फॉस्फोरस Phosphorus

फॉस्फोरस नाइट्रोजन का अनुरूप (Analogue) है। यह एक अभिक्रियाशील तत्व है। इसी कारण फॉस्फोरस प्रकृति में मुक्तावस्था में नहीं पाया जाता है। मानव शरीर में फॉस्फोरस की उपस्थिति अनिवार्य है। जानवरों की हड्डियों में लगभग 58% कैल्सियम फॉस्फेट रहता है। इसके अतिरिक्त फॉस्फोरस रक्त तथा शरीर के दूसरे भागों में भी पाया जाता है। फॉस्फोरस का संकेत P परमाणु संख्या 15 तथा परमाणु भार 31 होता है।

फॉस्फोरस के अपरूप (Allotrops of Phosphorus): फॉस्फोरस के कई अपरूप प्रकृति में पाये जाते हैं, ये हैं- (i) श्वेत या पीला फॉस्फोरस (white or Yellow Phosphorus) (ii) लाल फॉस्फोरस (Red Phosphorus) (iii) सिन्दूरी फॉस्फोरस (scarlet Phosphorus) (iv) काला फॉस्फोरस (Black phosphorus) (v) बैंगनी फॉस्फोरस (Violet phosphorus)

श्वेत या पीला फॉस्फोरस (White or Yellow Phosphorus): श्वेत फॉस्फोरस परमाणुओं के बीच का बंधन अपेक्षाकृत कमजोर होता है। यह रंगहीन मोम जैसा मुलायम रवेदार ठोस पदार्थ होता है। इसे प्रकाश में छोड़ देने पर यह धीरे-धीरे पीला हो जाता है। इस कारण इसे पीला फॉस्फोरस भी कहते हैं। इसमें लहसून (Garlic) जैसी गंध होती है। यह एक विषैला पदार्थ होता है। यह जल में अघुलनशील किन्तु कार्बन डाइसल्फाइड (CS2) में घुलनशील होता है। यह हवा में स्वतः जल उठता है। अतः इसे जल के अंदर डुबाकर रखा जाता है। यह अन्धेरे में आर्द्र वायु के संपर्क में आकर हल्के पील रंग का प्रकाश देता है। इस घटना को स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) कहते हैं। फॉस्फोरस के सभी अपरूपों में शवेत फॉस्फोरस सर्वाधिक अभिक्रियाशील होता है। साधारण ताप पर श्वेत फॉस्फोरस P4 अणु के रूप में पाया जाता है। श्वेत फॉस्फोरस के अणु के चारों फॉस्फोरस परमाणु एक नियमित चतुष्फलक (Regular Tetrahedron) के चारों कोणों पर स्थित होते हैं। प्रत्येक फॉस्फोरस परमाणु तीन अन्य फॉस्फोरस परमाणुओं से सहसंयोजक बंधन द्वारा जुड़ा रहता है। श्वेत फॉस्फोरस का हवा में दहन स्वतः दहन का उदाहरण है। श्वेत फॉस्फोरस से आतिशबाजी के सामान बनाये जाते हैं। श्वेत फॉस्फोरस से युद्धकाल में प्रयुक्त होने वाली अग्नि बम एवं धूम्र बम बनाये जाते हैं। श्वेत फॉस्फोरस को कास्टिक सोडा के घोल के साथ गर्म करने फॉस्फीन (Phosphine) प्राप्त होता है।

लाल फॉस्फोरस (Red Phosphorus): लाल फॉस्फोरस लाल रंग का अपारदर्शक एवं रवेदार ठोस पदार्थ हैं। यह स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) प्रदर्शित नहीं करता है। यह विषैला भी नहीं होता है। यह जल और कार्बन डाइसल्फाइड दोनों में अघुलनशील होता है। आण्विक संरचना अर्थात् परमाणुकता (Atomicity) में भिन्नता के कारण लाल फॉस्फोरस श्वेत फॉस्फोरस से भौतिक एवं रासायनिक गुणों में अंतर प्रदर्शित करता है। श्वेत फॉस्फोरस को नाइट्रोजन या कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति में 250°C तक गर्म करने पर यह लाल फॉस्फोरस में परिणत हो जाता है। लाल फॉस्फोरस का अणुसूत्र P2 होता है। लाल फॉस्फोरस को N2, CO2, जैसी अक्रिय गैसों की उपस्थिति में 550°C तक गर्म करने पर एक वाष्प प्राप्त होता है, जिसे शीघ्रता से ठंडा करने पर श्वेत फॉस्फोरस प्राप्त होता है। लाल फॉस्फोरस का प्रयोग दियासलाई (Matches) के निर्माण में किया जाता है। दियासलाई बनाने में लाल फॉस्फोरस और फॉस्फोरस डाइसल्फाइड (P2S3) का उपयोग होता है। निरापद दियासलाई (safty Matches) बनाने में चीड़ की लकड़ी की सलाइयों के सिर पर पोटैशियम क्लोरेट, रेड लेड, एण्टिमनी सल्फाइड और गोंद का मिश्रण लगाया जाता है और डिब्बी पर (रगड़ने वाली सतह पर) लाल फॉस्फोरस, एण्टिमनी सल्फाइड, कांच के चूर्ण और गोंद का मिश्रण लगाया जाता है।

फॉस्फोरस के यौगिक

  1. फॉस्फीन (Phosphine): फॉस्फोरस हाइड्राइड (PH3) को फॉस्फीन (Phosphine) कहा जाता है। फॉस्फीन (PH3) पेड़ पौधों व अन्य कार्बनिक पदार्थों के सड़ने से दलदली स्थानों में पैदा होती है और वायु में जलती है, जिससे चमक पैदा होती है। यह एक रंगहीन और सड़ी मछली जैसी गंध की विषैली गैस है। कैल्सियम फॉस्फाइड होम सिग्नल (Holme’s signal) बनाने के काम आता है, जिसका उपयोग समुद्र में जहाजों को संकेत देने में किया जाता है। कैल्सियम फॉस्फाइड धूम्र पट (smoke screen) बनाने के काम आता है, क्योंकि इसकी जल के साथ प्रतिक्रिया होने पर अशुद्ध फॉस्फीन बनती है, जो वायु में स्वतः जलती है और मेटा फॉस्फोरिक अम्ल का सघन धुआँ बनता है।

नोट:

  • फॉस्फोरस का उपयोग हाइपो फॉस्फाइट आदि बलवर्धक औषधियों के निर्माण में होता है।
  • फॉस्फोरस से फॉस्फर ब्रांज मिश्रधातु तैयार किये जाते हैं।
  • सुपर फॉस्फेट का उपयोग उर्वरक के रूप में खेतों में फसलों की पैदावार बढ़ाने में किया जाता है।
  • फॉस्फोरस की अनुपस्थिति में पेड़ पौधे प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) की क्रिया नहीं कर पाते हैं। फॉस्फोरस के अभाव में इनके पत्ते अपना रंग खो देते है तथा अंततोगत्वा सूख जाते हैं।
  • एलुमिनियम फॉस्फाइड का उपयोग अनाजों के परिरक्षण में होता है।
  • जिंक फॉस्फाइड का उपयोग चूहा-विष के रूप में होता है।

फॉस्फोरस के ऑक्सी अम्ल


(i) हाइपो फॉस्फोरस अम्ल- H3PO4 (ii) ऑर्थो फॉस्फोरस अम्ल- H3PO3 (iii) हाइपो फॉस्फोरिक अम्ल- H4P2O6 (iv) ऑर्थो फॉस्फोरिक अम्ल- H3PO4 (v) पाइरो फॉस्फोरिक अम्ल- H4P27 (vi) मेटा फॉस्फोरिक अम्ल- HPO3

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