कार्य, शक्ति और उर्जा Work, Power & Energy

कार्य (work): दैनिक जीवन में कार्य का अर्थ किसी क्रिया का किया जाना होता है, जैसे-पढ़ना, लिखना, गाड़ी चलाना आदि। परन्तु भौतिकी में कार्य शब्द का विशेष अर्थ है; अतः भौतिकी में हम कार्य को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित करते हैं- कार्य की माप लगाए गए बल तथा बल की दिशा में वस्तु के विस्थापन के गुणनफल के बराबर होती है।

अतः

कार्य = बल × बल की दिशा में विस्थापन (Work= Force × Displacement Along the Direction)

कार्य दो सदिश राशि का गुणनफल है, परन्तु कार्य एक अदिश राशि है। इसका SI मात्रक न्यूटन मीटर (N.m) होता है, जिसे वैज्ञानिक जेम्स प्रेस्कॉट जूल के सम्मान में जूल (Joule) कहा जाता है और संकेत J द्वारा व्यक्त किया जाता है। 1 जूल कार्य = 1 न्यूटन बल × 1 मीटर (विस्थापन की दिशा में)

अब यदि बल F तथा विस्थापन s एक ही दिशा में नहीं हैं, बल्कि दोनों की दिशाओं के मध्य θ कोण बनता है, तो

कार्य w = F x s.cos θ

इस प्रकार कार्य का मान महत्तम तभी होगा जब बल एवं बल की दिशा में विस्थापन के मध्य 0° का कोण हो, क्योंकि cos 0° = 1 होता है। इसी प्रकार जब बल एवं बल की दिशा में विस्थापन के बीच 90° का कोण हो, तो कार्य का मान शून्य होगा, क्योंकि cos 90° = 0 होता है।



शक्ति Power

कार्य करने की दर की शक्ति कहते हैं। यदि किसी कर्ता द्वारा w कार्य t समय में किया जाता है, तो कर्ता की शक्ति w/t होगी। शक्ति का SI मात्रक वाट (watt) है, जिसे वैज्ञानिक जेम्स वाट के सम्मान में रखा गया है और संकेत w द्वारा व्यक्त किया जाता है।

1 वाट = 1 जूल / सेकण्ड = 1 न्यूटन मीटर/सेकण्ड

मशीनों की शक्ति को अश्व शक्ति (Horse Povver-H.P) में भी व्यक्त किया जाता है।

1 H. P. = 746 वाट

वाट सेकण्ड (ws) – यह ऊर्जा या कार्य का मात्रक है।

1 ws = 1 वाट × सेकण्ड = 1 जूल

वाट-घंटा (wh) – यह भी ऊर्जा या कार्य का मात्रक है। (wh = 3600 जूल)

किलोवाट घंटा (kwh) – यह भी ऊर्जा (कार्य) का मात्रक है।

1 kwh = 1000 वाट घंटा = 1000 वाट × 1 घंटा = 1000 × 3600 सेकण्ड = 3.6 × 106 वाट सेकण्ड = 3.6 × 106 जूल

w, kw, Mw तथा H.P शक्ति के मात्रक हैं।

ws, wh, kwh कार्य अथवा ऊर्जा के मात्रक हैं।


ऊर्जा Energy

किसी वस्तु में कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा एक अदिश राशि है। इसका SI मात्रक जूल (Joule) है। वस्तु में जिस कारण से कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा दो प्रकार की होती है-गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा।

गतिज ऊर्जा Kinetic Energy

किसी वस्तु में गति के कारण जो कार्य करने की क्षमता आ जाती है, उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं। यदि m द्रव्यमान की वस्तु v वेग से चल रही हो, तो गतिज ऊर्जा (KE) होगी-

[latex]K.E.\quad =\quad \frac { 1 }{ 2 } { mv }^{ 2 }[/latex]

अर्थात् किसी वस्तु का द्रव्यमान दोगुना करने पर उसकी गतिज ऊर्जा दोगुनी हो जाएगी। और द्रव्यमान आधी करने पर उसकी गतिज ऊर्जा आधी हो जाएगी। इसी प्रकार वस्तु का वेग दोगुना करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी और वेग आधा करने पर वस्तु की गतिज ऊर्जा [latex]\frac { 1 }{ 4 }[/latex] गुनी हो जाएगी।

गतिज उर्जा एवं संवेग में सम्बन्ध Relation Between Kinetic Energy and Momentum

[latex]K.E.\quad =\quad \frac { { p }^{ 2 } }{ 2m }[/latex]

जहाँ p = संवेग = mv

अर्थात् संवेग दो गुणा करने पर गतिज ऊर्जा चार गुनी हो जाएगी।

स्थितिज ऊर्जा Potential Energy

किसी वस्तु में उसकी अवस्था (state) या स्थिति (Position) के कारण कार्य करने की क्षमता को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। जैसे- बाँध बना कर इकट्टा किए गए पानी की ऊर्जा, घड़ी की चाभी में संचित ऊर्जा, तनी हुई स्प्रिंग या कमानी की ऊर्जा। गुरुत्व बल के विरुद्ध संचित स्थितिज ऊर्जा का व्यंजक है-

P.E.= mgh जहाँ m = द्रव्यमान, g = गुरुत्वजनित त्वरण, h = ऊँचाई

उर्जा संरक्षण का नियम Law of conservation of Energy

उर्जा का न तो निर्माण होता है न विनाश अर्थात् विश्व की कुल ऊर्जा नियत रहती है। ऊर्जा का केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरण होता है। जब भी ऊर्जा किसी रूप में लुप्त होती है, ठीक उतनी ही ऊर्जा अन्य रूपों में प्रकट हो जाती है। यह ऊर्जा संरक्षण का नियम कहलाता है।

ऊर्जा का रूपान्तरण: ऊर्जा रूपान्तरण के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।

उपकरण उर्जा का रूपान्तरण
सौर सेल प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में
डायनेमो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में
विद्युत् मोटर विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
माइक्रोफोन ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में
लाउडस्पीकर विद्युत् ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
सितार यांत्रिक ऊर्जा को ध्वनि ऊर्जा में
बल्ब/टूयब-लाइट/हीटर का जलना विद्युत् ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में
मोमबत्ती का जलना रासायनिक ऊर्जा को प्रकाश एवं ऊष्मा ऊर्जा में
कोयले का जलना रासायनिक ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में
विद्युत् सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में
इंजन ऊष्मा ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में
प्रकाश विद्युत् सेल प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में

सौर ऊर्जा Solar Energy

सूर्य, ऊर्जा का विशाल स्रोत है। सूर्य का लगभग 70% द्रव्यमान हाइड्रोजन से, 28% हीलियम से तथा 2% अन्य भारी तत्वों से बना है। सूर्य के केन्द्र (core) का तापमान और दाब क्रमशः 1.5 × 107K तथा 2 × 1016 न्यूटन प्रति वर्ग मीटर है। केन्द्र में उच्च ताप एवं दाब होने के कारण वहाँ नाभिकीय संलयन (fusion) की क्रिया होती है। सूर्य के केन्द्र में चार हाइड्रोजन नाभिक संलयित होकर हीलियम नाभिक बनाते हैं, जिससे अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। सूर्य से प्रति सेकण्ड 3.86 × 1026 जूल ऊर्जा निकलती है। यह ऊर्जा विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों तथा आवेशित कणों के रूप में निकलती है। पृथ्वी पर सूर्य की ऊर्जा मुख्यतः विद्युत्-चुम्बकीय तरंगों के रूप में पहुँचती है, इसे सौर विकिरण कहते हैं। विकिरण के गुण उसके अन्दर उपस्थित तरंगों के तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करते हैं। ऊष्मा का अनुभव कराने वाली विकिरण को अवरक्त विकिरण एवं वस्तुओं का दर्शन कराने वाली विकिरण को दृश्य विकिरण या प्रकाश कहते हैं।

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