प्रकृति के मूल बल The Basic forces of Nature
बल का नाम | आपेक्षिक प्रबलता | परास | जिनके बीच लगता है |
गुरुत्वाकर्षण बल | 10-11 | अनंत | विश्व में स्थित सभी पिण्ड |
दुर्बल नाभिकीय बल | 10-13 | बहुत कम, अवनाभिकीय आमाप (10-14 मी.) में | मूल कण विशेषकर इलेक्ट्रॉन एवं न्यूट्रिनो |
विद्युत-चुंबकीय बल | 10-2 | अनंत | आवेशित कण |
प्रबल नाभिकीय बल | 1 | लघु, नाभिकीय आमाप (10-15 मी.) | न्यूक्लिऑन, भारी मूल कण |
प्रकृति के विभिन्न बलों/प्रभाव क्षेत्रों के एकीकरण में प्रगति | ||
भौतिकविद् | वर्ष | एकीकरण संबंधी उपलब्धियाँ |
आइजक न्यूटन | 1687 | खगोली तथा पार्थिव यांत्रिकी को एकीकृत किया : यह दर्शाया कि दोनों प्रभाव क्षेत्रों पर समान गति के नियम तथा गुरुत्वाकर्षण नियम लागू होते हैं। |
हेंस क्रिश्चियन ऑस्टेड | 1820 | यह दर्शाया कि वैद्युत तथा चुंबकीय परिघटनाएँ एक एकीकृत प्रभाव क्षेत्र-विद्युत |
माइकल फैराडे | 1830 | चुंबकत्व के अविच्छेद्य रूप है |
जैम्स क्लार्क मैक्सवेल | 1873 | विद्युत-चुम्कत्व तथा प्रकाशिकी को एकीकृत किया, यह दर्शाया कि प्रकाश विद्युत-चुंबकीय तरंगें हैं। |
शैल्डन ग्लाशोव, अब्दुस, सलाम, स्टीवन वीनबर्ग | 1979 | यह दर्शाया कि ‘दुर्बल’ नाभिकीय बल तथा विद्युत-चुंबकीय बल को एकल ‘विद्युत-दुर्बल’ बल के विभिन्न रूपों की भांति देखा जा सकता है। |
कार्लो रूबिया, साइमन वान्डर | 1984 | ‘विद्युत-दुर्बल’ बल के सिद्धांत के पूर्वानुमानों का प्रायोगिक रूप से सत्यापन किया |