खाद्य एवं कृषि संगठन Food and Agriculture Organisation – FAO

खाद्य एवं कृषि सम्बन्धी समस्याओं से निबटने हेतु एक स्थायी अंतर्राष्ट्रीय निकाय की जरुरत को पहली बार खाद्य एवं कृषि पर 1943 में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (हॉट स्प्रिंग, वर्जीनिया)  में स्वीकार किया गया। 34 देशों की भागीदारी वाले इस सम्मेलन में संगठन के संविधान निर्माण हेतु एक अंतरिम आयोग का गठन किया गया। आयोग द्वारा निर्मित संविधान पर अक्टूबर 1945 में क्यूबेक सिटी में हस्ताक्षर किये गये ।। 14 दिसंबर, 1946 को इस संगठन को संयुक्त राष्ट्र के विशिष्ट अभिकरण का दर्जा प्राप्त हुआ।

एफएओ की सदस्य संख्या 194 (2013 में) है तथा इसका मुख्यालय रोम में है। यूरोपीय समुदाय को 1991 में पूर्ण सदस्यता दी गयी तथा यह किसी विशिष्ट अभिकरण में शामिल होने वाला प्रथम क्षेत्रीय संगठन बन गया।

इस अभिकरण का उद्देश्य पोषण व रहन-सहन के स्तर को उठाने, सभी कृषिगत व खाद्य उत्पादों के विवरण तथा उत्पादन क्षमता में सुधार सुनिश्चित करने, ग्रामीण जनसंख्या की दशा को बेहतर बनाने तथा इस प्रकार विश्व अर्थव्यवस्था के विस्तार में योगदान देने के लिए प्रथम एवं सामूहिक क्रिया-कलापों द्वारा सामान्य कल्याण को संवर्धित करना है।

एफएओ का एक प्रमुख कार्य पोषण, खाद्य एवं कृषि से जुड़ी वैज्ञानिक, तकनीकी, सामाजिक व आर्थिक सूचनाओं को संगृहीत, विश्लेषित, व्याख्यायित तथा वितरित करना है। अन्य कार्यों में कृषि में निवेश को प्रोत्साहित करना, पशु-संपदा एवं फसलों की उत्पादकता में सुधार लाना, कृषि शोध का विस्तार करना तथा विकासशील देशों की ओर तकनीक का स्थानांतरण तीव्र करना है। एफएओ का लक्ष्य भुखमरी मिटाना, शामिल संवहनीय कृषि को प्रोत्साहन देना, ग्रामीण विकास की गति को बढ़ाना तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु एक उपयुक्त रणनीति का विकास करना है। यह कृषि अभियांत्रिकी, कृषि सुधार, विकास संचार, प्राकृतिक वनस्पति एवं जलवायु हेतु दूर संवेदन तथा कटाई उपरांत खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में तकनीकी सहायता उपलब्ध कराता है।

खाद्यान्न संकट की स्थितियों में यह विशेष एफएओ कार्यक्रम संचालित करता है, जिनके अंतर्गत खाद्य भंडारों की स्थापना द्वारा राहत प्रदान की जाती है। एफएओ द्वारा 1968 से संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रायोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के स्वैच्छिक योगदान (खाद्य वस्तुओं, नकदी एवं सेवाओं से संबंधित) के आधार पर विकास कार्यक्रमों के साथ-साथ आपात राहत कार्यों को समर्थन प्रदान करना है। संगठन द्वारा कृषि व खाद्य संबंधी मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय बैठकों व सम्मेलनों का आयोजन भी किया जाता है तथा खाद्य नीति मापदंडों के संबंध में सदस्य देशों को परामर्श दिया जाता है।

उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा एवं निष्पक्ष खाद्य व्यापार को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 1962 में एफएओ/डब्ल्यूएचओ कोडेक्स एल्मेंटेरियस कमीशन की स्थापना की गयी, जो अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानकों की रचना एवं समीक्षा करता है। अन्य विशेष कार्यक्रमों के तहत खाद्य सुरक्षा हेतु विशेष कार्यक्रम, पारसीमा जंतु व पौध कीटों व बीमारियों हेतु आपात निरोधक प्रणाली तथा भूमंडलीय सूचना एवं पूर्व-चेतावनी प्रणाली शामिल हैं। एफएओ तीन मुख्य अंगों के द्वारा कार्य करता है-

  1. महासम्मेलन
  2. परिषद, एवं
  3. सचिवालय

महासम्मेलन में सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं और यह प्रत्येक दो वर्षों के बाद रोम में आयोजित होता है। सम्मेलन संगठन के बजट एवं कार्यक्रमों को मंजूरी देता है, प्रक्रियात्मक नियमों एवं वित्तीय विनयमों को अंगीकृत करता है, खाद्य व कृषि से जुड़े मामलों पर सदस्यों को अपनी सिफारिशों भेजता है तथा परिषद एवं सहायक निकायों के निर्णयों की समीक्षा करता है। सम्मेलन में दो-तिहाई बहुमत के द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर नये सदस्यों को संगठन में प्रवेश दिया जाता है।


परिषद सदस्य महासम्मेलन द्वारा तीन वर्षीय कार्यकाल हेतु चुने जाते हैं। यह एक कार्यकारी अंग के रूप में कार्य करती है तथा विश्व खाद्य एवं कृषि की स्थिति पर निगरानी रखती है।

सचिवालय का प्रधान एक महानिदेशक होता है, जिसका कार्यकाल छह वर्ष होता है। संगठन के कार्यक्रमों को लागु करना सचिवालय का उत्तरदायित्त्व होता है। कई क्षेत्रीय कार्यालय एवं क्षेत्र परियोजनाएं सचिवालय को उसके कार्यों में सहायता प्रदान करते हैं।

प्रतिवर्ष 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। महानिदेशक द्वारा खाद्य एवं कृषि की स्थिति नामक वार्षिक रिपोर्ट तैयार की जाती है, जो संगठन की गतिविधियों पर प्रकाश डालती हैं।

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