दक्षिण-प्रशांत मंच/ प्रशांत द्वीप मंच South Pacific Foundation – SPF

यह संगठन दक्षिणी-प्रशांत देश के शासनाध्यक्षों को सामूहिक हित के विषयों पर चर्चा करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।

मुख्यालय: सूवा (फिजी)।

सदस्यता: ऑस्ट्रेलिया, कुक द्वीप समूह, फिजी द्वीप समूह, किरिबाती, मार्शल दीप समूह, माइक्रोनेशिया और वनुआतु।

आधिकारिक भाषा: अंग्रेजी।

उत्पति एवं विकास

दक्षिण-प्रशांत मंच अगस्त 1971 में वेलिंग्टन (न्यूजीलैंड) में आयोजित एसपीएफ के उप-समूह (sub-group) की बैठक में अस्तित्व में आया। इस उप-समूह में आस्ट्रेलिया, कुक द्वीप समूह, फिजी, नौरू, न्यूजीलैंड, टोंगा और पश्चिम समोआ के शासनाध्यक्ष सम्मिलित थे। अनेक प्रशांत द्वीपीय देशों के स्वतंत्रता अथवा स्व-शासन के दर्जा प्राप्त करने के उपरांत इसमें सम्मिलित होने पर इस मंच की सदस्य संख्या बढ़कर 16 हो गई। वर्ष 2001 में, उत्तर एवं दक्षिण प्रशांत में इसके सदस्य की भौगोलिक अवस्थिति को बेहतर तरीके से प्रतिबिम्बित करने के लिए इसका नाम प्रशांत द्वीप मंच में परिवर्तित कर दिया गया।

उद्देश्य


एसपीएफ के उद्देश्य हैं-

  1. सदस्य देशों के मध्य सहयोग को प्रोत्साहन देना;
  2. उप-क्षेत्र से संबद्ध राजनीतिक विषयों पर सदस्य देशों के विचारों को समन्वित करना, तथा;
  3. सदस्य देशों की आर्थिक विकास दर में तेजी लाना।

संरचना

एसपीएफ की गतिविधियों के संचालन के लिये कोई लिखित संविधान या अंतरराष्ट्रीय संधि उपलब्ध नहीं है और न ही इसके उद्देश्य, सदस्यता या कार्यवाही के संबंध में औपचारिक नियम विकसित किये गये हैं। सामूहिक हित के राजनीतिक या आर्थिक विषयों पर चर्चा के लिये मंच की प्रतिवर्ष मंत्री या शिखर स्तरीय बैठक होती है। इस बैठक के बाद साधारणतया जापान, चीन, कोरिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे क्षेत्र के अन्य प्रभावशाली देशों के साथ संवाद आयोजित किया जाता है।

1973 में आर्थिक विषयों से निपटने के लिये एक स्थायी ब्यूरो के रूप में दक्षिण-प्रशांत आर्थिक सहयोग ब्यूरो (South Pacific Bureau for Economic Cooperation– SPEC) का गठन किया गया। 1988 में स्पेक को पुनर्गठित करके दक्षिण-प्रशांत मंच सचिवालय का नाम दिया गया। इस सचिवालय का प्रधान अधिकारी महासचिव कहलाता है, जिसकी सहायतार्थ एक उप-महासचिव की व्यवस्था की गई है। सचिवालय मंच के अधिकारियों की समिति द्वारा शासित होता है। यह समिति सचिवालय का कार्यकारी बोर्ड है तथा सचिवालय एवं मंच के बीच मध्यस्थता करती है। सचिवालय के प्रमुख कार्य हैं-उन नीतिगत विषयों पर सुझाव देना, जिनका राष्ट्रीय स्तर पर पूर्ण मूल्यांकन संभव नहीं है; व्यापार प्रवृत्तियों के अनुकूलन के लिये नये अवसरों की पहचान करना; उन विकास प्रणालियों को प्रोत्साहन देना, जो मुक्त व्यापार और क्षेत्रीय उद्यमशीलता की अवधारणा के अनुरूप हैं, तथा तकनीकी आर्थिक सहायता एवं सुविज्ञता (expertise) प्रदान करना।

सचिवालय की पांच प्रमुख शाखाएं हैं-

(i) व्यापार एवं निवेश; (ii) राजनीतिक एवं अंतरराष्ट्रीय मामले; (iii) विकास एवं आर्थिक नीति, (iv) निगमित (Corporate) सेवाएं, तथा; (v) उर्जा।

गतिविधियां

मंच ने व्यापार और आर्थिक विषयों पर बल दिया है। सदस्य देशों में जहाजरानी सुविधाएं (shipping facilities) उपलब्ध कराने के लिए 1977 में प्रशांत मंच सूत्र (Pacific Forum Line) नाम का एक संयुक्त उद्यम स्थापित किया गया। 1979 में दक्षिण प्रशांत वायु सेवा संघ तथा दक्षिण-प्रशांत व्यापार आयोग क्षेत्र गठित किये गये। जनवरी 1981 से दक्षिण-प्रशांत क्षेत्रीय व्यापार और आर्थिक सहयोग समझौता प्रभाव में है। यह एसपीएफ के छोटे देशों की निर्दिष्ट वस्तुओं के आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में शुल्क रहित और निर्बाध प्रवेश की सुविधा उपलब्ध कराता है।

एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र, जिसमें एसपीएफ सक्रिय रहा है, वह है- दक्षिण प्रशांत में परमाणु परीक्षण। 1985 में रारोटोंगा (कुक द्वीप समूह) में दक्षिण-प्रशांत परमाणु मुक्त व्यापार क्षेत्र संधि पर हस्ताक्षर किए गए। यह संधि दक्षिण-प्रशांत क्षेत्र में परमाणु अस्त्रों के अधिग्रहण, संचयन एवं परीक्षण पर रोक लगाती है। विश्व की प्रमुख परमाणु शक्तियों को इस संधि पर हस्ताक्षर करने के लिये आमंत्रित किया गया। रूस और चीन ने इस प्रोटोकॉल पर 1987 में हस्ताक्षर किए, जबकि फ्रांस, इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1996 में हस्ताक्षर किए। फ्रांस ने फ्रेंच पोलेनेशिया में परमाणु परीक्षण पुनः आरंभ करने के अपने निर्णय पर पड़ रहे अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इस प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया।

उपरोक्त गतिविधियों के अतिरिक्त, एसपीएफ पर्यावरण, पारंपरिक उद्योग, निजी उद्यम विकास और पर्यटन के क्षेत्रों में भी सक्रिय रहा है। 1995 में एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए, जो दक्षिण-प्रशांत क्षेत्र में रेडियोधर्मी और खतरनाक पदार्थों के आयात पर रोक लगाती है।

1994 में इस मंच को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया।

अगस्त 2008 में, फोरम ने फिजी को निलम्बित करने की धमकी दी, यदि उसने मार्च 2009 तक आम चुनाव नहीं कराए। जिसके परिणामस्वरूप, प्रशांत द्वीप मंच के विशेष नेताओं की बैठक में, जो जनवरी 2009 में पापुआ न्यू गिनी में आयोजित की गई, फिजी में चुनाव कराने की तिथि 1 मई, 2009 निर्धारित की गई। फिजी ने इस समय-सीमा को नकार दिया। फलस्वरूप, 1 मई, 2009 की फिजी की फोरम में भाग लेने से अनिश्चित काल तक के लिए निलम्बित कर दिया गया।

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