दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय Southern African Development Community – SADC

यह समुदाय दक्षिण अफ्रीकी देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। इसके लक्ष्य हैं-सदस्य देशों के मध्य आर्थिक सहयोग और एकीकरण को प्रोत्साहन देना तथा उनकी आर्थिक स्वतंत्रता की रक्षा करना।

मुख्यालय: गैबोरोन (बोत्सवाना)।

सदस्यता: अंगोला, बोत्सवाना, लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, लेसोथो, मेडागास्कर, मलावी, मॉरीशस, मोजाम्बिक, नामीबिया, सेशल्स, दक्षिण अफ्रीका, स्वाजीलैंड, तंजानिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे। (मेडागास्कर को एंड्री राजोइलीना के नेतृत्व में तख्ता लटक के बाद निलम्बित कर दिया गया)

आधिकारिक भाषाएं: अंग्रेजी तथा पुर्तगाली।

उद्भव एवं विकास

दक्षिण अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) की स्थापना दक्षिण अफ्रीकी विकास समन्वय सम्मेलन (एसएडीसीसी), जिसकी पहली बैठक जुलाई 1979 में अरूशा (तंजानिया) में हुई थी, के आधार पर हुई। अग्रणी राज्यों (Front-Line State–FLS) (अंगोला, बोत्सवाना, मोजाम्बिक, तंजानिया और जांबिया) तथा औद्योगिक देशों एवं अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने क्षेत्र के बहुमत-शासित देशों में सहयोग बढ़ाने के लिये इस सम्मेलन में भाग लिया। 1980 में लुसाका में एसएडीसीसी विधिवत रूप से अस्तित्व में आया जब अग्रणी राज्यों-लिसोथो, मलावी, स्वाजीलैंड और जिम्बाब्वे ने आर्थिक मुक्ति (इकनोमिक लिबरेशन) घोषणा पर हस्ताक्षर किये। तंजानिया 1990 में इसका सदस्य बना। सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने के अतिरिक्त एसएडीसीसी ने क्षेत्र की दक्षिण अफ्रीका पर निर्भरता को कम करने तथा आर्थिक प्रतिबंधों को दृढ़तापूर्वक झेलने को भी अपना लक्ष्य बनाया। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की समाप्ति के पश्चात् एसएडीसीसी को एक पूर्ण विकसित क्षेत्रीय समुदाय में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया। जुलाई 1992 में विंडहॉक (नामीबिया) में भूतपूर्व एसएडीसीसी के दस सदस्यों दक्षिण अफ्रीका विकास समुदाय (एसएडीसी) के गठन के लिये एक संधि पर हस्ताक्षर किए। दक्षिण अफ्रीका तथा मॉरीशस क्रमशः 1994 और 1995 में इसके सदस्य बने।

उद्देश्य


इस संगठन के उद्देश्य हैं- एक क्षेत्रीय साझा बाजार स्थापित करने के उद्देश्य से आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहन देना, तथा; क्षेत्रीय एकजुटता, शांति और सुरक्षा में मजबूती लाना।

एसएडीसी के उद्देश्य विभिन्न स्रोतों से निर्धारित किए गए। इन स्रोतों में शामिल हैं- एसएडीसी संधि; विभिन्न प्रोटोकॉल (अन्य एसएडीसी संधियां, जैसे भ्रष्टाचार प्रोटोकॉल, आग्नेयस्त्र प्रोटोकॉल, ओपीडीएस प्रोटोकॉल, स्वास्थ्य प्रोटोकॉल और शिक्षा प्रोटोकॉल); विकास एवं सहयोग योजना जैसे क्षेत्रीय सांकेतिक रणनीतिक विकास योजना (आरआईएसडीपी) और रणनीतिक सांकेतिक अंग ओजना (एसआईपीओ); और एचआईवी तथा खाद्य सुरक्षा पर घोषणl

कुछ क्षेत्रों में, राष्ट्रीय गतिविधियों और नीतियों के मात्र समन्वय का उद्देश्य सहयोग है। उदाहरणार्थ, विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य समन्वय एवं सहयोग है, लेकिन व्यापार एवं आर्थिक नीति के संदर्भ में, एक सख्त समन्वय प्रगतिशील होता है कि एक दिन साझा विनियामक संस्थानों के साथ एक साझा बाजार स्थापित हो पाएगा।

संरचना

एसएडीसी के प्रमुख संगठनात्मक अंग हैं- शासनाध्यक्षों की बैठक, मंत्रिपरिषद; राजनीतिक और सुरक्षा अवयव, और; कार्यवाहक सचिवालय।

शासनाध्यक्षों की सभा में सभी सदस्य देश सम्मिलित होते हैं तथा वर्ष में कम-से-कम एक बार इसकी बैठक होनी आवश्यक है। मंत्रिपरिषद में भी सभी सदस्य देश सम्मिलित होते हैं। ऊर्जा, परिवहन तथा अन्य विशिष्ट मुद्दों पर विचार करने के लिये मंत्रिपरिषद की प्रत्येक वर्ष बैठक होती है। राजनीति, रक्षा और सुरक्षा अंग का गठन 1996 में किया गया। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं-सदस्य देशों को कानून एवं व्यवस्था बहाल करने, बाह्य आक्रमण से रक्षा करने तथा प्रजातंत्र को प्रोत्साहन देने योग्य बनाना। कार्यवाहक सचिवालय का प्रधान अधिकारी कार्यपालक सचिव होता है। सचिवालय प्रशासनिक कार्य करता है।

गतिविधियां

एसडीसी की उपलब्धियां बहुत ही साधारण रही हैं, लेकिन इस समुदाय की गणना अफ़्रीकी महाद्वीप के सबसे व्यावहारिक क्षेत्रीय संगठनों में की जाती है। अपने अस्तित्व के आरंभिक दिनों में एसएडीसी ने सदस्य देशों में रेल और सड़क नेटवर्कों के विकास को प्रथमिकता दी ताकि आयात और निर्यात के लिए दक्षिण अफ्रीका के पोतों और परिवहन मार्गों पर निर्भरता कम हो सके। इससे परिवहन का विस्तार और पुनर्वासन हुआ। दक्षिण अफ्रीका द्वारा इसकी सदस्यता ग्रहण करने के बाद संगठन ने बेहतर क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को प्राथमिकता दी। 1995 में जोहान्सबर्ग में जल-संसाधनों के बंटवारे के संदर्भ में एक समझौता हुआ। वर्ष 2000 तक आंतरिक व्यापार अवरोधों को समाप्त करने के लिये एक संधि की रूपरेखा तैयार की गई। 1994 में सदस्य देशों में जन-विद्रोहों तथा क्षेत्रीय विवादों पर नियंत्रण रखने के उद्देश्य से एसएडीसी मंत्रियों ने एक क्षेत्रीय द्रुत फैलाव शांति बल (regional rapid deployment peacekeeping force) के गठन को स्वीकृति प्रदान की।

एसएडीसी में सदस्य देशों के सभी शासनाध्यक्ष या राष्ट्राध्यक्ष शामिल होते हैं, फिर भी शिखर सम्मेलन एसएडीसी की अंतिम नीति-निर्माण संस्था है। यह एसएडीसी के सभी नीति-निर्देशों और कार्य नियंत्रण के लिए उत्तरदायी है। इसका शिखर सम्मेलन प्रायः वर्ष में एक बार सदस्य देशों में आयोजित किया जाता है और वह उस वर्ष एसएडीसी की उपाध्यक्षता ग्रहण करता है। जब कभी आवश्यकता उत्पन्न हो जाए तो एसएडीसी की असाधारण शिखर बैठक भी आयोजित की जाती है। शिखर बैठक एसएडीसी पदाधिकारियों का चुनाव करती है, नामतः, अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष; और राजनीति, रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग पर एसएडीसी अंगों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष।

वर्ष 2000 में ऑर्डीनरी शिखर बैठक, जो विंधोक, नामीबिया में आयोजित की गई, के दौरान प्रोटोकॉल ऑन ट्रिब्यूनल हस्ताक्षरित करके एक न्यायाधिकरण की स्थापना की गई। ट्रिब्यूनल को एसएडीसी संधि प्रावधानों और अनुषंगी यंत्रों की उचित व्याख्या कर्ण और इसके संदर्भित किए गए गए विवादों के अधिनिर्णयन की जिम्मेदारी सौंपी गई। मंत्रिपरिषद् में प्रत्येक सदस्य देश से मंत्री शामिल किए जाते हैं, प्रायः जिनकी विदेश मामले मंत्री, आर्थिक, नियोजन एवं वित्त जैसी जिम्मेदारी सौंपी जाती है। परिषद् के कार्यों में एसएडीसी के विकास एवं कृत्यों पर निगरानी रखना और  सुनिश्चित करना की नीतियों का उचित रूप से क्रियान्वयन हो। परिषद् वर्ष में दो बार मिलती है, फरवरी में वार्षिक बजट के अनुमोदन के लिए और अगस्त या सितंबर में शिखर बैठक से पूर्व बैठक का एजेंडा तैयार करने के लिए।

22 अक्टूबर, 2008 को, एसएडीसी ने अफ्रीकी मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के लिए पूर्वी एवं दक्षिणी अफ्रीका और पूर्वी अफ्रीकी समुदाय के साथ साझा बाजार स्वीकार किया। तीन व्यापार गुटों के नेताओं ने एकल मुक्त व्यापार क्षेत्र अफ्रीकी मुक्त व्यापार क्षेत्र, के सृजन पर सहमति की जिसमें 26 देश हैं।

अफ्रीकी मुक्त व्यापार क्षेत्र के प्रभावी होने से, इसके बनने से 100 वर्षों का सपना साकार हुआ। व्यापार क्षेत्र केपटाउन से काहिरा तक समस्त अफ्रीकी महाद्वीप तक फैला है और इसे 1890 के दशक में सेशिल रोहड्स और अन्य ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने लागू किया। एकमात्र अंतर यह है कि अफ्रीकी मुक्त व्यापार क्षेत्र अफ्रीकी देशों की उपज है और इसके सदस्य देशों के आपसी विकास और लाभ हेतु स्थापित किया गया है।

इसके अतिरिक्त, मिथ्या सदस्यता का उन्मूलन करने की समस्या भी है, सदस्य देश अन्य क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग योजनाओं और क्षेत्रीय राजनीतिक एवं सुरक्षा सहयोग योजनाओं के भी सदस्य हैं जो एक-दूसरे के प्रति प्रतिस्पर्द्धा या नीचा दिखाने वाला हो सकता है। उदाहरणार्थ, दक्षिण स्फ्रिका और बोत्सवाना दोनों दक्षिण अफ्रीका कस्टम यूनियन से जुड़े है, जाम्बिया पूर्वी एवं दक्षिण अफ्रीका साझा बाजार का एक हिस्सा है और तंजानिया ईस्ट अफ्रीकन कम्युनिटी का एक सदस्य है।

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