सीबीआई जांच के आदेश का अदालती अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय CBI inquiry court’s order right: Supreme Court

17 फरवरी, 2011 को सर्वोच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया निर्णय की सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय राज्यों में हुए अपराधों के संदर्भ में जांच का आदेश बिना राज्य सरकारों की अनुमति लिए भी केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को दे सकते हैं, कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

उल्लेखनीय है की, पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्य सरकारों ने कहा था कि किसी मामले की जांच का आदेश देने की शक्ति न तो उच्च न्यायालय और न ही सर्वोच्च न्यायालय के पास है। जब तक संबंधित राज्य सहमति नहीं देता, तब तक केंद्र भी किसी केंद्रीय एजेंसी से जांच का आदेश नहीं दे सकती है। पश्चिम बंगाल ने यह अपील मिदनापुर गोलीकांड की जांच सीबीआई से कराने के कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि, अनुच्छेद 22, 226 और 142 अदालत की सरकार के कार्यो व आदेशों की न्यायिक समीक्षा का अधिकार देते हैं, यह समीक्षा संवैधानिकता की कसौटी पर होती है। जाहिर है कि अदालत की संविधान संरक्षित रखने का दायित्व दिया गया है। इसलिए यह कहना कि सीबीआई जांच का आदेश देकर अदालत संविधान का उल्लंघन कर रही है अथवा इससे देश की संघीय व्यवस्था प्रभावित होगी, गलत है।

ध्यान देने योग्य है कि, अदालत ने सावधान किया है कि न्यायपालिका अपने इस अधिकार का प्रयोग सतर्कतापूर्वक करे अन्यथा सीबीआई के पास प्रकरणों का अंबार लग जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त निर्णय पर केंद्र सरकार ने भी अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है कि संविधान की धारा 226 और 32 के अंतर्गत किसी मामले पर सीबीआई जांच के आदेश देने पर न्यायालयों (सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय) की शक्तियों पर कोई रोक नहीं है एवं ये शक्तियां नागरिकों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालयों के पास है।

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