खनिज सम्पदा पर भूस्वामियों का स्वामित्व: सर्वोच्च न्यायालय Owner has right over mineral wealth subsoil: Supreme Court

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आर.एम. लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खण्डपीठ ने 14 जुलाई, 2013 को फैसला दिया कि ने जमीन के नीचे दबी खनिज सम्पदा का स्वामित्व सरकार के पास नहीं, बल्कि भू-स्वामी में निहित होना चाहिए। इससे पूर्व इस मामले में केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। उच्च न्यायालय के उस फैसले को केरल के कुछ भूस्वामियों ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि मिट्टी के नीचे की सामग्री या खनिज सम्पदा का स्वामित्व आमतौर पर भूमि के स्वामित्व अधिकार भूस्वामी के पास ही होना चाहिए अगर किसी कानूनी प्रक्रिया के तहत् उसे इससे वंचित नहीं किया गया है। भूमिगत प्राकृतिक संसाधनों के उत्खनन पर नियंत्रण करने के विभिन्न कानूनों का जिक्र करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि इन कानूनों में कहीं यह नहीं कहा गया है कि इन पर राज्य का मालिकाना हक है। राज्य सरकार की इस दलील को भी सर्वोच्च न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया है कि भूमि के नीचे के संसाधनों पर भूस्वामी किसी प्रकार के अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि खान और खनिज (विकास एवं नियमन) कानून 1957 की धारा 425 के तहत् वैध लाइसेंस या पट्टे के बगैर देश में किसी भी प्रकार की खनन गतिविधियां प्रतिबंधित हैं। इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यालय की खण्डपीठ ने कहा कि यह कानून किसी भी तरह से यह नहीं कहता है कि खनिज सम्पदा में शासन का मालिकाना हक होगा और न ही इसमें किसी खदान के स्वामी की उसके मालिकाना हक से वंचित करने का प्रावधान है।

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