दाब Pressure

किसी सतह की प्रति इकाई क्षेत्रफल पर कार्य कर रहा बल दाब कहलाता है।

अर्थात् दाब = बल / क्षेत्रफल।

अतः क्षेत्रफल जितना बड़ा होगा दाब उतना ही कम होगा और क्षेत्रफल जितना कम होगा दाब उतना ही अधिक होगा। दाब का SI मात्रक-न्यूटन / मीटर2 है, जिसे अब पास्कल (Pascal-Pa) कहते हैं। यह मात्रक द्रवों का विस्तृत अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) के सम्मान में रखा गया है। दाब एक अदिश राशि है।

द्रवों में दाब Pressure in Liquids

द्रव पदार्थों का दाब उनके भार के कारण होता है। द्रव के अणु विभिन्न दिशाओं में अनियमित गति (random motion) करते रहते हैं। इस कारण द्रव के अणु परस्पर तथा बर्तन की दीवारों से टकराते रहते हैं, जिसके कारण बर्तन की दीवार एवं तली एक बल का अनुभव करती हैं। प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले इसी बल को द्रव का दाब कहते हैं।

द्रव में दाब की गणना

द्रव के अन्दर किसी बिन्दु पर द्रव के कारण दाब द्रव की सतह से उस बिन्दु की गहराई (h), द्रव के घनत्व (d) तथा गुरुत्वीय त्वरण (g) के गुणनफल के बराबर होता है, अर्थात्, दाब P = h × d × g


द्रव का दाब बर्तन, जिसमें वह रखा जाता है, उसकी आकार या आकृति पर निर्भर नहीं करता है। यदि द्रव के स्वतंत्र तल पर लगने वाले बल में वायुमंडलीय दाब को भी सम्मिलित कर लिया जाए, तो

द्रव में कुल दाब = वायुमंडलीय दाब + (h × d × g)

द्रवों में दाब संबंधी नियम

1. द्रव के भीतर किसी बिन्दु पर दाब स्वतंत्र तल से बिन्दु की गहराई के समानुपाती होता है। अर्थात् गहराई बढ़ने से द्रव का दाब बढ़ता है, क्योंकि गहराई के बढ़ने से ऊपर के द्रव का भार बढ़ता जाता है।

2. स्थिर द्रव के भीतर किसी बिन्दु पर दाब प्रत्येक दिशा में बराबर होता है। अर्थात् एक ही गहराई पर, सभी दिशाओं में समान दाब लगता है।

3. स्थिर द्रव में एक ही क्षैतिज तल में स्थित सभी बिन्दुओं पर दाब समान होता है। द्रव पात्र में द्रव का दाब सिर्फ उसकी उर्ध्वाधर गहराई पर निर्भर करता है, यह नली के आकार या चौड़ाई पर निर्भर नहीं करता है।

4. किसी बिन्दु पर द्रव का दाब द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है। द्रव का घनत्व जितना ही अधिक होगा, उसका दाब किसी गहराई पर उतना ही अधिक होगा।


द्रव-दाब संबंधी पास्कल के नियम Pascal’s Law

पास्कल के नियम का पहला कथन

यदि गुरुत्वीय प्रभाव को नगण्य माना जाए, तो सन्तुलन की अवस्था में द्रव के भीतर प्रत्येक बिन्दु पर दाब समान होता है। यदि गुरुत्वीय प्रभाव को नगण्य न माना जाए, तो समान गहराई पर स्थित सभी बिन्दु पर द्रव का दाब समान होता है।

पास्कल के नियम का दूसरा कथन

किसी बर्तन में बन्द द्रव के किसी भाग पर आरोपित बल, द्रव द्वारा सभी दिशाओं में समान परिमाण में संचारित कर दिया जाता है।

पास्कल के नियम के आधार पर कई द्रवचालित यंत्र (Hydraulic machines) बनाए गए हैं, जैसे-हाइड्रोलिक ब्रेक, हाइड्रोलिक लिफ्ट, हाइड्रोलिक प्रेस। इन सभी द्रवचालित यंत्रों की कार्यविधि द्रवों के दो मूलभूत गुणों पर निर्भर करती है। पहला तो यह कि द्रव लगभग असंपीड्य होते हैं (अर्थात् दाब देकर उनके आयतन को घटाया नहीं जा सकता) तथा दूसरा यह कि किसी भी दाब के अधीन वे किसी भी भाग में पहुँच सकते हैं। द्रवचालित यंत्र इसी सिद्धान्त पर कार्य करते हैं, जहाँ  इन यंत्रों में कम बल लगाकर कई गुना अधिक यांत्रिक लाभ लिया जाता है।


गलनांक एवं क्वथनांक पर दाब का प्रभाव

गलनांक पर दाब का प्रभाव Effect of Pressure on Melting Point

गरम करने पर जिन पदार्थों का आयतन बढ़ता है, दाब बढ़ाने पर उनका गलनांक बढ़ जाता है, जैसे- मोम, घी आदि। इसके विपरीत गरम करने पर जिन पदार्थों का आयतन घटता है, दाब बढ़ाने पर उनका गलनांक कम हो जाता है; जैसे- बर्फ, बिस्मथ, ढलवां लोहा आदि।

क्वथनांक पर दाब का प्रभाव Effect of Pressure on Boiling Point

सभी द्रवों का क्वथनांक उनकी खुली सतह पर दाब बढ़ाने से बढ़ जाता है, जैसे- साधारण वायुमंडलीय दाब पर पानी का क्वथनांक 100°C होता है, परन्तु यदि दाब को दो गुना कर दिया जाए, तो जल का क्वथनांक लगभग 125°C हो जाता है।

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