प्रकाश संश्लेषण Photosynthesis

प्रकाश संश्लेषण सिर्फ हरे पौधों एवं कुछ जीवाणुओं में घटित होने वाली वह क्रिया है जिसमें पौधे के हरे भाग सौर ऊर्जा (solar Energy) को ग्रहण कर वायुमण्डल से ली गई कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा भूमि से अवशोषित जल (H2O) के द्वारा कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन एवं जल सहायक उत्पाद (By-product) के रूप में निष्कासित होते हैं। पौधों में होने वाली यह क्रिया हरित लवक या पर्णहरित (Chlorophyll) की उपस्थिति में सम्पन्न होती है।

6 СО2 + 12H2O  -(सूर्य का प्रकाश + पर्णहरित)→ C6H12O6 + 6H2O + 6O2

प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्चा पदार्थ:

  1. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): शर्करा (कार्बोहाइड्रेट) के संश्लेषण के लिए पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कच्चे पदार्थ (Raw materials) के रूप में करते हैं। स्थलीय पौधे वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं, जबकि जलीय पौधे (Aquatic Plants) जल में घुली हुई कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं। प्रकाश संश्लेषण क्रिया के द्वारा पौधे कार्बन डाइऑक्साइड को स्थिर करते हैं। जब प्रकाश की तीव्रता कम होती है (मुख्यतः प्रातः तथा सायंकाल में) तो पौधों द्वारा श्वसन की क्रिया में मुक्त की गई कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा इसकी प्रकाश-संश्लेषण क्रिया हेतु संचित मात्रा के समान होती है। इस स्थिति को संतुलन बिन्दु (Compensation point) कहा जाता है। रात्रि के समय पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया नहीं करते बल्कि संचित पदार्थ का उपापचयन करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं।
  2. जल (H2O): प्रकाश संश्लेषण की क्रिया हेतु जल भी कच्चे पदार्थ के रूप में इस्तेमाल होता है। पौधों की जड़ें परासरण (Osmosis) क्रिया के द्वारा भूमि से जल का अवशोषण करती हैं। जल का पतियों तक आरोही संवहन जाइलम (Xylem) ऊतक के माध्यम से होता है, जहाँ से यह प्रकाश संश्लेषी कोशिकाओं तक पहुँच जाता है। हाइड्रोजन की प्राप्ति जल के माध्यम से ही होती है जो कि कार्बन डाइऑक्साइड का अपचयन करती है। प्रकाश की उपस्थिति में जल का विखण्डन इस प्रकार होता है-

[latex]{ H }_{ 2 }O\rightarrow 2{ H }^{ + }+\frac { 1 }{ 2 } { O }_{ 2 }+2{ e }^{ – }[/latex]

  1. पर्णहरित (Chlorophyll): पर्णहरित वर्णक मुख्यतः हरित लवक नामक पादप कोशिकांग में पाया जाता है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए पर्णहरित बहुत ही आवश्यक है। दूसरे शब्दों में यह प्रकाश संशलेषण क्रिया का केन्द्र होता है। पौधों की जिन कोशिकाओं में पर्णहरित उपस्थित होता है केवल वे ही प्रकाश संशलेषण क्रिया कर पाती हैं। पौधों में पर्णहरित प्रायः हरी पत्तियों में पाया जाता है, इस कारण पत्तियों को पौधे का प्रकाश संश्लेषी अंग (Photosynthetic organs of plant) कहा जाता है। शैवाल (Algae) और हाइड्रिला (Hydrila) जो प्रायः जल में मिलते हैं का पूरा शरीर ही प्रकाश संश्लेषी होता है। हरित लवक एक सतत् दोहरी झिल्ली से घिरे होते हैं। उच्च पादपों में हरित लवक में स्तरमय रचनाओं की पट्टियाँ होती हैं, जिन्हें ग्रेना (Granna) कहते हैं। हरित लवक का आन्तरिक स्तर इसकी गुहा (Cavity) को आस्तरित करता है जिसे पीठिका (stroma) कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया इन्हीं ग्रेना एवं स्ट्रोमा में सम्पन्न होती है। पर्णहरित में चार पाइरोल रिंग का बना चपटा पोरफारिन हेड जिसके केन्द्र में मैग्नीशियम (Mg) का एक परमाणु तथा एक रिंग पर हाइड्रोकार्बन चेन होती है। क्लोरोफिल-a का सूत्र C55H72O5N4Mg तथा क्लोरोफिल-b का सूत्र C55H70O6N4Mg है।
  2. प्रकाश (Light): प्रकाश संश्लेषण की क्रिया केवल दृश्य प्रकाश वर्णो (VIBGYOR) में सम्पन्न होती है। पर्णहरित प्रकाश में बैंगनी, नीला और लाल रंगों को ग्रहण करता है। प्रकाश संशलेषण की क्रिया बैंगनी रंग के प्रकाश में सबसे कम तथा लाल रंग के प्रकाश में सबसे अधिक होती है। कुछ कृत्रिम स्रोत भी प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को सम्पन्न करने में समर्थ होते हैं। पौधों में न केवल कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा जल (H2O) ही कार्बोहाइड्रेट के रूप में स्थिर होते हैं बल्कि सूर्य से प्राप्त ऊर्जा भी स्थिर होती है। पौधे सूर्य के प्रकाश को भोजन के रूप में स्थिर करते हैं।

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया: प्रकाश संश्लेषण की क्रिया एक उपचयन-अपचयन (Oxidation-Reduction) क्रिया है। इसमें जल का उपचयन (Oxidation) ऑक्सीजन के बनने में तथा कार्बन डाइऑक्साइड का अपचयन (Reduction) शर्करा के निर्माण में होता है।

प्रकाश संश्लेषण क्रिया की अवस्थाएँ: प्रकाश संश्लेषण क्रिया की दो अवस्थाएँ होती हैं-

  1. प्रकाश रासायनिक क्रिया तथा
  2. रासायनिक प्रकाशहीन क्रिया

प्रकाश रासायनिक क्रिया (Photo chemical reaction): यह क्रिया पर्णहरित के ग्रेना में सम्पन्न होती है। इसे हिल क्रिया (Hill Reaction) भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में जल का अपघटन होकर हाइड्रोजन आयन तथा इलेक्ट्रॉन बनता है। जल के अपचयन के लिए ऊर्जा प्रकाश द्वारा मिलती है। इस प्रक्रिया के अन्त में ऊर्जा के रूप में ATP तथा NADPH निकलता है जो अंधकार क्रिया (Dark reaction) में क्रिया संचालित करने में मदद करते हैं।


4H2O → 4H+ + 4OH

4H+ + 2NADP → 2NADPH2

4OH→ 2H2O + 2O2↑ +2e

  1. रासायनिक प्रकाशहीन क्रिया (Chemical dark reaction): यह क्रिया क्लोरोफिल के स्ट्रोमा (stroma) में सम्पन्न होती है। इस अभिक्रिया के लिए ऊर्जा प्रकाश अभिक्रिया से मिलती है। इस कारण इसे अप्रकाशिक अभिक्रिया (Dark reaction) कहा जाता है। इस अभिक्रिया में प्रकाश अभिक्रिया के दौरान उत्पन्न NADPH2 एवं ATP दोनों ही अणुओं का उपयोग कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बोहाइड्रेटों के संश्लेषण के लिए किया जाता है। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड रिबुलेंस बाइफॉस्फेट से प्रारम्भ होकर अभिक्रिया के एक चक्र में प्रवेश करता है। इस चक्र के अन्त में कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण एवं रिबुलेस बाइफॉस्फेट का पुनरुद्भवन होता है। चूंकि मेल्विन केल्विन (Melvin Kelvin) एवं एन्डिल बेन्सन (Andil Benson) ने इस चक्र की खोज की थी। इस कारण इसे केल्विन-बेन्सन चक्र (Kelvin-Benson Cycle) भी कहते हैं।

प्रकाश संश्लेषण की सम्पूर्ण क्रिया को संक्षेप में अति सरल तरीके से इस प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है-

6CO2 + 12 ATP + 12 NADPH → C6H12O6 + 12 ATP + 12 NADP

प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक (Factors governing photo synthesis): प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करनेवाले कारक निम्नलिखित हैं-

  1. प्रकाश (Light): प्रकाश संश्लेषण की क्रिया लाल एवं नीले प्रकाश में सबसे अधिक होती है जबकि पराबैंगनी, हरी, पीली एवं अवरक्त प्रकाश में यह बिल्कुल नहीं होती है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रकाश की निम्न तीव्रता पर तो बढ़ती है परन्तु जैसे- जैसे तीव्रता उच्च होती है, यह घटती जाती है।
  2. ताप (Temperature): प्रकाश संश्लेषण में अनेक एन्जाइमों की प्रतिक्रियाएँ होती हैं। एन्जाइम तापक्रम की एक अनुकूलतम परास सीमा में ही क्रियाशील होते हैं। अतः 0°C से 37°C तक तापक्रम बढ़ने पर प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ती जाती है, परन्तु 37°C से उच्च ताप पर यह घट जाती है।
  3. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): एक निश्चित स्तर तक कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता बढ़ने पर प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ती है लेकिन इसके उपरान्त कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता का प्रकाश संश्लेषण की दर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके विपरीत बढ़ी हुई सान्द्रता निरोधी हो सकती है।
  4. जल (water): जल के अभाव की स्थिति में प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है। क्योंकि ऐसा वाष्पोत्सर्जन की दर कम करने के लिए रंध्रों के बंद रहने के कारण होता है इससे पत्तियों में CO2 का प्रवेश रुक जाता है।

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