टी-बोर्ड Tea Board

चाय एक ऐसा उद्योग है जो संसद के अधिनियम के तहत् संघीय सरकार के नियंत्रणाधीन हैं। टी बोर्ड की भारत में उत्पत्ति 1903 में तब हुई जब भारतीय उपकर विधेयक पारित किया गया था। विधेयक ने चाय निर्यात पर उपकर लगाया इसका प्रयोग भारत में तथा भारत के बाहर भारतीय चाय के संवर्धन के लिए किया गया। वर्तमान टी बोर्ड का गठन चाय अधिनियम, 1953 की धारा चार के अधीन 01 अप्रैल, 1954 को किया गया। इसने चाय बोर्ड एवं भारतीय चाय अनुज्ञापन समिति का स्थान लिया, जोकि क्रमशः केंद्रीय चाय बोर्ड अधिनियम 1949 एवं भारतीय चाय नियंत्रण अधिनियम 1938 के अधीन कार्यरत थीं एवं निरसित हो चुकी हैं।

पूर्ववर्ती दोनों निकायों की गतिविधियां, उस समय लागू अंतरराष्ट्रीय चाय संविदा द्वारा चाय खेती व चाय निर्यात के विनियमन व चाय खपत के संवर्धन तक ही सीमित थी।

टी बोर्ड का संगठन: वर्तमान टी बोर्ड वाणिज्यमंत्रालय के अधीन, केन्द्रीय सरकार का सांविधिक निकाय है। बोर्ड के संसद सदस्य, चाय उत्पादक, चाय विक्रेता, चाय ब्रोकर, उपभोक्ता व प्रधान चाय उत्पादन राज्यों से सरकार के प्रतिनिधि एवं व्यवसायिक संघ के 31 सदस्य (अध्यक्ष सहित) शामिल हैं। प्रत्येक तीन साल में बोर्ड का पुनर्गठन होता है।

बोर्ड की स्थायी समितियां निम्नवत हैं-

  1. कार्यकारिणी समिति: कार्यकारिणी समिति बोर्ड के प्रशासनिक मामलों पर ध्यान रखती है।
  2. निर्यात संवर्धन समिति: निर्यात संवर्धन समिति चाय के निर्यात संबंधी कायों पर ध्यान रखती हैं।
  3.  श्रम कल्याण समिति: श्रम कल्याण समिति बोर्ड के चाय रोपण श्रमिकों एवं इनके सगे-संबंधियों के फायदे के लिए विभिन्न कल्याण मूलक योजनाओं की स्थापना के लिए बोर्ड को निर्देशित देती है।
  4. विकास समिति: विकास समिति बोर्ड द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न विकासात्मक योजनाओं की देख-रेख के लिए जिम्मेदार होती है।

प्रशासनिक ढाँचा:

  1. सचिवालय के प्रधान सचिव स्थापना तथा अन्य प्रशासनिक कार्यों की देख-रेख करते हैं एवं बोर्ड के कार्यालय के विभिन्न विभागों के साथ समन्वय रखते हैं।
  2. स्थापना शाखा के प्रधान सह सचिव हैं, जो प्रशासनिक/नीति सम्बन्धी मामलों की देखरेख करते हैं एवं बोर्ड के कार्यालय के सदस्यों की समस्याओं की भी देखते हैं।
  3. वित्तीय सलाहकार एवं मुख्य लेखा अधिकारी के अधीन वित्त शाखा आंतरिक लेखा परीक्षा व चाय बागान को आर्थिक सहायता, लेखा के रख-रखाव का दायित्व है।
  4. चाय विकास निदेशक के अधीन विकास निदेशालय विभिन्न विकासात्मक योजनाओं के संस्थापन के लिए उत्तरदायी है एवं आवश्यक इनपुट की खरीद, वितरण और संचालन के लिए उद्योग की सहायता करता है।
  5. चाय संवर्धन निदेशक के अधीन संवर्धन निदेशालय भारत और विदेशों में चाय संवर्धन व विपणन संबंधी कार्यों की देख-रेख करते हैं।
  6. अनुसंधान निदेशक के अधीन अनुसंधान निदेशालय, देश में विभिन्न चाय अन्वेषण संस्थानों द्वारा किए गए चाय अनुसंधान के साथ समन्वय स्थापन के लिए उत्तरदायी हैं।
  7. अनुज्ञापन नियंत्रक के अधीन अनुज्ञापन विभागचाय के निर्यात एवं वितरण के व्यवसायिक अनुज्ञापन जारी करने, भारत में सभी चाय बागान के स्वामित्व संबंधी अभिलेख एवं चाय अवशिष्ट (नियंत्रण) आदेश व चाय भंडागार (नियंत्रण) आदेश के क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी हैं।
  8. श्रम कल्याण अधिकारी के अधीन श्रम कल्याण विभाग, बोर्ड के कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन संबंधी कार्यों की देख-रेख करता है।
  9. सांख्यिकीविद् के अधीन सांख्यिकी विभाग चाय क्षेत्र का उत्पादन, चाय मूल्य, निर्यात, आयात, श्रम एवं अन्य संबद्ध डाटा से संबंधित सांख्यिकी संग्रहण एवं लागत अध्ययन के साथ देश में विभिन्न चाय उत्पादन क्षेत्रों में किए गए आर्थिक तकनीकी सर्वेक्षण के लिए उत्तरदायी हैं।
  10. विधि अधिकारी के अधीन विधि शाखा, विभिन्न निष्पादन विभागों में उठने वाले कानूनी मामलों का अनुवीक्षण करते हैं।
  11. उप निदेशक (हिन्दी) के अधीन हिन्दी प्रकोष्ठ राजभाषा अधिनियम के प्रावधानों के कार्यान्वयन व तत्संबंधी उपायों की देखभाल के लिए उत्तरदायी होता है।
  12. सतर्कता विभाग– टी बोर्ड का सतर्कता विभाग बोर्ड के उपाध्यक्ष के अधीन है। जिनकी नियुक्ति केन्द्रीय सतर्कता आयोग द्वारा बोर्ड के मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में हुई है। विभाग सुरक्षात्मक सतर्कता में शामिल होने के साथ ही सूचना व शिकायतों पर आवश्यक कार्यवाही करते हैं। प्रकोष्ठ भारत सरकार व केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा किए गए प्रश्नों का उत्तर देता है। मासिक एवं तिमाही रिपोर्ट तैयार की जाती है और वाणिज्य मंत्रालय एवं केंद्रीय सतर्कता आयोग को भेजी जाती है। सम्पूर्ण सतर्कता गतिविधियाँ मुख्य सतर्कता अधिकारी द्वारा देखि जाती है, जिनकी सहायता बोर्ड के अन्य अधिकारी करते है जिसमें उप-निदेशक चाय संवर्धन शामिल हैं जो अपने साधारण कार्यों के अलावा सतर्कता अधिकारी की भूमिका भी निभाते हैं।

उल्लेखनीय है कि बोर्ड अपने मुख्यालय एवं विभिन्न आंचलिक/क्षेत्रीय कार्यालयों में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन करता है।

टी बोर्ड के पश्चिम बंगाल के कोलकाता में मुख्यालय के साथ चौदह कार्यालय हैं जिसमें आंचलिक, क्षेत्रीय व उप-क्षेत्रीय कार्यालय निम्नलिखित शहरों/नगरों में स्थित हैं-


कुन्नूर, गुवाहाटी, नाइ दिल्ली, सिलीगुड़ी, मुंबई, कोचीन, चेन्नई, सिलचर, कोट्टायम, अगरतला, जोरहट, तेजपुर, कुर्सियांग, पालमपुर, जलपाईगुडी, डिब्रूगढ़। यह 4 चाय बार/बुफे का भी रख-रखाव करती है।

वर्तमान में टी बोर्ड के तीन विदेशी समुद्रपारीय कार्यालय लंदन, दुबई व मास्को में अवस्थित हैं। इन विदेशी कार्यालयों का रूपांकन भारतीय चाय के निर्यक को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न संवर्धनात्मक उपायों से किया जाता है। ये कार्यालय भारतीय चाय से सम्बंधित क्षेत्र के भारतीय चाय के आयातकों के साथ भारतीय निर्यातकों के बीच विचार विनिमय के लिए संपर्क कार्यालय की भूमिका निभाते हैं।


भारतीय चाय संबंधी नीति एवं विधान

  • चाय (विपणन) नियंत्रण आदेश 2003
  • चाय अधिनियम व नियम
  • चाय बोर्ड (हानि अपलिखित करना) नियम 1966
  • चाय बोर्ड उप-विधि-1955
  • चाय नियम-1954
  • चाय (वितरण व निर्यात) नियंत्रण आदेश 2005
  • चाय अवशिष्ट (नियंत्रण) आदेश-1959
  • चाय भण्डारण (अनुज्ञापन) आदेश 1959
  • रोपण श्रम अधिनियम
  • पी एफ ए अधिनियम व नियम
  • विदेश व्यापार नीति 2004-2009
  • अनुज्ञापन प्राप्त करने प्रक्रिया व मार्गदर्शन
  • टी बोर्ड द्वारा अनुमोदित निरीक्षण एजेंसियों की सूची

टी बोर्ड के विस्तृत कार्य व उत्तरदायित्व

  • चाय के विपणन, उत्पादन के लिए तकनीकी व आर्थिक सहायता का प्रस्तुतीकरण।
  • निर्यात संवर्धन
  • चाय की गुणवत्ता में सुधार व चाय उत्पादन के आवर्धन के लिए अनुसंधान व विकास गतिविधियों की सहायता।
  • श्रम कल्याण योजना के द्वारा चायरोपण कर्मचारियों एवं उनकी संतानों को सीमित रूप में आर्थिक सहायता देना।
  • लघु उत्पादकों के असंगठित क्षेत्र को आर्थिक व तकनीकी सहायता देना व प्रेरित करना।
  • सांख्यिकी डाटा व प्रकाशन का संग्रह व रख-रखाव।
  • केंद्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर अन्य गतिविधियां नियत करना।

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