अल्पसंख्यकों के लिए कल्याणकारी उपाय Welfare Measures for Minorities

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत् पाँच धार्मिक समुदायों- मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक अधिसूचित किया गया है। इनकी जनसंख्या देश की कुल आबादी का 18.47 प्रतिशत है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालयका गठन 29 जनवरी, 2006 को किया गया। इसके गठन का उद्देश्य अल्पसंख्यकों के लाभ के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की नीति, नियोजन, समन्वय, मूल्यांकन और समीक्षा करना है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992, वक्फ अधिनियम, 1995 और दरगाह ख्वाजा साहेब अधिनियम, 1955 के कार्यान्वयन के लिए मंत्रालय जिम्मेदार है।

कम समय में ही मंत्रालय ने न केवल पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया है बल्कि चल रही योजनाओं/कार्यक्रमों को सरल और कारगर बनाना है और अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिए रचनात्मकवप्रभावी योजना/कार्यक्रमभीशुरू किएगएहैं। मंत्रालय और उसके अधीनस्थ संगठनों द्वारा चलाई जा रही योजनाएं इस प्रकार हैं-

अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम: इस कार्यक्रम की घोषणा जून 2006 में की गई थी। इसका उद्देश्य इस प्रकार है: (क) शैक्षिक अवसरों में बढ़ोतरी (ख) मौजूदा और नई योजनाओं, स्वरोजगार के लिए ऋण सहायता में वृद्धि और राज्य व केंद्र सकरार की नौकरियों के चयन द्वारा रोजगार व आर्थिक गतिविधियों में अल्पसंख्यकों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना (ग) बुनियादी संरचना विकास योजनाओं में उचित भागीदारी सुनिश्चित कर अल्पसंख्यकों के जीवन स्तर में सुधार लाना (घ) सांप्रदायिक हिंसा की रोकथाम और नियंत्रण करना। नए कार्यक्रमों का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यक समुदाय के वंचित वर्ग को मिले। यह सुनिश्चित करने के लिए इन योजनाओं का लाभ समान रूप से अल्पसंख्यकों तक भी पहुंचे, नए कार्यक्रम में अल्पसंख्यकों की अधिक संख्या वाले क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं का कुछ हिस्सा केंद्रित करने पर विचार किया गया है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि जहां तक संभव हो, विभिन्न योजनाओं का 15 प्रतिशत हिस्सा वित्तीय परिव्यय व लाभार्थी अल्पसंख्यकों में से हों।

अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति योजना

अल्पसंख्यक समुदाय के विद्यार्थियों के लिए केंद्र द्वारा प्रायोजित तीन छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई हैं। इनमें बालिकाओं की उचित भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इन तीन योजनाओं में 30 प्रतिशत छात्रवृत्तियां उनके लिए हैं। ये योजनाएं इस प्रकार हैं-

  1. मेरिट कम मीन्त स्कॉलरशिप: यह पूर्णतः केंद्र द्वारा वित्त पोषित योजना है। स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए प्रति वर्ष 20000 नई छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। योजना में 70 संस्थानों की सूचीबद्ध किया गया है और इसके विद्यार्थियों को पूरे पाठ्यक्रम की फीस दी जाती है। अन्य मान्यता प्राप्त संस्थानों के विद्यार्थियों को प्रति वर्ष अधिकतम ₹ 20000 का पुनर्भुगतान किया जाता है।
  2. मेरिट पश्चात् स्कॉलरशिप: यह पूर्णतः केंद्र द्वारा वित्त पोषित योजना है। यह छात्रवृति कक्षा ग्यारह से पीएच.डी. स्तर तक के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों को प्रदान की जाती है। इसमें कक्षा ग्यारह और बारह के तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के विद्यार्थी शामिल हैं। तीन हजार से दस हजार प्रति वर्ष की फीस का पुनर्भुगतान विद्यार्थी को कर दिया जाता है।
  3. मैट्रिक पूर्व स्कॉलरशिप: पहली कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए चलाई जाने वाली इस योजना में केंद्र व राज्य की भागीदारी क्रमशः 75 और 25 की है। इस योजना के तहत् ₹ 4700 प्रति वर्ष तक की फीस का पुनर्भुगतान विद्यार्थी को किया जाता है। आवेदन के लिए केंद्र और राज्य सरकारें विज्ञापन देती हैं।

अल्पसंख्यक बहुल जिलों की पहचान: वर्ष 2001 की जनगणना और पिछड़ेपन के पैमानों के आधार पर ऐसे 90 जिलों की पहचान की गई है। शिक्षा, रोजगार, स्वच्छता, आवास, पेयजल और विद्युत आपूर्ति जैसे विकास के पिछड़ेपन के कारकों से निपटने के लिए वर्ष 2008-09 में एक बहुल क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम शुरू किया गया है। विकास के पिछड़ेपन के कारकों की पहचान के लिए बुनियादी सर्वेक्षण भारतीय समाज विज्ञान शोधपरिषद्, नई दिल्ली द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय शोध संस्थानों द्वारा किया गया। आठ अल्पसंख्यक जनसंख्या बहुल जिलों की बहुक्षेत्रीय विकास योजना को मंजूरी दी जा चुकी है।

निःशुल्क कोचिंग और समवर्गी योजना: सरकारी सेवाओं तथा सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व में सुधार करने व नौकरी के क्षेत्र में उभरते परिदृश्य का सामना करने के उद्देश्य से यह योजना जुलाई 2007 में शुरू की गई।


दरगाह ख्वाजा साहेब अधिनियम, 1955:  इस अधिनियम के अंतर्गत दरगाह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (आर.ए.) के धर्मादा और दरगाह के समुचित प्रशासन के लिए प्रावधान बनाए जाते हैं। इस केंद्रीय अधिनियम के तहत् दरगाह धर्मादा के प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन को दरगाह समिति (समिति में प्रतिनिधित्व) के निहित कर दिया गया और इस समिति की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है।

राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति लब्ध वक्फ है। दरगाह ख्वाजा साहेब अधिनियम, 1955 के तहत् इस दरगाह का संचालन होता है। दरगाह धर्मादा का प्रशासन, नियंत्रण और प्रबंधन दरगाह समिति में निहित है।

भारत सरकार, शहरी विकास मंत्रालय और स्थानीय प्रशासन के जरिए राजस्थान सरकार की सक्रिय भूमिका के सहयोग से दरगाह समिति सालाना उर्स के दौरान पवित्र दरगाह के दर्शनार्थ आने वाले लाखों तीर्थयात्रियों को ठहरने की सुविधा प्रदान करने के लिए एक योजना भी चला रहा है। इस सुविधा को पहले विश्राम स्थली के नाम से जाना जाता था और अब इसका गरीब नवाज मेहमान खाना के तौर पर नामकरण कर दिया गया है। दरगाह ख्वाजा साहेब के तीर्थयात्रियों की सुविधाओं/साधनों के मद्देनजर ही ढांचागत उपाय प्रदान किए जाते हैं।

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