भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण Telecom Regulatory Authority of India – TRAI

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की स्थापना भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 द्वारा दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने हेतु 20 फरवरी, 1997 को की गई। ट्राई का मिशन देश में दूरसंचार के विकास के लिए दशाओं को इस प्रकार निर्मित करना है जिससे भारत उदीयमान वैश्विक सूचना समाज में एक अग्रणी भूमिका निभाने में सक्षम हो सकेगा। स्वच्छ प्रतिस्पर्द्धा सुसाध्य एवं सभी को बराबरी का अवसर देने के लिए निष्पक्ष एवं पारदर्शी नीति का माहौल प्रदान करना ट्राई का मुख्य उद्देश्य है।

प्राधिकरण में एक अध्यक्ष एवं न्यूनतम दो और अधिकतम छह सदस्य होते हैं, तथा इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है। अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होगा जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश है या रहा हो या वह उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश हो या रहा हो। सदस्य ऐसा व्यक्ति होगा जिसे दूरसंचार, उद्योग, वित्त लेखांकन, विधि प्रबंधन एवं उपभोक्ता मामलों के क्षेत्र में से किसी में विशेष ज्ञान एवं पेशेवर अनुभव है।

ट्राई के कृत्य एवं दायित्व

  • नए सेवा प्रदाताओं हेतु समय एवं जरूरतों की अनुशंसा करना
  • एक सेवा प्रदाता के लिए लाइसेंस की सेवा शर्तो की अनुशंसा करना।
  • विभिन्न सेवा प्रदाताओं के बीच तकनीकी सुसंगतता एवं प्रभावी अंतर्संपर्क सुनिश्चित करना।
  • सेवा प्रदाताओं को दूरसंचार सेवाओं के प्रदायन से प्राप्त राजस्व का सेवा प्रदाताओं के बीच हिस्सेदारी के प्रबंध का विनियमन करना।
  • लाइसेंस हेतु सेवा शर्तों के अनुपालन को सुनिश्चित करना।
  • विभिन्न सेवा प्रदाताओं के मध्य दूरसंचार के स्थानीय एवं लम्बी दूरी सर्किटों की समयावधि सुनिश्चित करना।
  • दूरसंचार सेवाओं के प्रचालन में प्रतिस्पर्द्धा को सुसाध्य बनाना और कार्यदक्षता को बढ़ावा देना ताकि इनसेवाओं में संवृद्धि हासिल की जा सके।
  • दूरसंचार सेवा के उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना।
  • सेवा की गुणवत्ता की निगरानी करना और सेवा प्रदाताओं द्वारा मुहैया कराई गई ऐसी सेवाओं का आवधिक सर्वेक्षण करना।
  • नेटवर्क में प्रयुक्त उपकरण की जांच करना और सेवा प्रदाताओं द्वारा किस प्रकार के उपकरणों के प्रयोग करने की अनुशंसा करना।
  • सेवा प्रदाताओं के मध्य विवादों का निपटारा करना।
  • विनियमों द्वारा निर्धारित,इन सेवाओं के संबंध में, दरों पर शुल्क एवं अन्य भारों का आरोपण करना।
  • सार्वभौमिक सेवा दायित्वों के प्रभावी अनुपालन को सुनिश्चित करना; और
  • ऐसे अन्य कार्य करना, जिसमें प्रशासनिक एवं वित्तीय कार्य भी शामिल हैं, जो केंद्र सरकार द्वारा उसे सौंपे गए हैं।

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