नाइट्रोजन स्थिरीकरण Nitrogen fixation

वायुमंडल में नाइट्रोजन की मात्रा 78% होती है लेकिन इतनी अधिक मात्रा होते हुए भी वायुमण्डलीय नाइट्रोजन पौधों के लिए अनुपयोगी होता है। पौधों में नाइट्रोजन को गैसीय रूप में ग्रहण करने की क्षमता का पूर्णतः अभाव होता है। पौधे नाइट्रेट (NO3) तथा नाइट्राइट (NO2) के रूप में नाइट्रोजन ग्रहण करते हैं। यौगिकों के रूप में उपस्थित नाइद्रोजन स्थिर नाइट्रोजन (Fixed nitrogen) कहलाता है। अतः वायुमण्डल के मुक्त नाइट्रोजन गैस को नाइट्रोजन के यौगिकों के रूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कहा जाता है।

नाइट्रोजन का स्थिरीकरण दो विधियों द्वारा होता है-

  1. प्राकृतिक विधि: लेग्यूमिनस (Leguminous family) के पौधों की जड़ों में गांठे उपस्थित होती हैं। इन गाँठों के ऊपर या इनके निकट की भूमि में कुछ सहजीवी जीवाणु उपस्थित रहते हैं। ये जीवाणु वायुमण्डल से सीधे नाइट्रोजन ग्रहण कर उसे नाइट्रेट में परिणत कर देते हैं जो मिट्टी में चला जाता है। पौधे मिट्टी से नाइट्रेट ग्रहण कर प्रोटीन का संश्लेषण करते हैं। इस प्रकार, इन पौधों के कट जाने के बाद खेत में नाइट्रोजनयुक्त खाद की मात्रा पहले की तुलना में बढ़ जाती है। इसी कारण भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए उसमें लेग्यूमिनस परिवार के पौधों की खेती की जाती है।
  2. विद्युत विसर्जन द्वारा: वर्षा ऋतु या अन्य दिनों में विद्युत विसर्जन की क्रिया होने पर वायुमण्डलीय नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन परस्पर संयोग कर नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) बनाते हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड ऑक्सीजन के साथ संयोग कर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) बनाते हैं। यह नाइट्रोजन डाइऑक्साइड वर्षा जल में घुलकर नाइट्रिक अम्ल (HNO3) तथा नाइट्रस अम्ल (HNO2) में परिवर्तित हो जाते हैं। ये अम्ल मृदा में उपस्थित चूना या अन्य क्षारीय पदार्थों से संयोग कर नाइट्रेट एवं नाइट्राइट बनाते हैं, जो पौधों के लिए खाद का काम करते हैं।

विनाइट्रीकरण (Denitrification): यह नाइट्रोजन यौगिकीकरण तथा नाइट्रीकरण की विपरीत प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में कुछ जीवाणु भाग लेते हैं। जैसे- स्यूडोमोनास डिनाइट्रीफिकेन्स (Pseudomonas denitrificans) माइक्रोकोकस डिनाइट्रीफिकेन्स (Micrococcus denitrificans) आदि। इस प्रक्रिया द्वारा सभी सड़े-गले जीव-जन्तु, पेड़-पौधे नाइट्रोजन विमुक्त करते हैं जो पुनः वायुमण्डल में चले जाते हैं।

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