प्रक्षेपास्त्र-विरोधी संधि Anti-Ballistic Missile Treaty – ABM

प्रक्षेपास्त्र-विरोधी तंत्र सीमा संधि (The Treaty on the Limitation of Anti-Ballistic Missile systems) पर संयुक्त राज्य अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा मई 1972 में मास्को में हस्ताक्षर किए गए। एबीएम संधि के अंतर्गत हस्ताक्षरकर्ता देश अन्य देशों के आक्रामक प्रक्षेपास्त्रों के विरुद्ध रडार और अवरोधक प्रक्षेपास्त्रों का प्रयोग कर सकता है। मूल संधि के अंतर्गत प्रत्येक देश केवल दो क्षेत्रों-राजधानी की रक्षा और अन्तर्महाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र (आईसीबीएम) ठिकानों की रक्षा, में एबीएम की तैनाती कर सकता है। एबीएम तैनाती क्षेत्रों की सीमा इतनी नियंत्रित और इस तरह अवस्थित है कि इनका प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर नहीं हो सकता है, न ही वे एबीएम के विस्तार के आधार हो सकते हैं। प्रत्येक क्षेत्र के अधिकतम 100 एबीएम तंत्रों, अर्थात् कुल मिलाकर 200, की तैनाती का प्रावधान किया गया तथा प्रत्येक देश अपनी एबीएम तकनीक में गुणात्मक सुधार को सीमित रखने के लिये सहमत हुआ। संधि के अनुपालन और क्रियान्वयन विषयों पर नजर रखने के लिये एक स्थायी परामर्शदाता आयोग (एमसीसी) का गठन किया गया।

संधि का उद्देश्य परमाणु अस्त्रों की होड़ पर शीघ्रातिशीघ्र रोक लगाना तथा सामरिक अस्त्रों में कमी, परमाणु निरस्त्रीकरण और पूर्ण निरस्त्रीकरण की दिशा में प्रभावशाली कदम उठाना था।

संधि पारस्परिक सहमति विध्वंस (mutual assured destruction–MAD) के सिद्धांत पर आधारित थी। एमएडी सिद्धान्त के अनुसार परमाणु अस्त्र सम्पन्न देशों के मध्य परमाणु युद्ध पर रोक लगाई जायेगी क्योंकि आक्रमित देश द्वारा प्रतिकारात्मक कार्यवाही से आक्रामक देश भी निश्चित रूप से नष्ट हो जायेगा। अतः समान भेद्यता के कारण कोई भी परमाणु शक्ति सम्पन्न देश आक्रमण की पहल नहीं करेगा।

जुलाई 1974 में संधि के एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके अंतर्गत एबीएम तैनाती क्षेत्रों की संख्या दो से घटाकर एक कर दी गई। प्रत्येक देश या तो अपनी-अपनी राजधानी के इर्द-गिर्द या फिर एक आईसीबीएम ठिकाने पर एबीएम की तैनाती कर सकता था। एबीएम प्रवर्तकों (launchers) तथा अवरोधकों की संख्या को भी 200 से घटाकर 100 कर दिया गया। तत्कालीन सोवियत संघ ने मास्को के इर्द-गिर्द और संयुक्त राज्य अमेरिका ने ग्रँड फोक्र्स (उत्तरी डकोटा) आईसीबीएम क्षेत्र में एबीएम की तैनाती की। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 1976 में ग्रैंड फोकर्स ठिकाने को निष्क्रिय कर दिया।

बाद में संशोधनों, आम सहमति और प्रोटोकॉलों के द्वारा संधि के प्रावधानों में परिवर्तन किये गये।

वर्ष 1995 में संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस कुछ सिद्धान्तों को मानने हेतु सहमत हुये। इसके अनुसार एबीएम संधि थियेटर मिसाइल सुरक्षा (टीएमडी) प्रणाली, जिसमें कुछ सामरिक प्रक्षेपास्त्रों के विरुद्ध सिर्फ सैद्धान्तिक क्षमता हो सकती है, लेकिन प्रायोगिक दृष्टि से उसका कोई सैन्य महत्व नहीं होगा, पर लागू नहीं होता है। एबीएम और टीएमडी के बीच विभाजन रेखा तय करने के लिए वार्ता आयोजित करने पर भी सहमति हुई। 1997 में एक बहुपक्षीकरण एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें तय किया गया कि रूस, यूक्रेन, बेलारूस और कजाकिस्तान संयुक्त रूप से एबीएम संधि में सोवियत संघ का प्रतिनिधित्व करेंगे।

अंतरिक्ष-आधारित तकनीक और छोटे एवं कम गति वाले प्रक्षेपास्त्रों के विकास से एबीएम संधि का महत्व कम हो गया।


दिसम्बर 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका ने एबीएम संधि से अलग होने की एकतरफा घोषणा की। क्योंकि यह संधि स्थापित करने की उसकी क्षमता तथा उसके द्वारा 21वीं सदी के वास्तविक खतरों से देश की रक्षा करने के लिये आवश्यक रक्षात्मक हथियार विकसित करने में बाधक सिद्ध हो रही थी। संधि के प्रावधानों के अंतर्गत दोनों पक्ष आपसी समझौते या छह महीने की सूचना के साथ एकपक्षीय घोषणा के द्वारा संधि से अलग हो सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *