राष्ट्रीय जल नीति National Water Policy

सरकार द्वारा 7 जून, 2012 को राष्ट्रीय जलनीति (2012) का संशोधित प्रारूप जारी किया गया। जल नीति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-

  • जल प्राकृतिक संसाधन है और जीवन, जीविका, खाद्य सुरक्षा और निरंतर विकास का आधार है।
  • जल संसाधनों के विषय में सार्वजनिक नीतियों का संचालन, कतिपय बुनियादी नियमों द्वारा करने की आवश्यकता है ताकि जल संसाधनों की आयोजना, विकास और प्रबंधन के दृष्टिकोणों में कुछ साझापन हो।
  • जल के संबंध में समुचित नीतियां,कानून और विनियमन बनाने का अधिकार राज्य का है तथापि जल सम्बन्धी सामान्य सिद्धांतों का व्यापक राष्ट्रीय जल संबंधी ढांचागत कानून तैयार करने की आवश्यकता है।
  • जल घरेलू उपयोग, कृषि, जल विद्युत, ताप विद्युत, नौवहन, मनोरंजन इत्यादि के लिए आवश्यक है। इन विभिन्न प्रकार के उपयोग के लिए जल का इष्टतम उपयोग किया जाना चाहिए तथा जल को एक दुर्लभ संसाधन मानने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।
  • जल संसाधन संरचनाओं अर्थात् बांध,बाढ़ सुरक्षा तटबंध, ज्वार सुरक्षा तटबंध आदि की आयोजना और प्रबंधन में संभावित जलवायु परिवर्तनों से निपटने वाली कार्यनीतियां शामिल होनी चाहिए।
  • देश के विभिन्न बेसिनों तथा राज्यों के विभिन्न हिस्सों में जल संसाधन की उपलब्धता तथा इनके उपयोग का वैज्ञानिक पद्धति से आकलन और आवधिक रूप से अर्थात प्रत्येक पांच वर्ष में, समीक्षा किये जाने की आवश्यकता है।
  • विभिन्न प्रयोजनों के लिए जल उपयोग हेतु बेंचमार्क विकसित करने की एक प्रणाली अर्थात जल के कुशल उपयोग को प्रोत्साहित करने एवंबढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रयोजना के लिए जल उपयोग हेतु मानदंड निर्धारित करने की प्रणाली अर्थात् जल खपत-स्तर और जल लेखा-जोखा विकसित की जानी चाहिए।
  • नदी क्षेत्रों, जल निकायों एवं अवसंरचना का संरक्षण सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से एक नियोजित पद्धति से शुरू किया जाना चाहिए।
  • जल संसाधन परियोजनाओं की आयोजना विभिन्न स्थितियों के लिए निर्धारित दक्षता मानदंडों के अनुसार की जानी चाहिए।
  • बाढ़ एवं सूखे जैसी जल संबंधी आपदाओं को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। साथ ही प्राकृतिक जल निकास प्रणाली के पुनस्थापन पर भी अत्यधिक जोर दिया जाना चाहिए।
  • शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति के निर्धारण के बीच अधिक असमानता को हटाने की आवश्यकता है।
  • पक्षकार राज्यों के बीच जल से संबंधित मुद्दों पर विचार विमर्श करने तथा मतैक्य बनाने, सहयोग और सुलह करने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर एक मंच होना चाहिए।
  • अंतरराष्ट्रीय नदियों के जल के बंटवारे और प्रबंधन हेतु सर्वोपरि राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए तटवर्ती राज्यों के परामर्श से द्विपक्षीय आधार पत विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।
  • संपूर्ण देश सैनियमित रूप से जल विज्ञानीय आंकड़ों का संग्रहण, सूचीबद्ध करने और प्रक्रियान्वयन करने के लिए एक राष्ट्रीय जल सूचना केंद्र को स्थापित करना चाहिए तथा इनका प्रारंभिक प्रक्रियान्वयन करना चाहिए, और जीआईएस प्लेटफॉर्म पर खुले और पारदर्शी तरीके से रखरखाव किया जाना चाहिए।
  • जल क्षेत्र के मुद्दों का वैज्ञानिक पद्धति से समाधान करने के लिए निरंतर अनुसंधान और प्रौद्योगिकी की प्रगति को अवश्य बढ़ावा दिया जाए।
  • राष्ट्रीय जल बोर्ड को राष्ट्रीय जल नीति के कार्यान्वयन की नियमित निगरानी के लिए राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद् द्वारा अनुमोदित किए अनुसार राष्ट्रीय जल नीति के आधार पर एक कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए।

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