आयु संरचना Age Structure

आयु सरंचना विभिन्न आयु वर्गों द्वारा एक राष्ट्र के संघटन से संबंधित है।

आयु संरचना (Age Composition) आयु संरचना जनसंख्या की एक आधारभूत विशेषता है। आयु संरचना किसी जनसंख्या में आयु या आयु वर्गों के अनुसार जनसंख्या के वितरण को प्रदर्शित करती है। इसे आयु संघटन (Age Structure) भी कहते हैं।

यहां तीन प्रकार की आयु संरचना है- (i) पश्चिम यूरोपीय प्रकार की आयु संरचना में जनसंख्या का 30% से कम भाग बच्चों का तथा 15% भाग वृद्धों का होता है, (ii)उत्तर अमेरिकी प्रकार,इसमें जनसंख्या का 35-40% भाग बच्चों का तथा 10% वृद्ध लोगों का होता है, एवं, (iii) ब्राजीलियन प्रकार, इसमें जनसंख्या का 45-55% बच्चों का तथा वृद्ध लोगों का केवल 4-8% भाग सम्मिलित होता है। आयु सरंचना का प्रकार राष्ट्र के भविष्य पर सीधा प्रभाव डालता है, क्योंकि दोनों ही अधिकताएं, वृद्धावस्था की निर्भरता या युवा आयु की निर्भरता, देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डालती हैं।

2011 की जनगणना के एकल वर्ष आयु आंकड़े सितंबर 2013 में जारी किए गए, यह जनसंख्या में प्रत्येक आयु के लोगों की प्रति वर्ष संख्या को संदर्भित करता है। आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि भारत की कार्यशील आयु जनसंख्या (15-64 वर्ष) कुल जनसंख्या का अब 63.4 प्रतिशत है, जो 2001 में 60 प्रतिशत थी। संख्या यह भी प्रदर्शित करती है कि निर्भरता अनुपात– उस कार्यशील आयु में बच्चों (0-14) और बुजुर्गों (65-100) का अनुपात-में 0.55 की कमी आई है। इस प्रकार, यहां तक कि पश्चिमी देशों में बुजुर्गों की संख्या अधिक है, जबकि ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत की जनसंख्या अभी भी बेहद युवा है।

ग्रामीण भारत शहरी भारत की अपेक्षा अधिक युवा है- 51.73 प्रतिशत ग्रामीण भारतीय 24 वर्ष की आयु के अंदर है जबकि शहरी भारतीय का 45.9 प्रतिशत इस (24 वर्ष) आयु के भीतर आता है। इसका कारण है कि शहरी क्षेत्रों में प्रजनन दर में तेजी से कमी आ रही है। हालांकि 15-24 आयु समूह में ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत का अधिक अनुपात है।

भारत, समग रूप में, किसी युवा जनसंख्या को प्राप्त नहीं कर रहा है: जनसंख्या माध्यम बढ़ता जा रहा है जो 2001 में तकरीबन 22 वर्ष था, 2011 में बढ़कर 24 वर्ष हो गया। यह मेघालय में 19 वर्ष, बिहार और उत्तर प्रदेश में 20 वर्ष से केरल में 31 वर्ष है। यहां तक कि भारत की अधिकतम आयु स्थिति चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के मुकाबले युवा है। बिहार, भारत और केरल की आयु संरचना रूपरेखा भी विभिन्न जनांकिकीय विकास के चरणों को चित्रित करती है। समग्र तौर पर भारत की 472 मिलियन जनसंख्या 18 वर्ष की आयु के तहत् है, और 49.91 प्रतिशत 21 वर्ष की आयु के अंतर्गत है। यद्यपि 24 वर्ष की आयु के तहतू जनसंख्या में 4 प्रतिशत बिंदुओं की गिरावट आई है, जनसांख्यिकीविदों के अनुसार, तथापि यह घोषणा नहीं की जा सकती है यह युवा जनसंख्या के सिकुड़ने का संकेत है। गिरती प्रजननता के साथ, पहले नवजात शिशुओं एवं बच्चों की संख्या में कमी देखी जाती है, और फिर इसका परिणाम 25 वर्ष की आयु समूह की गिरावट के तौर पर दिखाई देता है।

आंकड़े प्रकट करते हैं कि 2001 की तुलना में 0-4 और 5-9 आयु समूह के बच्चों के अनुपात में गिरावट आई है। पहली बार, 10-14 आयु समूह के बच्चों के अनुपात में भी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि 15-29 और 20-24 आयु समूह में उनका अनुपात 2001 से बढ़ा है।


यहां आयु संघटन के विश्लेषण की विभिन्न विधियां हैं:

  1. आयु पिरामिड: इन्हें आयु और लिंग पिरामिड के नाम से भी जाना जाता है, यह विधि सामान्यतः प्रयुक्त होती है। इसके लंबवत अक्ष पर आयु पिरामिड नियमित अंतराल पर आयु वर्ग को दर्शाता है, जैसे-5 वर्ष, 0 से 5 से शुरू होकर अध्ययन के अंतर्गत जनसंख्या की आयु संरचना के अनुसार अंत तक। क्षैतिज अक्ष कुल जनसंख्या या पुरुष और स्त्री जनसंख्या को पृथक् रूप से दर्शाता है। सामान्य दशाओं में प्रति अनुक्रमिक वर्ष में व्यक्तियों की संख्या उत्तरोत्तर वर्ष से कम होगी, इसलिए आयु संघटन पिरामिड की आकृति को दर्शाता है। विकासशील देश, जो कि उच्च जन्म-दर और उच्च मृत्यु-दर से जाने जाते हैं, एक विशाल आधार वाला पिरामिड रखते हैं, जबकि विकसित देश जनसांख्यकी संक्रमण की अन्तिम अवस्था में संकीर्ण आधार वाला आयु पिरामिड रखते हैं।
  2. आयु समूह: विभिन्न आयु समूहों में वर्गीकृत जनसंख्या भूगोलवेत्ताओं को प्रादेशिक तुलना को वर्ण मात्री मानचित्र पर अंकित करने की अनुमति देती हैं। सामान्यतः, जनसंख्या तीन विशाल आयु समूहों में विभाजित होती है- (a) युवा, (b) प्रौढ़, (c) वृद्ध। अत्यधिक प्रचलित प्रमाणीकृत विभंग बिंदु 15 से 60 है। इसलिए तीन विशाल आयु समूह उत्पन्न होते हैं- 0-14,15-59, 60 और उससे अधिक।
  3. आयु संकेत सूची: यह अनुपात विस्तृत आघारों पर तीन आयु समूहों की सहायता से परिकलित किये जाते हैं, उदाहरण के लिए, वृद्ध और प्रौढ़ के बीच अनुपात, युवा और वृद्ध के मध्य अनुपात और इसी प्रकार के अनुपात बड़ी संख्या में हैं। प्रौढ़ और युवाओं से अधिक के बीच का अनुपात निर्भरता अनुपात कहलाता है।

निर्भरता अनुपात: निर्भरता अनुपात की गणना बच्चों की संख्या +बुजुर्ग लोगों को वयस्कों की संख्या से विभाजित किया जाता है और 100 से इसमें गुणा किया जाता है। यह मुख्य रूप से जनसंख्या की आयु संरचना द्वारा निर्देशित होता है। निर्भरता अनुपात आर्थिक रूप से क्रियाशील जनसंख्या और निर्भर जनसंख्या के बीच अनुपात की गणना करता है। निर्भरता अनुपात स्वेच्छाचारी होता है, इसलिए यह देशवार भिन्न होता है। सामान्य रूप से विकासशील देश उच्च जनसंख्या वृद्धि और रोजगार अवसरों में कमी के कारण उच्च निर्भरता अनुपात प्रदर्शित करते हैं।

निर्भरता अनुपात को जनसंख्या में 15-64 आयु के बीच लोगों की संख्या और निर्भरता जनसंख्या के बीच अनुपात के तौर पर परिभाषित किया जाता है।

निर्भरता अनुपात आर्थिक रूप से सक्रिय जनसंख्या और निर्भर जनसंख्या के बीच अनुपात की गणना करता है।

0-14 वर्ष आयु समूह में लोगों की संख्या = + 60 वर्ष या अधिक आयु समूह में लोगों की संख्या / 15-59 आयु समूह में व्यक्तियों की संख्या

निर्भरता अनुपात को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

युवा निर्भरता अनुपात (वाईडीआर) और वृद्ध निर्भरता अनुपात (ओडीआर)

  1. वाईडीआर =  0-14 आयु समूह में लोगों की संख्या / 15-59 आयु समूह में लोगों की संख्या
  2. ओडीआर = 60 या अधिक वर्ष आयु समूह में लोगों की संख्या / 15-59 वर्ष आयु समूह में लोगों की संख्या

निर्भरता अनुपात, 2011 की जनगणना अॉकड़ों के अनुरूप, 2001 में 752 और 1991 में 794 की तुलना में 2011 में 652 था। सभी राज्यों एवं संघ प्रदेशों में निर्भरता अनुपात में गिरावट आई है। वाईडीआर में 1991 में 672 और 2001 में 621 के मुकाबले 2011 में गिरकर 510 रह गया। ओडीआर बढ़कर 1991 के 122 और 2001 के 131 से 2011 में 142 हो गया। ओडीआर में बढ़ोतरी जन्म पर उच्च जीवन प्रत्याशा के कारण हुई है।

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भारत में आयु संरचना में तीव्र परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। यह संक्रमण दो चरणों में हो रहा है। प्रथम चरण में अन्य आयु समूहों की तुलना में कार्यशील आयु समूहों में अधिक वृद्धि होगी। यह जनसांख्यिकीय लाभांश है।

आयु संरचना में संक्रमण का दूसरा चरण जनसंख्या की बढ़ती आयु के साथ सामने आएगा। इस चरण में, 60 वर्ष से ऊपर की आयु की जनसंख्या में वृद्धि हो सकती है। भारत में 2050 तक उम्रदराज जनसंख्या के 300 मिलियन (जनसंख्या का 20 प्रतिशत) तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है। यह स्थिति कई सामाजिक परिवर्तन और चुनौतियों को बढ़ावा दे सकती है, जैसे बुजुर्ग लोगों की देखभाल, बेहतर रोजगार अवसरों की तलाश में कार्यशील जनसंख्या का प्रवास द्वारा जनांकिकीय और आर्थिक परिवर्तन और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि, और बुजुर्ग लोगों का पीछे रह जाना।

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