सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ताएं Strategic Arms Limitation Talks – SALT

सामरिक अस्त्रों के परिसीमन के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के मध्य हुई द्वि-पक्षीय वार्ताओं को सामरिक हथियार परिसीमन वार्ताएं (Strategic Arms Limitation Talks-SALT) के नाम से जाना जाता है। इन वार्ताओं ने दो अभिसमयों को जन्म दिया- साल्ट-1 तथा साल्ट-IIसाल्ट-I पर मई 1972 में हस्ताक्षर हुए, जबकि साल्ट-II पर 1979 में। दोनों का लक्ष्य परमाणु हथियारों की प्रतिस्पर्द्धा पर रोक लगाना था।

साल्ट-I का विकास संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चार वर्ष तक हुई वार्ताओं के आधार पर हुआ। इस समझौते में मोटे तौर पर दो पृथक् संधियां सम्मिलित थीं-(i) प्रक्षेपास्त्र विरोधी प्रणाली (एबीएम) का परिसीमन, तथा; (ii) सामरिक विध्वंसक शस्त्र परिसीमन पर अंतरिम समझौता (Interim Agreement on the Limitation of the Strategic Offensive Arms)। एबीएम संधि की समय सीमा असीमित थी, जबकि सामरिक शस्त्र परिसीमन अंतरिम समझौता सिर्फ पांच वर्षों के लिये प्रभावशाली था। एबीएम संधि के अंतर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस केवल दो ठिकानों (राष्ट्रीय राजधानी के इर्द-गिर्द और किसी एक आईसीबीएम ठिकाने पर) एबीएम की तैनाती कर सकते थे। इस संधि ने एबीएम प्रणाली की विस्तृत रूपरेखा भी प्रस्तुत की। अंतरिम समझौता, जो कि संधि का ही एक भाग था, में भूमि आधारित आईसीबीएम तथा पनडुब्बी-प्रक्षेपित परमाणु प्रक्षेपास्त्र दोनों को सम्मिलित किया गया। सोवियत संघ के लिये आईसीबीएम की अधिकतम संख्या 1,618 निर्धारित की गयी, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के लिये 1,054 ।

साल्ट-1 अक्टूबर 1977 में समाप्त हो गई। फिर भी, दोनों देशों ने संधि के प्रावधानों का पालन करना जारी रखा तथा एक नये समझौते के लिये वार्ताएं शुरू कीं। इन वार्ताओं के परिणामस्वरूप जून 1979 में विएना में साल्ट-II पर हस्ताक्षर किए गए। इस संधि के अंतर्गत दिसंबर 1985 तक सामरिक अस्त्रों की संख्या सीमित करने का लक्ष्य रखा गया। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका की सीनेट द्वारा अनुमोदित होने से पहले ही अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप के कारण साल्ट-II संकटग्रस्त हो गई तथा उसका कभी भी अनुमोदन नहीं हो पाया। इस प्रकार साल्ट-II एक अप्रचलित नियम (dead-letter) बनकर रह गई।

बाद में साल्ट प्रक्रिया के स्थान पर अस्तत्व में आए स्टार्ट-I तथा स्टार्ट-II अधिक प्रगतिशील थे।

सामरिक अस्त्र कटौती वार्ताएं

सामरिक अस्त्र कटौती वार्ताएं-I (Strategic Arms Arms Reduction Talks– START-I) 1982 में प्रारंभ हुई तथा जुलाई 1991 में संपन्न हुई। स्टार्ट को मूल रूप से 1960 और 1970 के दशकों के साल्ट के सुधार के रूप में देखा गया। साल्ट की तरह स्टार्ट भी तत्कालीन सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच द्वि-पक्षीय समझौता था। स्टार्ट-I अस्त्र प्रणालियों के विभिन्न वर्गों पर अनेक प्रकार के बंधन तथा उप-बंधन आरोपित करता है। मुख्य बंधन निम्नांकित हैं-

  1. प्रत्येक पक्ष अधिकतम 1,600 सामरिक परमाणु प्रक्षेपण वाहन अर्थात् आईसीबीएम, एसएलबीएम और भारी बमवर्षक रख सकता है।
  2. प्रत्येक पक्ष अधिकतम 6,000 उत्तरदायी स्फोटक शीर्ष  (acoountable warheads) रख सकता है (अर्थात् दोनों पक्षों द्वारा 40 प्रतिशत से अधिक की कटौती की जाएगी)।
  3. प्रत्येक पक्ष आईसीबीएम और एसएलबीएम पर अधिकतम 4,900 उत्तरदायी स्फोटक शीर्ष रख सकता है।

साधारणतः यह समझौता भूमि-आधारित प्रक्षेपास्त्रों और समुद्र आधारित प्रक्षेपस्त्रों के बीच भेदभाव करता है। यह बमवर्षकों और समुद्री (cruise) प्रक्षेपास्त्रों के पक्ष में है, लेकिन इसमें लगातार समानता रखने की मांग करता है।


स्टार्ट-I ने राष्ट्रीय तकनीकी साधन (अर्थात् शत्रु देश के आवागमन का जासूसी विश्लेषण) तथा निरीक्षण सुविधाओं के आधार पर एक विस्तृत परीक्षण व्यवस्था स्थापित करने की मांग की। लेकिन संधि में निर्धारित सीमा (limit) तक परीक्षण एक समस्या है। यह संधि 15 वर्षों के लिये लागू है। इसके बाद, दोनों देशों द्वारा पारस्परिक सहमति से इसे पांच-पांच वर्षों के लिये फिर बढ़ाया जा सकता है।

सामरिक अस्त्र कटौती वार्ताएं-II

संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस द्वारा 1993 में हस्ताक्षरित स्टार्ट-II स्टार्ट-I समझौते का एक अनुवर्ती कदम था। साम्यवाद के पतन, सोवियत संघ के अंतःस्फोट (implosion) तथा शीतयुद्ध की समाप्ति के कारण परमाणु अस्त्र, जिन्हें कभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्या का एक महत्वपूर्ण निदान माना जाता था, दोनों देशों के लिये एक समस्या बन गए। अतः स्टार्ट-II समझौते में परमाणु अस्त्रों में भारी कटौती की मांग की गई। यह निर्णय लिया गया कि 1 जनवरी, 2003 के बाद दोनों देश अधिकतम 3,500 उत्तरदायी स्फोटक शीर्ष रखेंगे। एमआईआरवी स्फोटक शीर्ष वाले भूमि-आधारित प्रक्षेपास्त्रों को पूर्णतया नष्ट कर दिया जायेगा। एसएलबीएम (submarine-launched ballistic missile) की अधिकतम संख्या 1,750 हो जाएगी। मानवसहित बमवर्षकों (manned bombers) की संख्या में भारी कटौती होगी। वर्तमान में स्टार्ट-II के अतंर्गत संयुक्त राज्य अमेरिका और रूसी परिसंघ अपरमाणुकरण (denuclearisation) और अप्रसार के लिये समर्पित है।

अमेरिकी कांग्रेस ने 1996 में इस समझौते का अनुमोदन कर दिया। 1997 के एक शिखर सम्मेलन में अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपतियों ने एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए जिसके अंतर्गत स्टार्ट-II के क्रियान्वयन की समय सीमा अगले पांच वर्षों (2002 से 2007 तक) के लिये बढ़ा दी गयी। मास्को ने रूसी संसद द्वारा इस समझौते के अनुमोदन के लिये अतिरिक्त समय की मांग की। अप्रैल 2000 में रूसी संसद के निचले सदन, स्टेट ड्यूमा (State Duma), ने संधि का अनुमोदन कर दिया। स्टार्ट-II की सफलता संयुक्त राज्य अमेरिका के एनएमडी कार्यक्रम पर निर्भर है।

अभी स्टार्ट-III के लिये वार्ताएं चल रही हैं। अगर ये वार्ताएं सफल होती हैं, तो दोनों देश (अमेरिका और रूस) के पास परमाणु स्फोटक शीर्षों की संख्या सिमट कर 2,000 से 2,500 हो जायेगी।

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