वानिकी एवं मत्स्य व्यवसाय Forestry And Fishing Industry

  • भारत मेँ से 677,088 वर्ग किमी. भूमि पर वनोँ का विस्तार है, जो भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 20.64 % प्रतिशत है।
  • अंडमान निकोबार द्वीप समूह मेँ 86.9 प्रतिशत भू भाग वन है, जो सर्वाधिक है। न्यूनतम 3.8 प्रतिशत वन हरियाणा मेँ है।
  • वर्ष 2006 मेँ राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड की स्थापना की गई जिसका उद्देश्य फिश फार्मर्स डेवलपमेंट एजेंसी के माध्यम से सरकार अंतर्देशीय क्षेत्र मेँ कार्यक्रम क्रियांवित कर रही है।
  • देश मेँ ताजे पानी की सर्वाधिक मछलियां पश्चिम बंगाल मेँ पकडी जाती हैं।
  • समुद्री मछली के उत्पादन मेँ गुजरात का प्रथम स्थान है।
  • केरल मेँ विधिहाम मेँ मछली पकड़ने की विशेष सुविधाओं से युक्त एक पत्तन बनाया गया है।
  • भारतीय मछली सर्वेक्षण विभाग के 7 परिचालन अड्डे मुंबई, पोरबंदर, कोच्चि, मर्मगाव, विशाखापत्तनम, चेन्नई और पोर्टब्लेयर मेँ स्थित है।
  • भारत मेँ वनोँ का वितरण का अत्यधिक आसमान व अपर्याप्त है। भारत की समस्त भूमि का मात्र 23% भाग वनाच्छादित है।
  • राष्ट्रीय वन नीति 1988 के अनुसार भारत मेँ 33% वन क्षेत्र की प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया है। मैदानी भागोँ मेँ 20% तथा पर्वतीय भागोँ मेँ 60% प्रतिशत क्षेत्र निश्चित है। वर्तमान समय मेँ देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 2% वनों से ही प्राप्त हो रहा है।
  • कार्बेट राष्ट्रीय पार्क भारत का पहला आरक्षित क्षेत्र है, जहां सबसे पहले 1 अप्रैल 1973 मेँ बाघ परियोजना का शुभारंभ हुआ। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट कहते हैं, क्योंकि यहां बाघोँ की सबसे अधिक परियोजनाएं हैं।
  • नागार्जुन सागर (आंध्र प्रदेश) क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा बाघ संरक्षित क्षेत्र है।

स्मरणीय तथ्य

  • जल की प्रकृति के आधार पर मछलियों को दो भागोँ मेँ विभाजित किया गया है – ताजे जल की मछलियां, एवं खारे जल की मछलियां। भारत मछलियों का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • ताजे जल की मछलियां नदियों, झीलों, तालाबों एवं जलाशयों से पकड़ी जाती हैं। खारे जल की मछलियां समुद्रों एवं सागरों से प्राप्त की जाती हैं।
  • विश्व के कुल आहार का 4% भाग मछलियोँ से प्राप्त होता है।
  • नार्वे, आयरलैंड एवं जापान जैसे देशों मेँ मछली का महत्वपूर्ण आहार है। कुल मछली उत्पादन मेँ चीन, पेरु, जापान और अमेरिका सबसे आगे हैं।
  • भारत में मछली उत्पादन मेँ 1950-51 मेँ 0.75 मीट्रिक टन था, जो 2005-06 में बढ़कर 6.50 मीट्रिक टन हो गया है, जो भारत की जीडीपी का 1% है जबकि कृषि क्षेत्र के GDP मेँ इसका योगदान 5.3% है

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