्रदेश के लाहौल – स्फीति जिले मे रोंग-तोंग के निकट बाँध बना कर 2 M.W. की परियोजना इस स्थान के सामाजिक -आर्थिक विकास के लिए लगाई जा रही है|

संकोष परियोजना Sankosh Project

भारत और भूटान की यह सयुंक्त परियोजना संकोष नदी पर भूटा के केरबारी गाँव में बनाई जा रही है| इस परियोजना में 215 मी. उँचा बाँध और 4080 M.W. की विद्युत इकाई लगाए जाने का प्रस्ताव है| संकोष नदी पर 2560 मेगावाट की विद्युत इकाई और बाँध का निर्माण पूरा हो चुका है|

संजय विद्युत परियोजना Sanjay Hydel Project

120 M.W. की यह परियोजन हिमाचल प्रदेश के किंनौर जिले में सतलज़ की सहायक भाबा नदी पर बनाई जा रही है| यह एशिया की पहली पूर्ण रूप से भूमिगत परियोजना है|

सियालकोट जल विद्युत परियोजना Swalkote Hydro Electric Project

यह जम्मू कश्मीर के उधमपुर और डोडा जिले में चेनाब नदी पर स्थित है| यह परियोजना जम्मू कश्मीर राज्य और नार्वे तथा जर्मनी के सहयोग से बनाई जा रही है| यहाँ पर 200 X 3 = 600 M.W. की विद्युत इकाइयाँ स्थापित की गयी हैं|

शरावती जल विद्युत परियोजना Sharwati Hydro Electric Project

कर्नाटक राज्य में शरावती नदी के गेरसोप्पा जोग प्रपात पर यह परियोजना स्थित है| इस परियोजना की तीन इकाइयाँ हैं-

  1. शरावती विद्युत गृह
  2. गेरसोप्पा जल विद्युत परियोजना
  3. लिंगानमकी जल विद्युत परियोजना

इन परियोजनाओं की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1035 M.W.  है|

श्री-शीलम परियोजना Shrishilam Project

श्री-शीलम बाँध (Shrishilam Dam) आंध्र प्रदेश के कुर्नुल जिले में श्रीशीलम के निकट कृष्णा नदी पर बनाया गया है| यह बाँध नल्लाभाला की पहाड़ियों के गहरे गार्ज (Gorge) में बनाया गया है| यहाँ 110 X 7 = 770 और  150 X 6 = 900 M.W. की विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी है| इनकाई कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 1670 मेगावाट है|

सुवर्ण रेखा बहुउद्देशीय परियोजना Subarnarekha Multipurpose Project

यह झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल की सयुंक्त परियोजना है| इसमे सुवर्ण रेखा नदी पर चांडिल बाँध बनाया गया है| खरकाई नदी पर इचा  बाँध और एक बैराज़ बनाया गया है| इससे कई नहरे निकाली गयी हैं| यह मुख्यतः सिंचाई परियोजना है| यहाँ 8 मेगावाट की एक विद्युत इकाई भी लगाई गयी है|

उकाई परियोजना Ukai Project

उकाई बाँध (ukai Dam) तपती नदी पर गुजरात राज्य के सूरत जिले में बनाया गया है| यहाँ 75 X 4 = 300 M.W. की विद्युत इकाई लगाई गयी है|

जे. पी. ग्रुप द्वारा (JayPee Group) द्वारा ‘बू (Boo – build own operate)’ आधार पर निम्न कुछ परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है|

बास्पा परियोजना Baspa Project – 300 M.W.  की यह परियोजना हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में सतलज़ की सहायक, बास्पा  नदी पर बनाई गयी है|

विष्णुप्रयाग परियोजना Vishnuprayag Project – 400 M.W. की परियोजना अलकनंदा पर चमोली जिले मे बनाई जा रही है|

करचॅम वांगटू परियोजना Karcham- Wangtoo Project – 1000 M.W. की, . क्षेत्र की सबसे ., यह परियोजना हिमाचल प्रदेश में किन्नौर जिले में सतलज़ नदी पर बनाई जा रही है|

मेघालय परियोजना Meghalaya Project – जय प्रकाश पवार वेंचर लि. और मेघालय. सर द्वारा 75% और 25% . के आधार पर इस परियोजना का निर्माण किया गया है| इस परियोजना के अंतर्गत 270 M.W. की विद्युत इकाई पूर्वी ख़ासी पहाड़ियों पर एवं 450 M.W. की विद्युत इकाई पश्चिमी ख़ासी पहाड़ियों पर , मेघालय मे लगाई गयी है|

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