अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल अधिकरण International Seabed Authority – ISA

आईएसए एक अंतर्राष्ट्रीय स्वायत्त समुद्री संगठन है, जिसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र कानून संधि (1982) तथा उक्त संधि के भाग-XI के क्रियान्वयन से सम्बंधित समझौते (1994) के अधीन की गई। यह प्राधिकरण 16 नवंबर, 1994 को अस्तित्व में आया और जून 1996 से पूर्णरूपेण सक्रिय हो गया। आईएसए का मुख्यालय किंग्स्टन (जमैका) में स्थित है तथा इसके सदस्यों की संख्या 130 है।

आईएसए के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून अभिसमय (United Nations Convention on the Law of Sea – UNCLOS) में शामिल राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल क्षेत्र (जो राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र की सीमाओं से बाहर है) में गतिविधियों को नियंत्रित व संगठित करते हैं, ताकि उस क्षेत्र में खनिज संसाधनों का उचित प्रशासन किया जा सके। अंकलॉस के अंतर्गत प्रायः सभी महासागरीय स्थान एवं उनका उपयोग शामिल है, जैसे-नौचालन एवं अधिउड़ान, संसाधनों का अन्वेषण व दोहन, परिरक्षण एवं प्रदूषण, मत्स्यन एवं जहाजरानी इत्यादि। यह संधि तटीय देशों एवं बसे हुए द्वीप समूहों को 200 मील तक विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र या महाद्वीपीय जल सीमा अधिघोषित करने का अधिकार देती है। इसमें 320 अनुच्छेद तथा 9 अनुलग्नक शामिल हैं, जो महासागरों व सामुद्रिक क्षेत्रों के परिभाषन, सामुद्रिक सीमा निर्धारण हेतु नियम निर्माण, विवादों की सुनवाई एवं समाधान तथा राज्यों के उत्तरदायित्वों के सम्बंध में दिशा-निर्देशों की स्थापना करते हैं।

वर्तमान में आईएसए द्वारा बहुधात्विक पिण्डों के अन्वेषण के शासित करने हेतु नियमों एवं विनियमों (खनन संहिता) को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

इसके अलावा प्राधिकरण गहरे समुद्र में मौजूद खनिज संसाधनों के अन्वेषण व संदोहन हेतु शोध कार्य संचालित करता है तथा इस दिशा में उपयुक्त तकनीकों के विकास में सहायता देता है।

आईएसए की संगठनात्मक संरचना में सभा, परिषद, वैधानिक एवं तकनीकी आयोग, वित्त आयोग तथा सचिवालय शामिल हैं। सभा (असेम्बली) में सभी सदस्य राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व होता है। यह नीतियों का निर्माण, बजट का अनुमोदन तथा परिषद के सदस्यों का चुनाव करती है। परिषद प्राधिकरण का कार्यकारी अंग है, जिसमें 36 सदस्य होते हैं। 21 सदस्यीय वैधानिक एवं तकनीकी आयोग का कार्य समुद्री गतिविधियों एवं उनके पर्यावरणीय प्रभावों तथा सामुद्रिक पर्यावरण की सुरक्षा के बारे में परिषद को अपने सुझाव देना है। 15 सदस्यीय वित्त आयोग सभा बजटीय एवं वित्तीय मुद्दों पर सभा और परिषद को अपनी सिफारिशें पेश करता है। एक महासचिव की अधीनता में सचिवालय द्वारा प्राधिकरण के सभी अंगों को प्रशासनिक सेवाएं उपलब्ध करायी जाती हैं तथा प्रासंगिक कार्य योजनाओं को लागू किया जाता है।

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