यूनेस्को के भारत में विश्व विरासत स्थल UNESCO World Heritage Sites In India

यूनेस्को (UNESCO – United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization) के विश्व विरासत स्थल ऐसे स्थल होते हैं जो,

1. मानव रचनात्मक प्रतिभा की एक उत्कृष्ट कृति का प्रतिनिधित्व करने के लिए बनाए गये हो

2. एक समय के अंतराल पर दुनिया की किसी एक सांस्कृतिक क्षेत्र के भीतर वास्तुकला या प्रौद्योगिकी, स्मारकीय कला, शहरी योजना या परिदृश्य में मानव मूल्यों का महत्वपूर्ण प्रदर्शन करने वाले स्थल

3. एक अद्वितीय सांस्कृतिक परंपरा जो विद्यमान है या विलुप्त हो चुकी है

4. प्राकृतिक घटना या असाधारण प्राकृतिक सुंदरता और सौंदर्य महत्व के क्षेत्र

5. महत्वपूर्ण भू आकृतियों, या भूगर्भीय प्रक्रियाओं के द्वारा बनने वाले प्राकृतिक स्थल

6. महत्वपूर्ण स्थलीय, ताजा पानी, तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों और पौधों और जानवरों के समुदायों के विकास में पारिस्थितिकी और के विकास के लिए चल रही जैविक प्रक्रियाओं के प्रतिनिधित्व के उत्कृष्ट उदाहरण


7.  विज्ञान या संरक्षण की दृष्टि से सार्वभौमिक मूल्य की प्रजातियाँ और उन सहित जैविक विविधता के यथास्थान संरक्षण के लिए सबसे महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण प्राकृतिक निवास स्थल

ऐसे महत्वपूर्ण स्थलों के संरक्षण की पहल यूनेस्को द्वारा की गई। इस आशय की एक अंतर्राष्ट्रीय संधि जो कि विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण की बात करती है 16 नवंबर 1972 को संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवीय पर्यावरण सम्मेलन में “विश्व के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर सम्मेलन” को स्टॉकहोम, स्वीडन में स्वीकृति दी गई।

यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की इस संधि में मुख्य रूप से 3 प्रकार के स्थल आते है-

प्राकृतिक धरोहर स्थल – ऐसी धरोहर भौतिक या भौगोलिक प्राकृतिक निर्माण का परिणाम या भौतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर या वैज्ञानिक महत्व की जगह या भौतिक और भौगोलिक महत्व वाली यह जगह किसी विलुप्ति के कगार पर खड़े जीव या वनस्पति का प्राकृतिक आवास हो सकती है।

सांस्कृतिक धरोहर स्थल – इस श्रेणी की धरोहर में स्मारक, स्थापत्य की इमारतें, मूर्तिकारी, चित्रकारी, स्थापत्य की झलक वाले, शिलालेख, गुफा आवास और वैश्विक महत्व वाले स्थान; इमारतों का समूह, अकेली इमारतें या आपस में संबद्ध इमारतों का समूह; स्थापत्य में किया मानव का काम या प्रकृति और मानव के संयुक्त प्रयास का प्रतिफल, जो कि ऐतिहासिक, सौंदर्य, जातीय, मानवविज्ञान या वैश्विक दृष्टि से महत्व की हो, शामिल की जाती हैं।

मिश्रित धरोहर स्थल – इस श्रेणी के अंतर्गत् वह धरोहर स्थल आते हैं जो कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों ही रूपों में महत्वपूर्ण होती हैं।

भारत को विश्व धरोहर सूची में 14 नवंबर 1977 में स्थान मिला।

15-25 जून 2014 को दोहा कतर में संपन्न 10 दिवसीय बैठक में पतन, गुजरात में सरस्वती नदी के तट पर स्थित ‘रानी की वाव’ (The Queen’s Stepwell) तथा कुल्लू, हिमाचल प्रदेश स्थित ‘ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क’ को यूनेस्को विश्व विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया| इसके साथ ही कोरिया के प्राचीन शहर हान सांग सियोंग (Nam Han San Seong), चीन की ग्रांड केनाल और चीन कज़ाकस्तान और किर्गिस्तान में फैले 5000 किमी. के सिल्क रोड नेटवर्क को भी यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ने इन्हें विश्व विरासत सूची में शामिल करने का फ़ैसला किया| कुल मिलकर 26 नई परिसंपत्तियों / स्थलों को इस वर्ष यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया|

इस समय कुल मिलकर विश्व विरासत सूची मे शामिल परिसंपत्तियों की संख्या 1007 हो गयी है, जो की 161 देशों में स्थित है| इनमें 779 सांस्कृतिक परिसंपत्तियाँ, 197 प्राकृतिक स्थल व 131 मिश्रित परिसंपत्तियाँ शामिल हैं|

भारत की कुल 32 परिसंपत्तियाँ, 25 सांस्कृतिक व 7 प्राकृतिक स्थल इस सूची में शामिल हैं|

विश्व विरासत सूची में भारत की परिसंपत्तियाँ और स्थल  India’s assets and sites in World Heritage List
परिसंपत्तियाँ और स्थल  विश्व विरासत सूची में शामिल किए जाने का वर्ष
अंजता की गुफाएं, औरंगाबाद, महाराष्ट्र 1983
एलोरा की गुफाएं, औरंगाबाद, महाराष्ट्र 1983
आगरा किला, आगरा, उत्तर प्रदेश 1983
ताजमहल, आगरा, उत्तर प्रदेश 1983
सूर्य मंदिर, कोणार्क, पुरी, ओडिशा 1984
महाबलीपुरम के स्‍मारक समूह, तमिलनाडु 1984
गोवा के चर्च और आश्रम, गोवा 1986
खजुराहो के स्‍मारक, खजुराहो, मध्य प्रदेश 1986
हम्‍पी के स्‍मारक, बेल्लारी, कर्नाटक 1986
फतेहपुर सीकरी, आगरा, उत्तर प्रदेश 1986
पट्टादकल के स्‍मारक समूह, कर्नाटक 1987
एलिफेंटा की गुफाएं, मुंबई, महाराष्ट्र 1987
बृहदिस्‍वर मंदिर, तंजावुर, तमिलनाडु[1] 1987
सांची के बौद्ध स्‍मारक, मध्य प्रदेश 1989
हुमायूं का मकबरा, दिल्‍ली 1993
कुतुब मीनार और उसके स्‍मारक, दिल्‍ली 1993
दार्जिलिंग हिमालय रेलवे[2] 1999
महाबोधी मंदिर परिसर, बोध गया 2002
भीमबेटका के रॉक शेल्‍टर 2003
छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (भूतपूर्व विक्‍टोरिया टर्मिनल) 2004
चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्‍व पार्क 2004
चोला मंदिर (1987 में अभिलेखित बृहदिस्‍वर मंदिर का विस्‍तार) 2004
फूलों की घाटी नेशनल पार्क (1988 में अभिलेखित नंदा देवी नेशनल पार्क का विस्‍तार) 2005
नीलगिरी माउंटेन रेलवे 2005
लाल किला परिसर 2007
भारतीय पर्वतीय रेल का विस्‍तार: कालका शिमला रेलवे 2008
जंतर मन्तर,जयपुर, राजस्थान 2010
राजस्थान के राजपूताना शैली के 6 किलेआमेर का किला, राजस्थान (2013)

गागरौन किला, जैसलमेर, राजस्थान (2013)

चित्तौड़गढ़ किला, राजस्थान (2013)

कुंभलगढ़ किला, राजस्थान (2013)

रणथंभौर किला, राजस्थान (2013)

जैसलमेर किला, राजस्थान (2013)

2013
रानी की वाव, पाटण, गुजरात 2014
प्राकृतिक स्थल Natural Sites
मानस वाइल्‍ड लाइफ सेंचुरी 1985
कियोलदिओ नेशनल पार्क 1985
काज़ीरंगा नेशनल पार्क 1985
सुंदरबन नेशनल पार्क 1987
नंदा देवी नेशनल पार्क[3] 1988
पश्‍चिमी घाट, सह्यद्रि पर्वत, कर्नाटक, केरल, महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु 2012
ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान, कुल्लू, हिमाचल प्रदेश 2013


[1] इसके विस्तार के रूप में चोला मंदिर को 2004 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया|

[2] इसके विस्तार के रूप में नीलगिरि पर्वतीय रेलवे को 2005 में व कालका-शिमला रेलवे को 2008 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था|

[3] इसके विस्तार के रूप में वैली ऑफ फ्लावर्स राष्ट्रीय पार्क को 2005 में विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था|

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