कैरेबियन विकास बैंक Caribbean Development Bank – CDB

मुख्यालय: सेंट माइकल (बारबाडोस)।

सदस्यता: एंग्युला, एंटीगुआ और बारबूडा, बहामास, बारबडोस, बेलीज, ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह, कैमें द्वीप समूह, कोलंबिया, डोमिनिका, फ़्रांस, जर्मनी, ग्रेनेडा, गुयाना, हैती, जमैका, मौन्सेरात, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विंसेंट एवं ग्रेनेडिन्स, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, टर्क्स और कैकोस द्वीप समूह, मेक्सिको तथा वेनेजुएला।

गैर-क्षेत्रीय सदस्य: कनाडा, चीन, जर्मनी, इटली और यूनाइटेड किंगडम।

उद्भव एवं विकास

कैरेबियन विकास बैंक (Caribbean Development Bank–CDB) कीस्थापना के लिए किंग्सटन (जमैका) में 1969 में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। बैंक ने 1970 में कार्य करना प्रारम्भ किया।

उद्देश्य

विकास परियोजनाओं, विशेषकर कम विकसित देशों पर केन्द्रित तथा उत्पादनकारी क्षेत्रों से जुड़ी, के लिये लोक एवं निजी वित्तीय निवेश को संघटित करना; तकनीकी सहायता प्रदान करना, तथा; सदस्यों के बीच विकास प्रयासों में समन्वय स्थापित करना इस बैंक के प्रमुख लक्ष्य हैं।


संरचना

गवर्नर बोर्ड प्रधान नीति-निर्धारक अंग है। गवर्नरों की नियुक्ति सदस्य देशों की सरकारों के द्वारा होती है तथा वर्ष में कम-से-कम एक बार इसकी बैठक आवश्यक है। गवर्नर बोर्ड के द्वारा 18 सदस्यीय निदेशक बोर्ड (12 क्षेत्रीय और 6 गैर-क्षेत्रीय सदस्य) का गठन होता है। निदेशक बोर्ड बैंक का अधिशासी निकाय होता है। दोनों बोडों में मतदान पूंजी अंशदान (capital subscriptions) से संबंधित भारित प्रणली (weighted system) पर आधारित होता है। बैंक का अध्यक्ष ही गवर्नर बोर्ड का सभापति होता है।

गतिविधियां

बैंक के संसाधनों,में इसके सामान्य पूंजी संसाधन, विशेष विकास कोष (एसडीएफ) तथा अन्य विशेष कोष सम्मिलित होते हैं। बैंक के सामान्य पूंजी संसाधनों में व्यावसायिक आधार पर ऋण प्रदान किये जाते हैं। एसडीएफ आसान शताँ पर ऋण उपलब्ध कराता है, जबकि विशेष कोषों से लघु कृषि, मवेशी उत्पादन, तकनीकी सहायता और आवास जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिये ऋण आवंटित किये जाते हैं।

1980 के दशक के मध्य में बैंक ने पहली बार संरचनात्मक समायोजन ऋण की व्यवस्था शुरू की। यह व्यवस्था एक नये कार्यक्रम के तहत शुरू की गई, जिसमें ऋण को ग्राहक देश के आर्थिक उदारीकरण के प्रयासों से जोड़ दिया गया था।

बैंक जिन गतिविधियों के लिए ऋण देता है, उनमें-कृषि और ग्रामीण विकास, निर्माण उद्योग, पर्यटन विकास और शिक्षा प्रमुख हैं।

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