मोटे अनाज: बाजरा Coarse cereals: Millet- Pennisetum glaucum

बाजरा का उत्पादन चारा और खाद्यान्न दोनों के लिए समान रूप से होता है। इस फसल का खाद्यान्न के रूप में मुख्यतः उत्तर-पश्चिमी राजस्थान और गुजरात में होता है।

बाजरा की खेती गर्म एवं शुष्क जलवायु में होती है। इसकी खेती मुख्यतः जून और अक्टूबर के बीच होती है। शीत ऋतु की फसल के रूप में इस फसल का उत्पादन नवम्बर से फरवरी के बीच होता है, जबकि ग्रीष्म ऋतु की फसल के रूप में इस फसल का उत्पादन मार्च से जून के बीच होता है। कम वर्षा वाले क्षेत्र इस फसल के लिए उपयुक्त हैं। इस फसल का उत्पादन उन्हीं क्षेत्रों में अधिक होता है, जहां वार्षिक वर्षा 100 सेंटीमीटर से कम दर्ज की जाती है। बाजरा की वृद्धि के लिए 25° सेंटीग्रेड से 35° सेंटीग्रेड तक के तापमान को उपयुक्त माना जाता है। इस फसल का उत्पादन विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में होता है- पंजाब और उत्तर प्रदेश में दोमट मिट्टी में, राजस्थान और उत्तरी गुजरात में हल्की मिट्टी में, जबकि आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में कठोर चिकनी मिट्टी में और महाराष्ट्र में लाल एवं हल्की मिट्टी में। इस फसल के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हल्की मिट्टी ही है।

इस फसल की खेती पृथक् एवं मिश्रित दोनों रूप में की जाती है। मिश्रित कृषि के रूप में इसका उत्पादन कपास, ज्वार या रागी के साथ किया जाता है। इस फसल का उत्पादन वर्ष में तीन या चार बार किया जा सकता है। इसकी खेती के लिए बहुत ही छोटे पैमाने पर भूमि को तैयार करना पड़ता है।

राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश और पंजाब प्रमुख बाजरा-उत्पादक राज्य हैं।

भारत में बाजरा की अनेक प्रकार की किस्में उत्पादित की जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं- सी. ओ. 1, सी.ओ. 2, सी.ओ. 3, सी.ओ. 4, सी.ओ. 5, के. 1, एक्स. 3, एच.एस.वी. 67, एच. एच.बी. 50, डब्ल्यू.सी.सी. 75 आदि।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *