यूरोपीय रक्षा एवं सहयोग संगठन The Organization for Security and Co-operation in Europe – OSCE

यह संगठन यूरोपीय महाद्वीप में युद्ध-निवारण, संकट प्रबंधन और उत्तर-युद्ध पुनर्वासन में सहयोग और समन्वय स्थापित करने के लिये एक अखिल यूरोपीय संगठन है।

मुख्यालय: विएना (ऑस्ट्रिया)।

सदस्यता: अल्बानिया, अंडोरा, अमोनिया, ऑस्ट्रिया, अजरबैजान, बेलारूस, बेल्जियम, बोस्निया-हर्जेगोविना, बुल्गारिया, कनाडा, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, जॉर्जिया, जर्मनी, यूनान, हंगरी, आइसलैंड,आयरलैंड, इटली, कजाखस्तान,, किर्गिस्तान, लातविया, लिचेंस्टीन, लिथुआनिया, लक्समबर्ग, मेसिडोनिया, माल्टा, माल्डोवा, मोनाको, मंगोलिया, मोंटेनेग्रो, नीदरलैंड,, नार्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, रोमानिया, रूस, सैन मरीनो, सर्बिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्ज़रलैंड, ताजकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, उज्बेकिस्तान, और वेटिकन सिटी।

एशियाई सहयोगी सदस्य: जापान, कोरिया गणतंत्र, थाईलैंड और अफगानिस्तान।

भूमध्यसागरीय सहयोगी सदस्य: अल्जीरिया, मिस्र, इजरायल, जॉर्डन, मोरक्को और ट्युनीशिया।

महासागरीय सहयोगी: आँस्ट्रेलिया।

उद्भव एवं विकास


1960 के दशक के अंत में नाटो और वारसा संगठनों के मध्य संवाद के माध्यम से पूर्व-पश्चिम सुरक्षा मुद्दों पर विचार करने के लिये एक मंच के गठन का प्रस्ताव लाया गया ताकि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में स्थापित राजनीतिक और क्षेत्रीय यथास्थिति को बरकरार रखा जा सके। तद्नुसार, लगभग 30 यूरोपीय देशों, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका ने 3 जुलाई, 1973 को व्हेलसिंकी (फ़िनलैंड) में यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग सम्मलेन (Conference on Security and Cooperation in Europe—CSCE) का आयोजन किया।  सीएससीई का पहला शिखर सम्मेलन अगस्त 1975 में हुआ, जिसमें व्हेलसिंकी अंतिम अधिनियम (व्हेलसिंकी फाइनल एक्ट) की स्वीकृति दी गई। इस अधिनिमय ने यूरोपीय सीमाओं की अलंघनीयता तथा प्रत्येक हस्ताक्षरकर्ता देश के अपनी राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रणाली चुनने और उसे विकसित करने के अधिकारों की घोषणाएं की। साथ ही, इसने सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और मानवाधिकारों पर चर्चाएं आयोजित करने का आग्रह किया। व्हेलसिंकी अंतिम अधिनियम ने स्वयं को इन तीन बिन्दुओं पर केन्द्रित किया-

  1. सहभागी सदस्यों के मध्य सुरक्षा संबंधों के लिये मार्ग-निर्देशक सिद्धान्त और सैन्य विश्वासोत्पादक उपाय;
  2. आर्थिक, वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी तथा पर्यावरण के क्षेत्रों में सहयोग, और;
  3. मानवीय तथा अन्य क्षेत्रों में सहयोग।

नवम्बर 1990 में आयोजित पेरिस शिखर सम्मेलन ने शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद सीएससीई के लिये एक नया लक्ष्य प्रस्तुत किया। इस शिखर सम्मेलन ने 22 देशों (16 नाटो सदस्य और 6 वारसा सदस्य) ने परम्परागत यूरोपीय सैन्य बल में कमी लाने के लिये एक महत्वपूर्ण संधि पर हस्ताक्षर किए और सभी सदस्यों ने विश्वास और सुरक्षा-उत्पादक उपायों और खुला आकाश संधि घोषणा (Declaration on the Open Skies Treaty) को अपनाने का निर्णय किया।

व्हेलसिंकी शिखर सम्मेलन, 1992 में सीएससीई अपने उद्देश्यों और संरचनाओं को पुनर्गठित करने पर केन्द्रित रहा। इसने सीएससीई सुरक्षा सहयोग मंच और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक उच्चायुक्त पद के गठन का अनुमोदन किया। सम्मेलन ने यह निर्णय भी लिया कि सीएससीई की अपनी एक पृथक् शांति सेना होनी चाहिए, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यों और भावनाओं के अनुरूप हो तथा नाटो, सीआईएस, ईयू और डब्ल्यूईयू के साथ सामंजस्य बनाकर रख सके। व्हेलसिंकी दस्तावेज ने सम्मेलन को विधिवत रूप से क्षेत्रीय संगठन घोषित किया।

संगठन के वर्तमान नाम- यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग संगठन (Organisation for Security and Cooperation in Europe—OSCE)—को बुडापेस्ट शिखर सम्मलेन 1994, में अपनाया गया, क्योंकि इस तथ्य को स्वीकार कर लिया गया कि सीएससीई मात्र एक सम्मेलन न रहकर एक पूर्ण विकसित संगठन बन गया है।

उद्देश्य

ओएससीई के मुख्य उद्देश्य हैं- मानवाधिकारों, प्रजातंत्र और कानून के शासन के प्रति आदर को सुदृढ़ बनाना; शांति को मजबूती प्रदान करना, तथा; यूरोप में एकता को प्रोत्साहन देना।

रचना

सदस्य देशों के शासनाध्यक्ष/राष्ट्राध्यक्ष सर्वोच्च राजनीतिक स्तर पर प्राथमिकताएं निर्धारित करते हैं और दिशा प्रदान करते हैं। मंत्रिपरिषद सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों से बनी होती है। शिखर सम्मेलन के दौरान मंत्रिपरिषद को अधिशासी अधिकार प्राप्त रहते हैं। आवर्तक (periodic) राजनीतिक विचार-विमर्श के लिये वरिष्ठ परिषद संयोजित की जाती है। आर्थिक मंच के रूप में उत्तरदायी होती है। ओएससीई के सहभागी देशों के स्थायी प्रतिनिधि इस परिषद के सदस्य होते हैं। सुरक्षा सहयोग मंच (एफएससी) शस्त्र नियंत्रण तथा विश्वास और सुरक्षा-उत्पादक उपायों पर विचार करता है। कार्यालय अध्यक्ष अधिशासी कार्यों के लिये जवाबदेह होता है। यह पद वार्षिक आधार पर घूर्णित होता है। महासचिव कार्यालय अध्यक्ष के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है और ओएससीई की संरचना और संचालन प्रबंधन के लिये जवाबदेह होता है। विवाद निवारण केन्द्र ओएससीई के कार्यों के लिये संचालनात्मक सहायता प्रदान करता है। विवाद निवारण केंद्र विएना स्थित सचिवालय में अवस्थित है। प्रजातांत्रिक संस्थाओं और मानवाधिकारों के लिये कार्यालय, जो वारसा में अवस्थित है, चुनावों के संचालन और राष्ट्रीय निर्वाचक और मानवाधिकार संस्थाओं के विकास का निरीक्षण करता है तथा उन्हें सहायता प्रदान करता है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक उच्चायुक्त का कार्यालय हेग में अवस्थित है। यह जातीय तनावों, जो ओएससीई सदस्यों के मध्य संबंधों की संकट में डाल सकते हैं, की पहचान और निदान से संबंधित होता है।

गतिविधियां

अपने कार्यों और अन्य संस्थाओं के माध्यम से ओएससीएस यूरोप के कई विवादों के शांतिपूर्ण निदान को प्रोत्साहन देने का प्रयास करता है। सशस्त्र संघर्ष में परिवर्तित होने की आशंका वाले तनावों के निदान हेतु यह संगठन संयुक्त राष्ट्र संघ, यूरोपीय परिषद, नाटो और डब्ल्यूईयू से घनिष्ठ सम्पर्क बनाकर रखता है।

ओएससीई ने बोस्निया-हर्जेगोविना तथा पूर्व युगोस्लाविया और कॉकेशश के अन्य क्षेत्रों में शांति, प्रजातंत्र और स्थिरता बहाल करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। इसने अनेक मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय देशों में संसद और राष्ट्रपति के चुनावों और जनमत संग्रहों का पर्यवेक्षण भी किया है।

ओएससीई का सबसे पहला संस्थान ऑफिस फॉर डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशन एण्ड ह्युमन राइटस (ओडीआईएचआर) है जिसकी स्थापना 1991 में की गई। ओडीआईएचआर ने 1995 में 150 से अधिक चुनावों का पर्यवेक्षण और जनमत संग्रह किया, जिसके लिए उसने कुछ 35,000 पर्यवेक्षकों को भेजा। इसने अपने क्षेत्र से बाहर दो बार अभियानों का संचालन किया। इसने 9 अक्टूबर, 2004 को अफगानिस्तान में राष्ट्रपति चुनावों में तकनीकी मदद प्रदान करने के लिए एक टीम भेजी और 18 सितंबर, 2005 को संसदीय एवं प्रांतीय परिषद् के चुनावों में मदद के लिए एक निर्वाचन सहायता दल मुहैया कराया। अफगानिस्तान, सहयोग हेतु ओएससीई का सहभागी है।

ओएससीई सहयोगी देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उल्लंघन की पूर्व चेतावनी प्रदान करने के लिए चौकीदार के तौर पर काम करने के लिए दिसंबर 1997 में ओएससीई रिप्रजेन्टेटिव ऑन फ्रीडम ऑफ द मीडिया कार्यालय की स्थापना की गई। वर्तमान में (मई 2014 की स्थिति तक) जनसंचार विधि विशेषज्ञ (मीडिया लॉ एक्सपर्ट) प्रतिनिधि बोस्निया-हर्जेगोविना से है।

वर्ष 2003 से ओएससीई ने मानव व्यापार एवं तस्करी से निपटने के लिए एक तंत्र, जैसाकि पालेरमो प्रोटोकॉल के अनुच्छेद 3 में परिभाषित किया गया है, की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सहभागी देशों के अंतर्गत इससे निपटने के लिए समस्या के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने और राजनीतिक इच्छा शक्ति का निर्माण करना है।

मानव व्यापार एवं तस्करी के  विरुद्ध ओएससीई के कार्यों का समन्वय ऑफिस ऑफ़ द स्पेशल रिप्रजेन्टेटिव एंड कोऑर्डीनेटर फॉर कोम्बेटिंग ट्रैफिकिंग इन ह्यूमन बींइग करता है।

समीक्षा: 1990 और 2000 के दशकों में ओएससीई की गतिविधियां निर्बाध तौर पर चलती रहीं, लेकिन विगत कुछ वर्षों से ओएससीई पर सीआईएस देशों (प्राथमिक तौर पर रूस) द्वारा इस बात का आरोप लगाया गया कि ओएससीई पश्चिमी देशों के हितों की अभिवृद्धि का साधन मात्र बन गया है। उदाहरणार्थ, 2004 में यूक्रेन के घटनाक्रम में रूस द्वारा यह आरोप लगाया गया कि इसमें पश्चिमी देशों के समर्थक विक्टर येशचेन्को की तरफ से संलिप्त था। वर्ष 2007 में म्युनिख कांफ्रेंस ऑन सिक्योरिटी पॉलिसी में ब्लादिमीर पुतिन ने इसे स्पष्ट किया। वर्ष 2008 के अमेरिकी अध्यक्षीय निर्वाचन में ओएससीई के ओडीआईएचआर पर रूस के लॉ मेकर स्लस्की ने दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।

वर्ष 2010 में, ओएससीई पार्लियामेंट्री एसेम्बली की लाटविया के प्रतिनिधिमण्डल ने पारदर्शिता एवं लोकतंत्र के अभाव के लिए आलोचना की।

नवम्बर, 2012 के यू.एस.ए. अध्यक्षीय निर्वाचनों से पूर्व, ओएससीई ने टेक्सास और यू.एस.ए. के अन्य राज्यों में निर्वाचक ऑब्जर्वर भेजने की अपनी मंशा की घोषणा की। इसके प्रत्युत्तर में टेक्सास के अटॉर्नी जनरल ग्रेग एबॉट ने अमेरिका की विदेश मंत्री (सेक्रेटरी ऑफ स्टेट) हिलेरी क्लिंटन की एक पत्र भेजा कि यदि ओएससीई अधिकारी टेक्सास के निर्वाचक क्षेत्र में प्रवेश करते हैं या टेक्सास के कानूनों को भंग करते हैं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके जवाब में यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट ने संकेत दिया की ओएससीई को इससे उन्मुक्ति प्राप्त है। हालांकि चुनावों के दौरान ओएससीई और टेक्सास अधिकारियों के बीच कोई घटना नहीं हुई।

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