पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण Pension Fund Regulatory and Development Authority – PFRDA

पीएफआरडीए की स्थापना भारत सरकार द्वारा 23 अगस्त, 2003 को की गई थी। पीएफआरडीए विधेयक, 2005 को अभी संसद का अनुमोदन प्राप्त होना है। विधेयक के पारित होने के लंबित रहते सरकार ने 10 अक्टूबर, 2003 के एक कार्यकारी आदेश द्वारा पीएफआरडीए को पेंशन क्षेत्र में विनियामक के तौर पर कार्य करने के लिए अधिदेशित कर दिया था। पीएफआरडीए को भारत में पेंशन क्षेत्र का विकास और विनियमन करने का अधिदेश प्राप्त है।

नई पेंशन प्रणाली सेवानिवृत्ति पर समुचित आय की व्यवस्था की समस्या के स्थायी समाधान ढूंढने के सरकार के प्रयास को प्रतिबिंबित करती है। पेंशन संबंधी सुधारों की ओर पहले कदम के रूप में भारत सरकार ने सुस्पष्ट लाभ पेंशन से हटते हुए सुस्पष्ट अंशदान आधारित पेंशन को अपना लिया है और इसे 1 जनवरी, 2004 से अपनी नई भर्तियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए अनिवार्य बना दिया है। 1 अप्रैल, 2008 से नई पेंशन प्रणाली में कवर किए गए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पेंशन अंशदानों को गैर-सरकारी भविष्य निधियों पर लागू सरकार के निवेश संबंधी मार्ग निर्देशों के अनुसार पेशेवर पेंशन निधि प्रबंधकों द्वारा निवेशित किया जा रहा है।

26 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों ने भी अपने नए कर्मचारियों के लिए नई पेंशन प्रणाली अधिसूचित कर दी है। इनमें से छह राज्यों ने नई पेंशन प्रणाली के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए पीएफआरडीए द्वारा नियोजित एनपीएस संरचना के मध्यवर्तियों के साथ पहले ही करार हस्ताक्षरित किए जा चुके हैं। अन्य राज्य प्रलेखन तैयार करने में लगे। हुए हैं।

सरकार ने घोषित किया है कि न्यू पेंशन प्रणाली (एनपीएस) 1 अप्रैल, 2009 से स्वैच्छिक आधार पर प्रत्येक नागरिक को उपलब्ध होगी। तदनुसार, पीएफआरडीए एनपीएस संरचना के विस्तार की प्रक्रिया में लगा हुआ है ताकि इसे सभी नागरिकों के लिए उपलब्ध कराया जा सके। एनपीएस संरचना पारदर्शी और वेब-समर्थित होगी। यह अभिदाता को एनपीएस के अंतर्गत अपने निवेशों और लाभों का अनुवीक्षण करने में समर्थ बनाएगी और पेंशन निधि प्रबंधक (पीएफएम) और निवेश विकल्प का चयन भी अभिदाता के पास होगा। इस ढांचे में अभिदाता को अपने निवेश विकल्पों के साथ पेंशन निधियों को बदलने की अनुमति दी गई है। पीएफएम के बीच निर्बाध सुवाह्यता और अदला-बदली की सुविधा को इस ढंग से तैयार किया गया है कि अभिदाता अपनी बचत करने की पूरी अवधि में एकल पेंशन खाता रखने में समर्थ रहें।

पीएफआरडीएने पीएफएम के कार्यों की निगरानी के लिए भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के अंतर्गत एक न्यास का गठन किया है। एनपीएस न्यास में विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्ति शामिल हैं और विनियामक ढांचे में विविध प्रकार की प्रतिभा लायी जाएगी।

नई पेंशन प्रणाली की ऐसी रूपरेखा बनाई गई है ताकि अभिदाता अपने भविष्य के बारे में अभीष्ट निर्णय ले सकें और वह अपने रोजगार शुरू करने के दिन से ही प्रणालीगत बचतों के माध्यम से वृद्धावस्था में भरण-पोषण की व्यवस्था करने में सक्षम हो सकें। इसमें प्रयास किया गया है कि नागरिक सेवानिवृति के लिए बचत करने की आदत बनाएं।

पीएफआरडीए अभिदाताओं के हितों की रक्षा करने की अपनी कार्ययोजना के अंतर्गत वित्तीय शिक्षा और जागरूकता के लिए अपना प्रयास तेज करने का भी इच्छुक है। पीएफआरडीए के प्रयास भारत में निरंतर और सक्षम स्वैच्छिक सुस्पष्ट अंशदान आधारित पेंशन प्रणाली के विकास में मील के पत्थर हैं।


प्राधिकरण का संगठन

प्राधिकरण में एक अध्यक्ष, पांच से अनाधिक सदस्य होंगे, जिसमें से कम-से-कम तीन सदस्य पूर्णकालिक होगे और इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।

नई पेंशन प्रणाली की मुख्य विशेषताएं और संरचना

  • नई पेंशन प्रणाली स्पष्ट अंशदानों पर आधारित होगी। अंशदानों के संग्रहण हेतु इसमें बैंकों की शाखाओं और डाकघरों आदि के मौजूद तंत्र का प्रयोग किया जाएगा। रोजगार और/अथवा स्थान परिवर्तित हो जाने के मामले में, संग्रहणों के अंतरण बिना किसी बाधा के किये जाएंगे। यह निवेश विकल्पों और निधि प्रबंधकों के समूह की भी पेशकश करेगी। यह नई पेंशन प्रणाली स्वैच्छिक होगी।
  • परंतु यह प्रणाली, केंद्र सरकार की सेवा में आने वाले नए प्रवेशकर्ताओं (सशस्त्र बलों के सिवाय) के लिए अनिवार्य होगी। मासिक अंशदान वेतन और मंहगाई भत्ते का 10 प्रतिशत होगा जो कर्मचारी द्वारा अदा किया जाएगा और केंद्र सरकार द्वारा समतुल्य राशि दी जाएगी। तथापि, उन व्यक्तियों के सम्बन्ध में जो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, सरकार की तरफ से कोई अंशदान नहीं होगा। अंशदान और उन पर प्रति फलों को एक अनाहरणीय पेंशन खाते में जमा कराया जाएगा। परिभाषित लाभ पेंशन और सामान्य भविष्य निधि के मौजूदा प्रावधान केंद्र सरकार की सेवा में आने वाले नए प्रवेशकर्ताओं को उपलब्ध नहीं होंगे।
  • उपर्युक्त पेंशन खाते के अतिरिक्त, प्रत्येक व्यक्ति अपनी पसंद स्वैच्छिक टियर-II आहरणीय खाता रख सकता है। सरकार इस खाते में कोई अंशदान नहीं करेगी। इन परिसंपत्तियों की प्रबंध-व्यवस्था उसी तरीके से होगी जैसे पेंशन की होती है। इस खाते में संग्रहणों को किसी भी समय बिना कारण बताए निकाला जा सकता है।
  • व्यक्ति सामान्यतया 60 वर्ष की आयु में अथवा बाद में इस पेंशनप्रणाली से बाहर निकल सकता है। बाहर निकलते ससय उस व्यक्ति से अपेक्षित होगा कि वह पेंशन धन का कम से कम 40 प्रतिशत वार्षिक खरीद में निवेश करे। सरकारी कर्मचारियों के मामले में यह वार्षिक सेवानिवृति के समय कर्मचारी को जीवन पर्यंत और उस पर आश्रित माता-पिता और उसके पति/पत्नी के लिए पेंशन की व्यवस्था करेगी। वह व्यक्ति शेष पेंशन धन को एकमुश्त रूप में प्राप्त करेगा जिसका उपयोग किसी भी तरह से करने के लिए वह स्वतंत्र होगा। व्यक्तियों को 60 वर्ष की आयु से पहले पेंशन प्रणाली छोड़ने की छूट प्राप्त होगी। लेकिन इस मामले में अनिवार्य वार्षिकीकरण पेंशन धन का 80% होगा।
  • चयन के लिए एक या अधिक केंद्रीय अभिलेखपाल एजेंसी (सीआरए), अनेक पेंशन निधि प्रबंधक (पीएफएम) होंगे जो विभिन्न श्रेणियों की स्कीमों की पेशकश करेंगे।
  • प्रतिभागी निकाय (पीएफएम, सीआरए आदि) पिछले कार्यनिष्पादन और नियमित निवल परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) के बारे में आसानी से समझी जा सकने वाली सूचना देंगे ताकि व्यक्ति अपनाई जाने वाली योजना के बारे में सुविज्ञ निर्णय ले सके।

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