भूमंडलीकरण एवं उदारीकरण पर भारत का दृष्टिकोण India’s Perspectives on Globalization and Liberalization

भूमंडलीकरण एक प्रक्रिया है जहां पर राज्य केंद्रित अभिकरण एवं सेवा शर्ते वैश्विक संदर्भ में संचालित विभिन्न कर्ताओं के संबंध संस्तरों के पक्ष में विघटित हो जाती हैं। निहितार्थ हैं कि वैश्वीकरण में प्रभुसत्ता का विषय संकीर्ण हो जाता है और विभिन्न राज्य कर्ताओं के समन्वय की प्रक्रिया किसी राज्य कर्ता द्वारा नियत्रित नहीं होती है। भारत वैश्वीकरण की प्रक्रिया का एक हिस्सा बन गया है और स्वयं को इस नवीन वास्तविकता के अनुकूल बनाने का प्रयास कर रहा है। वर्ष 1991 से भारत ने गुणात्मक उदारीकरण की तरफरुख किया।

हालांकि भारत अंधाधुंध वैश्वीकरण एवं उदारीकरण को अपनाने के पक्ष में नहीं है। इसका उद्देश्य वैश्वीकरण के लाभ लेने में है और इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में है। भारत ने कई गंभीर विषयों का विरोध किया है जिन्हें विकसित देश अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं व्यापार संगठनों के माध्यम से विकासशील देशों पर डालने का प्रयास कर रहे हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में व्यापार समझौतों एवं अनुदानों एवं अधिकार तथा दायित्व के संदर्भ में विकासशील देशों के हितों की रक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं।

वैश्विक आर्थिक संकट, खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, उर्जा, सुरक्षा जैसे मुद्दों के बावजूद भारत ने विभिन्न बहुपक्षीय आर्थिक संगठनों के साथ अपनी सक्रिय भूमिका निभाना जारी रखा जिससे इन मुद्दों का हल निकाला जा सके। प्रमुख बहुपक्षीय आर्थिक संगठन तथा जी-20, बीआरआईसीएस, आईबीएसए तथा इंडियन ओशन रिम एसोशिएशन फार रीजनल कान्फ्रेस (आईओआर-एआरसी) के साथ अपने लगाव को भारत ने मजबूत किया।

संयुक्त राष्ट्रसुरक्षा परिषद में आईबीएसए देशों का योगदान तथा अपनी राजनीतिक समस्याओं के शांतिपूर्ण हल के लिए सीरियाई सरकार के साथ संयुक्त डिमार्के को काफी जागरूकता से देखा गया। इसी प्रकार अक्टूबर, 2011 में सीरिया पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में आईबीएसए देशों की अनुपस्थिति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आईबीएस के लगाव को प्रदर्शित किया। बीआरआईसीएस फार्मेट के अंतर्गत भारत ने परस्पर हितों के मुद्दों परस्थितियों का समन्वय किया। अपने निर्णयों के लागू होने का अनुशीलन करने के उद्देश्य से जिसमें मजबूत, कायम रहने वाली वृद्धि, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का सुधार, वितीय विनियमन सुधार एवं जी-20 विकास एजेन्डा भी शामिल है, भारत ने जी-20 के साथ कार्य करना जारी रखा।

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