विद्युत सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य Vital Facts About Electricity

  • आवेश की मात्रा का मात्रक कूलॉम है।
  • मात्रक एम्पियर सेकेण्ड, कूलॉम के तुल्य होता है।
  • विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव की खोज ओरस्टेड ने की थी।
  • वैस्टन अमीटर से केवल डी.सी. विद्युत धारा ही नापी जाती है।
  • अमीटर का प्रतिरोध बहुत कम तथा वोल्टामीटर का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है।
  • वोल्टामीटर वह बर्तन होता है, जिसमें विद्युत अपघटन किया जाता है।
  • चालक में गतिशील इलेक्ट्रॉनों की धारा विद्युत की रचना करती है। परिपाटी के अनुसार इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विद्युत धारा की दिशा माना जाता है।
  • विद्युत धारा का SI मात्रक ऐम्पियर है।
  • किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों को गति प्रदान करने के लिए हम किसी सेल अथवा बैटरी का उपयोग करते हैं। सेल अपने सिरों के बीच विभवांतर उत्पन्न करता है। इस विभवांतर को वोल्ट में मापते हैं।
  • प्रतिरोध एक ऐसा गुणधर्म है, जो किसी चालक में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह का विरोध करता है। यह विद्युत धारा के परिमाण को नियंत्रित करता है। प्रतिरोध का SI मात्रक ओम है।
  • ओम का नियम – किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर उसमें प्रवाहित विद्युत धारा के अनुक्रमानुपाती होती है परंतु एक शर्त यह है कि प्रतिरोधक का ताप समान रहना चाहिए।
  • किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लंबाई पर सीधे अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर प्रतिलोमतः निर्भर करता है और उस पदार्थ की प्रकृति पर भी निर्भर करता है, जिससे वह बना है।
  • श्रेणीक्रम में संयोजित बहुत से प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध उनके व्यष्टिगत प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।
  • पार्श्वक्रम में संयोजित प्रतिरोधकों के समुच्चय का तुल्य प्रतिरोध Rp निम्नलिखित संबंध द्वारा व्यक्त किया जाता है-

[latex]\frac { 1 }{ { R }_{ p } } =\frac { 1 }{ { R }_{ 1 } } +\frac { 1 }{ { R }_{ 2 } } +\frac { 1 }{ { R }_{ 3 } } +……..[/latex]

  • किसी प्रतिरोधक में क्षयित अथवा उपभुक्त ऊर्जा का इस प्रकार व्यक्त किया जाता है-

=V×I×T

  • विद्युत शक्ति का मात्रक वाट है। जब 1 A विद्युत धारा 1 V विभवांतर पर प्रवाहित होती है तो परिपथ में शक्ति 1 वाट होती है। विद्युत ऊर्जा का व्यापारिक मात्रक किलोवाट घंटा है।

1 kWh= 3,600,000  J = 3.6 x 106J

  • अमीटर हमेशा विद्युत परिपथ के श्रेणी क्रम में लगाया जाता है।
  • वोल्टामीटर हमेशा विद्युत परिपथ के समानान्तर क्रम में लगाया जाता है।
  • इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा का मात्रक है।
  • वाट, विद्युत शक्ति का मात्रक है।
  • किलोवाट घण्टा, विद्युत ऊर्जा का मात्रक है।
  • कम शक्ति के बल्ब का प्रतिरोध अधिक होता है।
  • विद्युत बल्ब का तंतु टंगस्टन का बना होता है।
  • विद्युत हीटर का तार नाइक्रोम का होता है।
  • फ्यूज का तार, सीसा तथा टिन का बना होता है।
  • ट्रांसफार्मर विद्युत-चुम्बकीय-प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसे C विद्युत धारा के विभव में परिवर्तन किया जाता है।
  • एक उच्चायी ट्रांसफार्मर कम विभव वाली प्रबल प्रत्यावर्ती को उच्च विभव वाली निर्बल प्रत्यावर्ती धारा में बदलता है।
  • स्टोरेज बैटरी में सीसा का इस्तेमाल होता है।
  • चांदी विद्युत का सबसे अच्छा चालक है।
  • इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए प्रत्यावर्ती धारा का उपयोग नहीं किया जा सकता।
  • डायेनमो, यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
  • डायनेमोमीटर इंजन द्वारा उत्पन्न शक्ति मापने का यंत्र है।
  • विद्युत-धारिता का मात्रक फैराडे होता है।
  • एक पूरे चक्र के लिये प्रत्यावर्ती धारा का मान शून्य होता है।
  • स्वप्रेरण गुणांक का मात्रक हेनरी है।
  • किसी पदार्थ की सापेक्ष विद्युतशीलता सदैव 1 से अधिक होती है।
  • विद्युत बल्ब में नाइट्रोजन अथवा कोई निष्क्रिय गैस भरी जाती है।
  • केडमियम सेल, प्रमाणिक सेल कहलाता है।
  • 4k पर पारे का प्रतिरोध शून्य होता है।
  • विद्युत धारा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक उच्च C वोल्टेज पर ले जाया जाता है।
  • विद्युत तार बनाने के लिये तांबा उत्तम माना जाता है क्योंकि इसमें स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की अधिकता होती है।
  • समान शक्ति होने पर भी प्रतिदीप्ति ट्यूब, साधारण फिलामेंट बल्ब की अपेक्षा अधिक प्रकाश देता है, क्योंकि ट्यूब में लगा प्रतिदीप्ति पदार्थ पराबैंगनी विकिरण को दृश्य प्रकाश में बदल देता है।
  • प्रदीप्ति घनत्व का मात्रक फॉट है। 1 फॉट = 104 लक्स।
  • लेंस की क्षमता (Power) डॉयप्टर में नापी जाती है।
  • अनुदैर्ध्य तरंगें ध्रुवित नहीं की जा सकतीं।
  • सेक्सटेंट से वस्तुओं द्वारा आँख पर बना कोण नापते हैं।
  • दो समान्तर दर्पणों के बीच स्थित वस्तु के अनन्त प्रतिबिम्ब बनते हैं।
  • इन्द्र धनुष देखने के लिए सूर्य पीठ के पीछे होना चाहिए।
  • पतली तेल फिल्म या साबुन के बुलबुलों में दिखाई देने वाले चटकीले रंग प्रकाश के व्यतिकरण के कारण होते हैं।
  • पनडुब्बी (Submarine) के अन्दर से बाहर की वस्तुओं को देखने के लिए पेरिस्कोप (Periscope) का प्रयोग किया जाता है।
  • बुनकरों द्वारा विभिन्न प्रकार के रंगीन डिजाइन देखने के लिए कैलीडोस्कोप (Kaleidoscope) का उपयोग किया जाता है।
  • जलते हुए बल्ब को देखकर उसमें प्रवाहित धारा के C. अथवा D.C. होने का पता नहीं लगाया जा सकता।
  • ल्यूमेन (Lumen), ज्योति फ्लक्स (Luminous Flux) का मात्रक है।
  • सूर्य के प्रकाश के सात रंगों में लाल रंग की आवृति (Frequency) से कम आवृत्ति की तरंगों को अवरक्त किरणे (Infra-redrays) कहते हैं और बैंगनी रंग की आवृत्ति से अधिक आवृत्ति की तरंगों को पैराबैंगनी (Ultraviolet) किरणें कहते हैं। ये दोनों ही प्रकार की किरणें हमें दिखाई नहीं देती हैं अवरक्त किरणे केवल सूर्य से ही नहीं निकलती, बल्कि हर गर्म वस्तु से निकलती हैं।
  • कुछ वस्तुएं एक प्रकार से प्रकाश का शोषण करती हैं और दूसरे रंग वाले प्रकाश की किरणे निकालती हैं। कैल्सियम फ्लोराइड बैंगनी किरणों का शोषण करता है, परन्तु नीली किरणें निकालता है। इस प्रकार की घटना को प्रतिदीप्ति (Fluorescence) कहा जाता है।
  • कुछ वस्तुएं सूर्य के प्रकाश में रखने के पश्चात् प्रकाश से हटाए जाने पर भी सूर्य का प्रकाश निकालती हैं। इस घटना को स्पुरदीप्ति कहा जाता है। यह गुण कैल्सियम सल्फाइड में पाया जाता है।
  • मनुष्य उस विद्युत चुम्बकीय विकिरण (Electromagnetic radiation) को देख सकता है, जिसका तरंगदैर्ध्य (Wave length) 400 nm से 700 nm के बीच हो। स्पैक्ट्रम के दृश्य प्रकाश (Visible light) में यही तरंगदैर्ध्य होता है।
  • नॉल और रस्क (1933) ने इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का आविष्कार किया।
  • आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य होना चहिए।
  • इलेक्ट्रॉन वोल्ट (Electron volt-eV) उत्जा का मात्रक है।
  • 1 eV=1.6×10-19 जूल
  • किलोवाट घण्टा (KWH) विद्युत ऊर्जा का मात्रक है। 1 कि.वा.घं. = 6 × 106 जूल।
  • कम शक्ति (वाट) के बल्ब का प्रतिरोध अधिक होता है।
  • विद्युत बल्ब का तन्तु (Filament) टंगस्टन का बना होता है।
  • विशिष्ट प्रतिरोध का मात्रक ओम × मीटर है।
  • स्टोरेज बैटरी में सीसा (Lead) इस्तेमाल किया जाता है।
  • धारा का ऊष्मीय प्रभाव धारा की दिशा पर निर्भर नहीं करता।
  • विद्युत चुम्बक बनाने में कच्चे लोहे (Sof iron) का प्रयोग किया जाता है।
  • स्थायी चुम्बक बनाने में स्टील का प्रयोग किया जाता है।
  • डायनमो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
  • विद्युत मोटर, विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है।
  • किसी आवेशित खोखले गोले के अन्दर विभव स्थिर होता है।
  • डायनमोमीटर, इंजन द्वारा उत्पन्न शक्ति को मापने का यंत्र है।
  • सेल में रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
  • विद्युतधारिता (Capacity) का मात्रक फैराडे (Farad) होता है।
  • लेन्ज का नियम, ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त पर आधारित है।
  • लेन्ज के नियम के अनुसार किसी परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा सदैव ऐसी होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है, जिससे वह स्वयं उत्पन्न होती है।
  • विद्युत ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान को हाई वोल्टेज ए.सी. (High Voltage C.) के रूप में ले जाया जाता है।
  • बैटरी की धारिता को एम्पियर-घंटा में व्यक्त करते हैं।
  • मोटर कार की बैटरी की वोल्टता सामान्यतः 12 वोल्ट होती है।
  • कार बैटरी में प्रयुक्त अपघट्य तनु सल्फ्यूरिक अम्ल (Dilsulphuric acid) होता है।
  • जर्मन सिल्वर में ताँबा, जिंक एवं निकिल होता है।
  • कार्बन, सिलिकॉन, जर्मेनियम का प्रतिरोध ताप बढ़ने पर घटता है।
  • चुम्बकीय दृष्टि से ऑक्सीजन, एल्यूमीनियम, प्लेटिनम अनुचुम्बकीय (Paramagnetic) पदार्थ हैं।
  • शुष्क सेल प्राथमिक सेल है। इसमें रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
  • केडमियम सेल प्रामणिक सेल (Standard cell) कहलाता है।
  • C. मेन्स की आवृत्ति 50 c/s है।
  • 4K पर पारे का प्रतिरोध शून्य हो जाता है।
  • विद्युत परिपथ में फ्यूज का कार्य परिपथ में लगे संयंत्रों की रक्षा करना है।
  • विद्युत की वह मात्रा, जिससे 108 ग्राम चाँदी कैथोड पर जमा होती है, 1 फैराडे कहलाती है।
  • विद्युत तार बनाने के लिए ताँबा उत्तम माना जाता है, क्योंकि इसमें स्वतंत्र इलेक्ट्रॉनों की अधिकता होती है।
  • 1 किलोवाट = 34 अश्वशक्ति।
  • दिक्सूची एक छोटा चुंबक होता है। इसका एक सिरा जो उत्तर की ओर संकेत करता है, उत्तर ध्रुव कहलाता है तथा दूसरा सिरा जो दक्षिण की ओर संकेत करता है, दक्षिण ध्रुव कहलाता है।
  • किसी चुंबक के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र होता है, जिसमें उस चुंबक के बल का संसूचन किया जा सकता है।
  • किसी चुंबकीय क्षेत्र के निरूपण के लिए चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का उपयोग किया जाता है। चुंबकीय क्षेत्र रखा वह पथ है जिसके अनुदिश कोई परिकल्पित स्वतंत्र उत्तर ध्रुव गमन करने की प्रवृत्ति रखता है। चुंबकीय क्षेत्र के किसी बिंदु पर क्षेत्र की उस दिशा उस बिंदु पर रखे उत्तर ध्रुव की गति की दिशा द्वारा दर्शायी जाती है। जहाँ चुंबकीय क्षेत्र प्रबल होता है, वहाँ क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे के निकट दिखाई जाती हैं।
  • किसी विद्युत धारावाही धातु के तार से एक चुंबकीय क्षेत्र संबद्ध होता है। तार के चारों ओर रेखाएँ अनेक संकेंद्री वृत्तों के रूप में होती हैं, जिनकी दिशा, दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम द्वारा ज्ञात की जाती है।
  • विद्युत चुंबक में नर्म लौहा-क्रोड होता है, जिसके चारों ओर विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुंडली लिपटी रहती है।
  • कोई विद्युत धारावाही चालक चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर बल का अनुभव करता है। यदि चुंबकीय क्षेत्र तथा विद्युत धारा की दिशाएँ परस्पर एक-दूसरे के लंबवत हैं, तब चालक पर आरोपित बल की दिशा इन दोनों दिशाओं के लंबवत होती है, जिसे फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा प्राप्त किया जाता है। विद्युत मोटर एक ऐसी युक्ति है, जो विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करती है।
  • वैद्युतचुंबकीय प्रेरण एक ऐसी परिघटना है, जिसमें किसी कुंडली में, जो किसी ऐसे क्षेत्र में स्थित है, जहाँ समय के साथ चुंबकीय क्षेत्र परिवर्तित होता है तथा एक प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न होती है। चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन किसी चुंबक तथा उसके पास स्थित किसी कुंडली के बीच आपेक्षित गति के कारण हो सकता है। यदि कुंडली किसी विद्युत धारावाही चालक के निकट रखी है तब कुंडली से संबद्ध चुंबकीय क्षेत्र या तो चालक से प्रवाहित विधुत धारा में अंतर के कारण हो सकता है अथवा चालक तथा दक्षिण-हस्त नियम द्वारा प्राप्त की जाती है।
  • विद्युत जनित्र यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है। यह वैद्युत चुंबकीय प्रेरण के आधार पर कार्य करता है।
  • हम अपने घरों में प्रत्यावर्ती विद्युत शक्ति 220 बॉट पर प्राप्त करते हैं, जिसकी आवृत्ति 50 हर्ट्ज है। आपूर्ति का एक तार लाल विद्युतरोधन युक्त होता है, जिसे विद्युन्मय तार कहते हैं। दूसरे पर काला विद्युतरोधन होता है, जिसे उदासीन तार कहते हैं। इन दोनों तारों के बीच 220 वॉट का विभवांतर होता है। तीसरा तार भूसंपर्क तार होता है, जिस पर हरा विद्युतरोधन होता है। यह तार भूमि में गहराई पर दबी धातु की प्लेट से संयोजित होता है। भूसंपर्कण एक सुरक्षा उपाय है, जो यह सुनिश्चित करता है कि साधित्र के धात्विक आवरण में यदि विद्युत धारा का कोई भी क्षरण होता है तो उस साधित्र का उपयोग करने वाले व्यक्ति को गंभीर झटका न लगे।
  • विद्युत परिपथों की लघुपथन अथवा अतिभारण के कारण होने वाली हानि से सुरक्षा की सबसे महत्वपूर्ण युक्ति फ्यूज है।

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