भारत-रूस सम्बन्ध India-Russia Relations

भारत एवं रूसी संघ के मध्य संबंध विश्वास, आपसी समझ-बूझ और निरंतरता की कसौटी पर खरे उतरे हैं। भारत एवं रूस के मध्य मैत्री एवं सहयोग का रिश्ता प्राचीन काल से है। दोनों जरूरत के समय एक-दूसरे के साथ खड़े हुए हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत-रूस के बीच संबंध मधुर रहे एवं 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् रूस के साथ भी भारत ने आपसी संबंध प्रगाढ़ बनाए रखे। रूसी परिसंघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा अक्टूबर 2000 में भारत की राजकीय यात्रा की गयी। यात्रा के दौरान दोनोंदेशों के बीच विज्ञान-प्रौद्योगिकी, डाक-संचार, प्राकृतिक गैस क्षेत्रों के विकास व अन्वेषण से संबंधित लगभग 17 द्विपक्षीय समझौते सम्पन्न हुए। रूस द्वारा भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनाने का पुरजोर समर्थन किया गया। राष्ट्रपति पुतिन ने आतंकवाद एवं जम्मू-कश्मीर मामले पर भी भारतीय दृष्टिकोण का समर्थन किया। भारत के रक्षा मंत्री एवं विदेश मंत्री द्वारा भी रूस की यात्राएं की गयीं तथा रक्षा एवं व्यापार से सम्बंधित कई समझौते सम्पन्न किये गये। इस प्रकार भारत एवं रूस के आपसी संबंध 70 के दशक की भारत-सोवियत संघ मैत्री के नवीन संस्करण के रूप में परिलक्षित हुए हैं।

रूसी संघ के रक्षा मंत्री श्री सेरगी इवनोव ने सैन्य तकनीकी सहयोग से सम्बद्ध भारत-रूस संयुक्त के चौथे सत्र के संबंध में 30 नवम्बर से 1 दिसम्बर, 2004 तक भारत की यात्रा की ।

प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन 5वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए 3-5 दिसम्बर, 2004 तक भारत की यात्रा पर आए। यात्रा के दौरान कुल 11 दस्तावेज सम्पन्न हुए। इनमें शामिल थे-रूसी संघ के राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री द्वारा हस्ताक्षर किया गया संयुक्त घोषणा-पत्र तथा अन्तरिक्ष, कोंसली एवं क्षेत्रीय सहयोग के क्षेत्रों को कवर करने वाले चार अन्तःसरकारी करार। संयुक्त घोषणा-पत्र में भारत और रूस के बीच नीतिगत भागीदारी पर बल दिया गया है और हाल ही में विगत में सार्वभौम पर्यावरण में रूपांतरण को नोट किया गया है। इसमें बहु-ध्रुवीय विश्व पर आधारित एक नई अंतरराष्ट्रीय संरचना की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। ऊर्जा, सूचना-प्रौद्योगिकी और बैंकिंग के क्षेत्रों सहित आर्थिक संबंधों पर पर्याप्त एवं नए सिरे से बल दिया गया है। यात्रा के दौरान बैंकिंग और ऊर्जा के क्षेत्रों में छह समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। सहयोग के व्यावहारिक क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की पारस्परिक इच्छा के अनुसरण में सूचना-प्रौद्योगिकी से सम्बद्ध पहला भारत-रूस गोलमेज सेमिनार 8-4दिसम्बर, 2004 तक बंगलुरू से सम्पन्न हुआ तथा उर्जा से सम्बद्ध पहला भारत-रूस सेमिनार 15 जनवरी, 2005 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ।

सैन्य तकनीकी सहयोग के बारे में बुद्धिजीवियों के अधिकारों के पारस्परिक संरक्षण से सम्बद्ध अन्तःसरकारी करार के मसौदे पर भारत-रूसी दल की पहली बैठक 18-19 जनवरी, 2005 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुई। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने से सम्बद्ध भारत-रूस संयुक्त कार्यकारी दल की तीसरी बैठक 1920 जनवरी, 2005 को मास्को में सम्पन्न हुई। दोनों पक्षों ने इस बात पर बल दिया कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने के सहयोग में दोनों देशों के बीच नीतिगत साझीदारी एक महत्वपूर्ण अंग है तथा आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध की शक्ति प्रदान करने के लिए दोनों देशों द्वारा देश में तथा साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर किए गए उपायों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इस क्षेत्र में सहयोग की व्यावहारिक आयाम प्रदान करने की दृष्टि से दोनों पक्ष निकट भविष्य में आतंकवाद की वित व्यवस्था की प्रतिबंधित करने पर लक्ष्यपूर्ण विचार-विमर्श करने पर सहमत हुए।

नीतिगत स्थायित्व के बारे में भारत-रूस विदेश कार्यालय परामर्श 27 जनवरी, 2005 को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। दोनों पक्षों ने निःशस्त्रीकरण और डब्ल्यूएमडी की चोरी को रोकने से संबंधित पहलुओं पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

राष्ट्रपति पुतिन की यात्रा के दौरान दिसम्बर 2004 को सम्पन्न राजनयिक एवं सरकारी पासपोर्ट धारकों की वीजा मुक्त यात्रा से सम्बद्ध भारत-रूस करार 15 फरवरी, 2005 से लागू हो गया।

11-12 नवंबर, 2007 को भारत-रूस शिखर वार्ता में भारत-रूस के मध्य चार विभिन्न समझौतों पर सहमति हुई-


  1. बहुउद्देश्यीय परिवहन विमानों के विकास, निर्माण एवं संयुक्त उत्पादन का समझौता
  2. रुपया ऋण निधि के उपयोग पर समझौता
  3. मादक पदार्थों के अवैध व्यापार एवं तस्करी पर नियंत्रण करने का आपसी समझौता
  4. बाध्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में समझौता

वर्ष 2008 में तत्कालीन रूस के प्रधानमंत्री विक्टर जुबकोव एवं भारतीय प्रधानमंत्री के मध्यवार्ता में द्विपक्षीय व्यापार को तीव्र करते हुए 2010 तक इसे दोगुना करते हुए 10 अरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

वस्तुतः दोनों देशों के आपसी संबंधों को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने हेतु वर्ष 2008 भारत में रूस के वर्ष के रूप में मनाया गया। इस सिलसिले में भारत के विभिन्न शहरों में तकरीबन 140 कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस प्रकार वर्ष 2009 को रूस में भारत के वर्ष के रूप में मनाया गया।

रूस के साथ भारत के सम्बंध प्राथमिकता के रहे। जबकि भारत रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा विक्रेता रहा,पूर्व में विक्रेता-क्रेता फ्रेमवर्क धीरे-धीरे रक्षा तंत्र के संयुक्त विकास एवं डिजाइन मॉडल में परिवर्तित हो रहा है। भारत के सिविलियन नाभिकीय कार्यक्रम में रूस एक सकारात्मक योगदान करता रहा है। वर्ष के दौरान अंतरिक्ष क्षेत्र में महत्वपूर्ण संयुक्त प्रोजेक्ट तथा ह्यूमन स्पेस लाइट कार्यक्रम तथा चंद्रयान-2 में सहयोग जारी रहा। चीन के प्रयासों के बावजूद व्यापार एवं निवेश क्षेत्र में ध्यान आकर्षित किया। दोनों देशों ने विभिन्न वैश्विक तथा क्षेत्रीय मुद्दों तथा अफगानिस्तान मध्य पूर्व तथा उत्तरी अफ्रीका की स्थिति तथा काउन्टर आतंकवाद एवं ड्रग ट्रैफिकिंग पर उच्चस्तरीय सलाहकारिता आयोजित की। वर्ष 2011 में उच्चस्तरीय राजनीतिक संपर्कों में गति रही। रूस के राष्ट्रपति पुतिन दिसम्बर, 2012 में 13वें शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए भारत की यात्रा पर आए। इस शिखर वार्ता के दौरान भारत और रूस ने निवेश व्यापार तथा उच्चस्तरीय राजनयिक सक्रियता सम्बंधी करार भी किए। वहीं संयुक्त बयान में दोनों देशों ने विवादस्पद मुद्दों को टालकर 40 से अधिक मसलों पर सहयोग की सहमति जताई। दोनों देशों के बीच ऊर्जा सुरक्षा का दायरा बढ़ाने पर भी सहमति बनी। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों ने विदेश मंत्रालय स्तर पर नियमित विचार-विमर्श के लिए व्यवस्था बनाने पर भी रजामंदी जताई है। वर्ष 2012 के दौरान प्रमुख मंत्रालयों से मंत्रियों एवं वरिष्ठ अधिकारियों की यात्राओं का आदान-प्रदान जारी रहा तथा इससे सामरिक भागीदारी में गहराई आई।

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