बाल्टिक सागर राज्य परिषद Council of the Baltic Sea States – CBSS

यह संगठन बाल्टिक सागर क्षेत्र के देशों का उत्तर-शीतयुद्ध कालीन एक समूह है।

मुख्यालय: स्टॉकहोम (स्वीडन)।

सदस्यता: डेनमार्क, एस्टोनिया, फ़िनलैंड, जर्मनी, आइसलैंड, लातविया, लिथुआनिया, नार्वे, पोलैंड, रूस स्वीडन और यूरोपीय आयोग।

पर्यवेक्षक राष्ट्र: बेलारूस, आयरलैण्ड, फ्रांस, इटली, यूक्रेन, नीदरलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्पेन, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।

उद्भव एवं विकास

बाल्टिक सागर राज्य परिषद् (Council of Baltic Sea States-CBSS) गठित करने का प्रस्ताव सर्वप्रथम 1991 में डेनमार्क और जर्मनी के विदेश मंत्रियों के बीच हुई एक बैठक में रखा गया। इस परिषद को तीन बाल्टिक राज्यों (एस्टोनिया, लाटविया और लिथुआनिया), पोलैण्ड और रूस को नॉर्डिक देशों तथा जर्मनी से मिलने वाली आर्थिक सहायता के लिये एक संस्थागत ढांचे के रूप में देखा गया। यह परिषद 1992 में कोपेनहेगेन में अस्तित्व में आई। सदस्य देशों ने परिषद के कार्य क्षेत्र को और अधिक विस्तृत बनाने के लिये कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग को भी इसकी परिधि में लाने का निर्णय लिया।

उद्देश्य


बाल्टिक क्षेत्र में व्यापार, निवेश और आर्थिक विनिमयों में सहयोग; संगठित अपराध के विरुद्ध संघर्ष, नागरिक सुरक्षा की स्थापना; संस्कृति और शिक्षा; ऊर्जा एवं पर्यावरण; मानवाधिकार और प्रजातांत्रिक संस्थाओं की सहायता के क्षेत्रों में सहयोग स्थापित करना सीबीएसएस के प्रमुख उद्देश्य हैं।

संरचना

परिषद की प्रत्येक वर्ष मंत्रिस्तरीय बैठक होती है। यह बैठक इस परिषद का सर्वोच्च निर्णयकारी निकाय है। वरिष्ठ अधिकारियों की परिषद की बैठक प्रत्येक माह में एक बार होती है। यह परिषद सीबीएसएस के दैनिक कार्यों के लिये उत्तरदायी है।

गतिविधियां

सीबीएसएस इन क्षेत्रों में सहयोग स्थापित करने की दिशा में सक्रिय है- आर्थिक विकास, ऊर्जा, नाभिकीय और विकिरण सुरक्षा, पर्यावरण, परिवहन, शिक्षा और मानवाधिकार।

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