चालुक्यों के शासन-काल में धर्म और कला Religion and Art in the Reign of the Chalukyas

चालुक्य नरेश ब्राह्मण धर्म के अनुयायी थे। उनके शासन-काल में पौराणिक देवताओं की पूजा का प्रचलन बढ़ा। इन नरेशों ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव के विशाल मन्दिरों का निर्माण कराया। पूजा में यज्ञों की प्रथा को बढ़ावा मिला। पुलकेशिन द्वितीय ने अश्वमेघ यज्ञ किया। उसके दरबार में कवि रविकीर्ति था जिसने ऐहोल अभिलेख की रचना की। रविकीर्ति ने जिनेन्द्र का मंदिर बनवाया।

यद्यपि चालुक्य राजा ब्राह्मण धर्म के अनुयायी थे, परन्तु वे धार्मिक मामलों में सहिष्णु थे। उनकी धार्मिक सहिष्णुता के कारण दक्षिण में जैन-धर्म को भी प्रोत्साहन मिला। विक्रमादित्य द्वितीय ने जैन-धर्म को राजाश्रय प्रदान किया।

चालुक्यों के शासन-काल में कला को विशेष प्रोत्साहन मिला। चट्टानों को काटकर विशाल मन्दिरों का निर्माण कराया गया। अजन्ता और एलोरा दोनो चालुक्य राज्य में स्थित थे। अजन्ता के कुछ भित्तिचित्र चालुक्य काल के थे। एलोरा में चट्टानों को काटकर बने कुछ मन्दिर चालुक्य स्थापत्य कला की याद दिलाते हैं, जैसे कैलाश पर्वत के नीचे रावण, नृत्य करते हुए भगवान् शिव और नृसिंह भगवान हिरण्यकश्यप का वध करते हुए दिखाये गये हैं। ऐहोल के विष्णु मन्दिर में विक्रमादित्य द्वितीय का एक अभिलेख सुरक्षित है। विक्रमादित्य द्वितीय की पत्नी ने पट्टत्कल में लोकेश्वर नाम से एक शिव मन्दिर का निर्माण कराया जो विरुपाक्ष मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। इस प्रकार चालुक्यों के शासन काल में स्थापत्य कला को विशेष प्रोत्साहन मिला। चालुक्य शासकों के समय के भित्तिचित्रों में महत्त्वपूर्ण वह चित्र है जिसमें पुलकेशिन द्वितीय को ईरानी राजदूत का स्वागत करते दिखलाया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *