अयोध्या Ayodhya

अयोध्या को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।भारतीय परंपरा के अनुसार या भारत के सात सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक  शहरों मे से एक है।अपने लंबे और विवादास्पद इतिहास में, यह शहर हिंदू धर्म के शैव और वैष्णव संप्रदाय के लिए ही नहीं  बल्कि बौद्ध धर्म, जैन धर्म, और इस्लाम का भी घर रहा है|इस शहर का क्षेत्रफल लगभग 10 वर्ग किमी है|

अयोध्या उत्तर-प्रदेश के फैजाबाद जिले में सरयू या घाघरा नदी के किनारे स्थित है।हिन्दू धर्म में अयोध्या को भगवान राम का जन्म स्थान माना गया है, जो हिन्दू त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु के सातवे अवतार थे।हिन्दू पौराणिक कथाओं और हिन्दू महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना ‘मनु’ ने की थी।बाद में यह सूर्यवंशी (सूर्य) वंश की राजधानी बन गया, जिसके सबसे प्रसिद्द राजा भगवन राम हुए।अयोध्या का सन्दर्भ अथर्ववेद में भी निहित हैं।जैन परंपराओं का दावा है कि उनके पाँच तीर्थंकर (हिन्दू देवताओं के जैन समकक्ष) अयोध्या में पैदा हुए थे।ऐसा विश्वास किया जाता है कि यह शहर प्राचीन कोशल राज्य की भी राजधानी था, जो छटीं शताब्दी में मगध राज्य का प्रतिद्वंद्वी भी था, साथ ही इसे मध्यकालीन अवध के रूप में भी जानते हैं।

शहर के पश्चिमी कोने पर स्थित  रामकोट हिन्दुओं का प्रमुख पवित्र तीर्थ स्थल है।वर्ष भर यहाँ तीर्थ यात्री आते रहते हैं, परन्तु हिन्दू चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में रामनवमी के अवसर पर यहाँ 500,000 से ज्यादा तीर्थयात्री आ सकते हैं।

अयोध्या के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थल हैं,

हनुमान गढ़ी – ऐसा विश्वास किया जाता है कि हनुमान यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनि की प्रतिमा है

त्रेता के ठाकुर – माना जाता है की भगवन राम ने यहाँ अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया था।कुल्लू के राजा ने यहां एक नया मंदिर बनवाया। इस मंदिर में इंदौर के अहिल्याबाई होल्कर ने सुधार करवाया और घाट भी बनवाये।इसे कालेराम का मंदिर भी कहते है क्योंकि इसे सरयू में मिलने वाले काले बलुआ पत्थर से बनाया गया था।

इसके आलावा नागेश्वर नाथ मंदिर, जी की एक अति प्राचीन शिव मंदिर है और कनक भवन जहाँ सीता और राम की सोने की मुकुट पहने प्रतिमा हैं, इसे टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था।लक्ष्मण का किला, जो की महान संत स्वामी श्री युगलानन्यशरण जी महाराज की तपस्थली यह स्थान देश भर में रसिकोपासना के आचार्यपीठ के रूप में प्रसिद्ध है तथा जैन मंदिर जिसे फैजाबाद के नवाब खजांची केसरी सिंह ने बनवाया था।अयोध्या को पांच जैन र्तीथकरों की जन्मभूमि भी मन जाता है।


राम जन्मभूमि इसे भाग राम की जन्म स्थली भी माना जाता है, अब यहाँ पर 6 दिसम्बर 1992 को में बाबरी मस्जिद को गिरा कर एक छोटा मंदिर बना दिया गया है।बाबरी मस्जिद को 16वीं शताब्दी में मुग़ल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी (Mir Baqi) ने बनवाया था।इस ढांचे को हिन्दू अतिवादी संगठनो द्वारा गिराने की बाद देशव्यापी दंगों में करीब दो हजार लोगों की जान चली गई।उसके दस दिन बाद 16 दिसम्बर 1992 को लिब्रहान आयोग गठित किया गया। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के रिटायर्ड मुख्य न्यायाधीश एम.एस. लिब्रहान को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। लिब्रहान आयोग को16 मार्च 1993 को यानि तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन आयोग ने रिपोर्ट देने में 17 साल लगाए। 30 जून 2009 को लिब्रहान आयोग ने चार भागों में 700 पन्नों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी. चिदम्बरम को सौंपा। हिन्दू और मुसलिम संगठनों में विवादास्पद ढांचे को लेकर विवाद, अब उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।

1993 में भारतीय इतिहास कांग्रेस ने एक धार्मिक समुदाय द्वारा किसी धार्मिक संरचना को गिराए जाने का भारी विरोध किया था  । जनसाधारण में अयोध्या के बारे में एक कहावत प्रचलित है –

गंगा बड़ी गोदावरी, तीरथ बड़ो प्रयाग,

सबसे बड़ी अयोध्यानगरी, जहां राम लियो अवतार।

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