दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय ट्रिब्यूनल Telecom Disputes Settlement & Appellate Tribunal – TDSAT

अध्यादेश द्वारा ट्राई अधिनियम, 1997 का संशोधन किया गया, जो 24 जनवरी, 2000 से प्रभावी हुआ। इसके द्वारा दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय ट्रिब्यूनल (टीडीएसएटी) को स्थापित किया गया, जिसने ट्राई से अधिनिर्णयन एवं विवाद निपटान कृत्यों को हस्तगत कर लिया।

टीडीएसएटी की स्थापना लाइसेंस प्रदानकर्ता एवं लाइसेंस प्राप्तकर्ता के बीच किसी विवाद, दो या दो से अधिक सेवा प्रदाताओं के मध्य, सेवा प्रदाता और उपभोक्ताओं के समूह के मध्य विवाद का निपटान करने और ट्राई के किसी आदेश, निर्णय या निर्देश के खिलाफ अपील को सुनने एवं उसका निपटान करने के लिए किया गया।

अपीलीय ट्रिब्यूनल में एक अध्यक्ष एवं दो से अधिक सदस्यों की नियुक्ति, अधिसूचना द्वारा केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।

अपीलीय ट्रिब्यूनल सिविल आचार संहिता 1908 द्वारा निर्धारित प्रक्रिया से बंधा नहीं है, लेकिन प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों से निर्देशित होता है और इस अधिनियम के अन्य प्रावधानों के विषयगत है, अपीलीय ट्रिब्यूनल को स्वयं की प्रक्रियाओं को विनियमित करने की शक्ति होगी। ट्रिब्यूनल के पास, उसके कृत्यों के निर्वहन के लिए, सिविल आचार संहिता, 1908 के तहत् दीवानी न्यायालय में निहित शक्तियों के समान शक्तियां होगीं, जब वह निम्न मामलों से संबंधित प्रकरणों पर विचार करता है-

  • किसी व्यक्ति को उसके समक्ष प्रस्तुत होने का सम्मन भेजना और बाध्य करना;
  • किसी दस्तावेज की प्रस्तुति की मांग करना;
  • शपथपत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना;
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 123 और 124 के प्रावधानों के विषयाधीन रहते हुए, किसी ऑफिस से किसी सार्वजनिक रिकॉर्ड, या दस्तावेज या ऐसे रिकार्ड या दस्तावेज की छायाप्रति की आवश्यकता;
  • साक्ष्य या दस्तावेज के परीक्षण हेतु आयोग गठित करना;
  • स्वयं के निर्णयों की समीक्षा करना;
  • कोई अन्य मामला, जो इसे संदर्भित किया गया हो।

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