पश्चिमी यूरोपीय संघ Western European Union – WEU

यह संगठन मुख्य रूप से यूरोप महाद्वीप में सैन्य सुरक्षा उपलब्ध कराने तथा शांति को मजबूती प्रदान कराने से संबंधित है। अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिये यह सदस्य देशों की रक्षा नीति एवं उपकरण में समन्वय स्थापित करता है तथा राजनीतिक एवं आर्थिक मामलों में सहयोग स्थापित करता है।

मुख्यालय: ब्रूसेल्स (बेल्जियम)।

सदस्यता: बेल्जियम, फ़्रांस, जर्मनी, यूनान, इटली, लक्समबर्ग, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन और यूनाइटेड किंगडम।

सहायक सदस्य: आयरलैंड, नॉर्वे और तुर्की।

सहायक सहभागी सदस्य: बुल्गारिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया।

आधिकारिक भाषाएं: अंग्रेजी और फ्रेंच।

उद्भव एवं विकास


पश्चिमी यूरोपीय संघ (Western European Union—WEU) का उद्भव 5 पश्चिमी यूरोपीय देशों- युनाइटेड किंगडम, फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमबर्ग और नीदरलैण्ड, के मध्य वर्ष 1948 में हुई ब्रुसेल्स आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग तथा सामूहिक आत्मरक्षा संधि से हुआ। ब्रुसेल्स समझौता रक्षा के संबंध में पहला निश्चित यूरोपीय अभिक्रम (initiative) था, जिसका मुख्य लक्ष्य जर्मनी द्वारा राजनीतिक आक्रमण की नीति के नवीनीकरण की स्थिति में आवश्यक कदम उठाना था।

1949 में नाटो के गठन के कारण एक पृथक् ब्रुसेल्स संधि संगठन की आवश्यकता नहीं रह गई तथा ब्रुसेल्स संधि के सदस्यों ने वर्ष 1950 में संगठन के रक्षा कार्यों को नाटो कमांड में स्थानान्तरित कर देने का निर्णय लिया। लेकिन संगठन की सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग से जुड़ी गतिविधियों को जारी रखने का निर्णय लिया गया।

शीघ्र ही यूरोपीय रक्षा प्रणाली में रुचि पुनर्जीवित हुई। चूंकि, यूरोपीय रक्षा समुदाय गठित करने की योजना विफल हो गई थी, अतः ब्रुसेल्स संधि के सदस्यों ने इटली और पश्चिम जर्मनी की सरकारों से अपने संगठन में सम्मिलित होने का आग्रह किया। ब्रुसेल्स संधि में संशोधन लाने के लिये अनेक प्रोटोकॉलों को तैयार किया गया और मई 1955 में ब्रुसेल्स संधि संगठन को औपचारिक रूप से सात सदस्यीय डब्ल्यूईयू में परिवर्तित कर दिया गया।

इटली और जर्मनी डब्ल्यूईयू के दो अतिरिक्त पूर्णकालिक सदस्य थे। 1960 में डब्ल्यूईयू ने अपने सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यों को यूरोपीय परिषद के सुपुर्द कर दिया। विगत कुछ वर्षों में पूर्णकालिक, सहायक और पर्यवेक्षक सदस्यों की संख्या में वृद्धि के साथ संघ की सदस्यता में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है। डब्ल्यूईयू की गतिविधियों में भिन्न अंशों में और भिन्न उत्तरदायित्वों के साथ 22 सदस्य (वर्ष 2000 के आंकड़े) सम्मिलित हैं।

संरचना

डब्ल्यूईयू के संगठनात्मक ढांचे में परिषद, सभा (Assembly) और सचिवालय सम्मिलित होते हैं। सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से बनी परिषद सर्वोच्च निर्णयकारी संस्था है। यह संगठन की मौलिक नीतियां निर्धारित करती है, महासचिव और अनेक एजेंसियों के लिए निदेश (directive)  जारी करती है नाटो के साथ सहयोग सुनिश्चित करती है तथा सभा के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए अपनी गतिविधियों के संबंध में वार्षिक रिपोर्ट तैयार करती है। यह मंत्रिपरिषद तथा स्थायी परिषद के रूप में संचालित होती है। मंत्रिपरिषद सदस्य देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की बनी होती है तथा वर्ष में इसकी दो बार बैठक होती है। स्थायी परिषद में सदस्य देश के राजदूत और ब्रिटिश विदेश और राष्ट्रकुल विभाग कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित होते हैं। यह परिषद मंत्रिपरिषद के द्वारा व्यक्त विचारों पर चर्चा करती है।

सभा सदस्य देशों के 115 प्रतिनिधियों से बनी होती है। सभा की अपनी अलग कार्यसूची होती है तथा यह एक स्वतंत्र परामर्शक संस्था के रूप में कार्य करती है। यह डब्ल्यूईयू परिषदों और अन्य अन्तर-सरकारी संगठनों के सभक्ष अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करती है। सचिवालय का प्रधान अधिकारी महासचिव होता है।

गतिविधियां

अनेक वर्षों तक संगठन की भूमिका और दर्जे के संबंध में अनिश्चितता बनी रही, क्योंकि यह मूल रूप से नाटो के यूरोपीय स्तम्भ के रूप में कार्य कर रहा था न कि एक स्वतंत्र और स्पष्ट रूप से यूरोपीय रक्षा संगठन के रूप में। लेकिन 1980 के दशक के अंतिम वर्षों से कई राजनीतिक घटनाओं और उनके परिणामों ने इस संगठन की एक नया आयाम दिया है।

शीतयुद्ध के अंत, यूरोप से अमेरिकी सेना की वापसी और यूरोपीय संघ के विकास के बाद से डब्ल्यूईयू ने एक नई भूमिका अदा करनी शुरू कर दी है। 1992 की मैस्ट्रिच संधि ने डब्ल्यूईयू का उल्लेख ईयू के एक अभिन्न अंग के रूप में किया; मैस्ट्रिच संधि में अंगीकृत घोषणा-पत्र में यह कहा गया है की, अटलांटिक संगठन के यूरोपीय स्तम्भ को मजबूत बनाने के लिए डब्ल्यूईयू को ईयू  के एक रक्षा घटक के रूप में विकसित किया जायेगा।

1992 में डब्ल्यूईयू मंत्रिपरिषद ने सैंट पीटर्सबर्ग घोषणा को स्वीकार किया, जिसके अंतर्गत सीएससीई (बाद में ओएससीई) तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सहयोग से डब्ल्यूईयू सदस्य देशों की सैन्य इकाइयों का उपयोग सैन्य और अन्य उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है। मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय देशों के साथ विचार-विमर्श करने के लिये एक मंच का भी गठन किया गया। नाटो के साथ सहयोग बढ़ाने के लिये संगठन् के मुख्यालय को 1993 में लंदन से हटाकर ब्रुसेल्स कर दिया गया। मई 1995 में लिस्बन मंत्रिस्तरीय बैठक में संगठन की संचालनात्मक प्रणाली को विकसित करने पर सहमति हुई तथा परिषद को सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से एक नया राजनीतिक- सैन्य समूह, स्थिति केन्द्र और गुप्तचर शाखा गठित करने और सचिवालय को मजबूत बनाने के निर्णय लिये गये।

संघ ने अगस्त 1990 में इराक द्वारा कुवैत के अधिग्रहण पर पश्चिमी यूरोपीय देशों की सैन्य प्रतिक्रिया में समन्वय स्थापित करने में सहायता प्रदान की। इसने युगोस्लाव संकट (Yugoslav crisis) को समाप्त करने की दिशा में (नाटो के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिबंधों को लागू करने तथा जुलाई 1994 में बोस्निया के मोस्तार शहर में संयुक्त ईयूडब्ल्यूईयू प्रशासन स्थापित करने में) उल्लेखनीय भूमिका निभाई।

वर्ष 2009 में, लिस्बन संधि ने पश्चिमी यूरोपीय संघ (डब्ल्यूईयू) के पारस्परिक रक्षा प्रावधान का स्थान ले लिया। इस बारे में काफी विचार-विमर्श हुआ कि लिस्बन की प्रस्तावना का पालन करते हुए, जिसमें इसे समाप्त करने की योजना शामिल है, डब्ल्यूईयू के साथ क्या किया जाए। 30 मार्च, 2010 को यूनाइटेड किंगडम ने लिखित अभिकथन किया कि एक वर्ष के भीतर वह डब्ल्यूईयू को छोड़ना चाहता है। 31 मार्च, 2010 को जर्मन विदेश मामले मंत्रालय ने घोषणा की कि जर्मनी ने मॉडीफाइड ब्रुसेल्स ट्रीटी (संधि) को त्याग दिया है। उसी वर्ष डब्ल्यूईयू की स्पेनिश प्रेसीडेंसी ने मॉडीफाइड ब्रुसेल्स ट्रीटी के 10 सदस्य राष्ट्रों की तरफ से संधि को त्यागने के सामूहिक निर्णय की घोषणा की और डब्ल्यूईयू संगठन को जून 2011 तक बंद कर देने का निर्णय किया। 30 जून, 2011 को पश्चिमी यूरोपीय संघ (डब्ल्यूईयू) को आधिकारिक रूप से समाप्त कर दिया गया।

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