वर्ष 2014 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार Sahitya Akademi Award in 2014
साहित्य अकादमी पुरुस्कार 2014
वर्ष 2014 के लिए 22 भाषाओँ में साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा कर दी गयी है| ये पुरस्कार 8 कविता संग्रह, 5 उपन्यास, 3 निबंध संग्रह, 3 कहानी संग्रह, 1 आत्मकथा, 1 नाटक और 1 समालोचना के लिए घोषित किये गए हैं| यह पुरस्कार 1 जनवरी 2010 से 31 दिसम्बर 2012 के दौरान पहली बार प्रकाशित पुस्तकों के लिए दिया गए है|
साहित्य अकादेमी पुरस्कार के रूप में एक उत्कीर्ण ताम्रफलक, शॅाल और 1 लाख रूपये की राशि प्रदान की जाती है| घोषित पुरस्कार 9 मार्च 2015 को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में दिए जायेंगे|
हिंदी के लिए यह पुरस्कार वरिष्ठ कथाकार, कवि, निबंधकार और चिन्तक डा. रमेशचन्द्र शाह को देने की घोषणा की गयी है| श्री रमेशचन्द्र शाह की 75 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं|
भाषा | शीर्षक | विधा | रचनाकार |
असमिया | मरियम आस्टिन अथवा हीरा बरुआ | कहानी | अरुपा पंतगीया कलिता |
बांग्ला | पिया माँ भाबे | कविता | उत्पल कुमार बसु |
बोडो | उदांनिफ्राय गिंदीफिन्नानै | कविता | उर्खाव गोरा ब्रह्म |
डोगरी | हाशिये पर | उपन्यास | शैलेन्द्र सिंह |
अंग्रेजी | ट्राईंग टू से गुडबाइ | कविता | आदिल जस्सावाला |
गुजराती | छबि भितरनी | निबंध | (स्व.) अश्विन महेता |
हिंदी | विनायक | उपन्यास | रमेशचन्द्र शाह |
कन्नड़ | उत्तरार्ध | निबंध | जी. एच. नायक |
कोंकणी | मंथन | निबंध-संग्रह | माधवी-सरदेसाय |
मैथली | उचाट | उपन्यास | आशा मिश्र |
मलयालम | मनुश्यानु ओरु आमुखम | उपन्यास | सुभाष चन्द्रन |
मराठी | चार नगरातले माझे विश्व | आत्मकथा | जयंत विष्णु नारलीकर |
नेपाली | सत्ता ग्रहण | कहानी | नन्द हांग्खिम |
ओड़िया | बिपुल दिंगत | कविता | गोपाल कृष्ण रथ |
पंजाबी | अगरबत्ती | ग़ज़ल | जसविंदर |
राजस्थानी | सुन्दर नैण सुधा | कहानी | रामपाल सिंह राजपुरोहित |
संताली | माला मुदम | नाटक | जमादार किस्कू |
सिन्धी | सिजा अज्ञान बुकु | कविता | गोपे कमल |
तमिल | मना नवलालु – मना कथानिकलु | समालोचना | राचपालेम चन्द्रशेखर रेड्डी |
उर्दू | शाहदाबा | कविता | मुनव्वर राना |
मणिपुरी और संस्कृत में पुरस्कार बाद में घोषित किये जायेंगे|
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साहित्य अकादेमी Sahitya Akademi
भारत की स्वतंत्रता के पहले से देश की ब्रिटिश सरकार के पास भारत में साहित्य की राष्ट्रीय संस्था की स्थापना का प्रस्ताव विचाराधीन था और 1944 में, भारत सरकार ने रॉयल एशियाटिक सोसायटी ऑफ़ बंगाल (Royal Asiatic Society of Bengal) का यह प्रस्ताव सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया था कि सभी क्षेत्रों में सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय सांस्कृतिक ट्रस्ट का गठन किया जाना चाहिए। ट्रस्ट के अंतर्गत साहित्य अकादेमी सहित तीन अकादेमियाँ थीं। स्वतंत्रता के पश्चात् भारत की स्वतंत्र सरकार द्वारा प्रस्ताव का अनुसरण करते हुए विस्तृत रूपरेखा तैयार करने के लिए श्रृंखलाबद्ध बैठकें बुलाई गईं। सर्वसम्मति से तीन राष्ट्रीय अकादेमियों के गठन का निर्णय हुआ, एक साहित्य के लिए दूसरी दृश्यकला तथा तीसरी नृत्य, नाटक एवं संगीत के लिए। अकादेमियों का गठन किया, लेकिन जब एक बार वे गठित हो गईं, तब वे किसी नियंत्रण में नहीं रहीं और उन्हें स्वायत्त संस्था के रूप में कार्य करने के लिए छोड़ दिया गया। भारत सरकार ने दिसंबर 1952 में साहित्य अकादेमी नामक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था की स्थापना का निर्णय लिया। साहित्य अकादेमी का विधिवत् उद्धाटन भारत सरकार द्वारा 12 मार्च 1954 को किया गया था। भारत सरकार के जिस प्रस्ताव में अकादेमी का यह विधान निरूपित किया गया था, उसमें अकादेमी की यह परिभाषा दी गई है- भारतीय साहित्य के सक्रिय विकास के लिए कार्य करनेवाली एक राष्ट्रीय संस्था, जिसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियों को समन्वित करना एवं उनका पोषण करना तथा उनके माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता का उन्नयन करना होगा।
हालाँकि अकादेमी की स्थापना सरकार द्वारा की गई है, फिर भी यह एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य करती है। संस्था पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत इस संस्था का पंजीकरण 7 जनवरी 1956 को किया गया।
भारत की ‘नेशनल एकेडेमी ऑफ़ लेटर्स’ साहित्य अकादेमी साहित्यिक संवाद, प्रकाशन और उसका देशभर में प्रसार करने वाली केन्द्रीय संस्था है तथा सिर्फ़ यही ऐसी संस्था है, जोकि भारत की चौबीस भाषाओं, जिसमें अंग्रेजी भी सम्मिलित है, में साहित्यिक क्रिया-कलापों का पोषण करती है।
अकादेमी प्रत्येक वर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त चौबीस भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के लिए पुरस्कार प्रदान करती है, साथ ही इन्हीं भाषाओं में परस्पर साहित्यिक अनुवाद के लिए भी पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं। ये पुरस्कार साल भर चली संवीक्षा, परिचर्चा और चयन के बाद घोषित किए जाते हैं। अकादेमी उन भाषाओं के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान करने वालों को ‘भाषा सम्मान’ से विभूषित करती है, जिन्हें औपचारिक रूप से साहित्य अकादेमी की मान्यता प्राप्त नहीं है। यह सम्मान ‘क्लासिकल एवं मध्यकालीन साहित्य’ में किए गए योगदान के लिए भी दिया जाता है। अकादेमी प्रतिष्ठित लेखकों को महत्तर सदस्य और मानद महत्तर सदस्य चुनकर सम्मानित करती है। आनंद कुमारस्वामी और प्रेमचंद के नाम से एक ‘फ़ेलोशिप’ की स्थापना भी की गई है। अकादेमी ने बेंगलूरु, अहमदाबाद, कोलकाता और दिल्ली में अनुवाद-केन्द्र और दिल्ली में भारतीय साहित्य अभिलेखागार का प्रवर्त्तन किया है। नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी कैम्पस, शिलाँग में जनजातीय और वाचिक साहित्य परियोजना के प्रवर्त्तन के लिए एक परियोजना कार्यालय स्थापित किया गया था। वर्तमान में यह कार्यालय अगरतला में स्थानांतरित कर दिया गया है
अकादेमी में 99 सदस्यों की एक परिषद् (सामान्य परिषद्) है, जिसका गठन निम्नांकित प्रकार से होता है :
अध्यक्ष, वित्तीय सलाहकार, भारत सरकार द्वारा मनोनीत 5 सदस्य
भारत सरकार के राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के 35 प्रतिनिधि
साहित्य अकादेमी द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं के 24 प्रतिनिधि
भारत के विश्वविद्यालयों के 20 प्रतिनिधि
साहित्य-क्षेत्र में अपने उत्कर्ष के लिए परिषद् द्वारा निर्वाचित 8 व्यक्ति
संगीत नाटक अकादेमी, ललित कला अकादेमी, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद्, भारतीय प्रकाशक संघ और राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन के 1-1 प्रतिनिधि।
परिषद् का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। वर्तमान परिषद् अकादेमी की स्थापना के बाद तेरहवीं है और इसकी प्रथम बैठक फरवरी 2013 में संपन्न हुई। अकादेमी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्यकारी मंडल के सदस्यों और वित्त समिति के लिए सामान्य परिषद् के एक प्रतिनिधि का निर्वाचन परिषद् द्वारा किया जाता है। विभिन्न भाषाओं के परामर्श मंडल कार्यकारी मंडल द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
अध्यक्ष
साहित्य अकादेमी के पहले अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। सन् 1963 में वह पुनः अध्यक्ष निर्वाचित हुए। मई 1964 में उनके निधन के बाद सामान्य परिषद् ने डॉ. एस. राधाकृष्णन् को अपना अध्यक्ष निर्वाचित किया। फरवरी 1968 में नवगठित परिषद् ने डॉ. ज़ाकिर हुसैन को साहित्य अकादेमी का अध्यक्ष निर्वाचित किया। मई 1969 में उनके निधन के पश्चात् परिषद् ने डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी को अध्यक्ष चुना। फरवरी 1973 में वह परिषद् द्वारा पुनः अध्यक्ष चुने गए। मई 1977 में उनकी मृत्यु के पश्चात् उपाध्यक्ष प्रो. के.आर. श्रीनिवास आयंगर साहित्य अकादेमी के कार्यवाहक अध्यक्ष बनाए गए। फरवरी 1978 में प्रो. उमाशंकर जोशी अध्यक्ष निर्वाचित हुए। फरवरी 1983 में प्रो. वी. के. गोकाक अध्यक्ष निर्वाचित हुए। फरवरी 1988 में डॉ. बीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 1993 में प्रो. यू. आर. अनंतमूर्ति अध्यक्ष चुने गए। 1998 में श्री रमाकांत रथ अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2003 में प्रो. गोपीचंद नारंग अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 2008-2012 के लिए पुनर्गठित सामान्य परिषद द्वारा श्री सुनील गंगोपाध्याय को अकादेमी का अध्यक्ष चुना गया। अक्तूबर 2012 में श्री गंगोपाध्याय के निधन के पश्चात प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को प्रभारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 18 फरवरी 2013 को संपन्न पुनर्गठित सामान्य परिषद द्वारा प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को 2013-2017 के लिए अकादेमी का अध्यक्ष चुना गया।
संविधान
साहित्य अकादेमी की स्थापना भारत सरकार के 15 दिसंबर 1952 के प्रस्ताव के अंतर्गत हुई| अकादेमी एक स्वायत्त संस्था के रूप में कार्य करती है और अपने संविधान में आवश्यक संशोधन करने का अधिकार अकादेमी की सामान्य परिषद में न्यस्त है।
मान्य भाषाएँ
भारत के संविधान में परिगणित 22 भाषाओं के अतिरिक्त साहित्य अकादेमी अंग्रेजी और राजस्थानी को मान्यता प्रदान कर चुकी है।
प्रधान कार्यालय
साहित्य अकादेमी का प्रधान कार्यालय रवीन्द्र भवन, 35 फीरोजशाह मार्ग, नई दिल्ली 110001 में स्थित है। यह भव्य भवन रवीन्द्रनाथ ठाकुर की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में सन् 1961 में निर्मित हुआ था। इसमें तीनों राष्ट्रीय अकादेमियाँ- संगीत नाटक अकादेमी, ललित कला अकादेमी और साहित्य अकादेमी स्थित हैं।
यह कार्यालय डोगरी, अंग्रेजी, हिन्दी, कश्मीरी, मैथिली, नेपाली, पंजाबी, राजस्थानी, संस्कृत, संताली और उर्दू के प्रकाशनों तथा कार्यक्रमों की देखरेख करता है और इन भाषाओं के संदर्भ में क्षेत्रीय कार्यालय के रूप में कार्य करता है।
क्षेत्रीय कार्यालय
कोलकाता : सन् 1956 में स्थापित ओर अब 4, डी.एल. ख़ान रोड, (एस.एस.के.एम. अस्पताल के निकट), कोलकाता-700025 में स्थिति यह क्षेत्रीय कार्यालय असमिया, बाङ्ला, बोडो, मणिपुरी और ओडि़या में अकादेमी के प्रकाशन और कार्यक्रमों की देखरेख करता है|
बेंगलूरु : सन् 1990 में स्थापित यह क्षेत्रीय कार्यालय अंग्रेज़ी की कुछ पुस्तकों के अतिरिक्त कन्नड, मलयाळम्, तमिळ और तेलुगु में अकादेमी के प्रकाशन और कार्यक्रमों की देखरेख करता है। यह कार्यालय सेंट्रल कॉलेज परिसर में स्थित है।
चेन्नई कार्यालय
सन् 2000 में स्थापित यह कार्यालय बेंगलूरु कार्यालय के कुछ कामों की देखरेख करता है।
मुंबई
इसकी स्थापना सन् 1972 में हुई। यह कार्यालय हिन्दी और अंग्रेजी के कुछ प्रकाशनों सहित गुजराती, कोंकणी, मराठी और सिन्धी में अकादेमी के प्रकाशनों और कार्यक्रमों की देखरेख करता है।
पुस्तकालय
साहित्य अकादेमी का पुस्तकालय भारत के प्रमुख बहुभाषिक पुस्तकालयों में से एक है, यहाँ पर अकादेमी द्वारा मान्यता प्राप्त चौबीस भाषाओं में विविध साहित्यिक और संबद्ध विषयों की पुस्तकें उपलब्ध हैं। यह पुस्तकालय सर्जनात्मक कृतियों, समालोचनात्मक पुस्तकों, अनूदित कृतियों, संदर्भ ग्रंथों तथा शब्दकोशों के समृद्ध संग्रह के लिए जाना जाता है।