आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन Organisation for Economic Co-operation and Development – OECD

यह संगठन आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विश्व के 29 विकसित औद्योगिक देशों को एक मंच पर लाता है।

औपचारिक नाम: ऑर्गेनाइजेशन डी कॉपरेशन इट डी डिवलपमेंट इकनोमिके (ओसीडीई) (Organisation de Cooperation et de Developpement Economique–OCDE)

मुख्यालय: पेरिस (फ्रांस)।

सदस्यता: आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, चिली, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया, फ़िनलैंड, फ़्रांस, जर्मनी, यूनान, हंगरी, आइसलैंड, आयरलैंड, इजरायल, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, लक्जमबर्ग, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, तुकीं, युनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।

आधिकारिक भाषाएं: अंग्रेजी और फ्रांसीसी।

उद्भव और विकास

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organisation for Economic Cooperation and Development—OECD) के गठन के लिये 18 यूरोपीय देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा ने दिसंबर 1960 में एक अभिसमय पर हस्ताक्षर किए, जो सितंबर 1961 में प्रभाव में आया। ओईसीडी ने मार्शल योजना के अंतर्गत यूरोपीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के प्रयासों को समन्वित करने के उद्देश्य से 1948 में गठित यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन (ओईईसी) का स्थान ले लिया। ओईईसी विशुद्ध रूप से एक यूरोपीय संगठन था, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा मात्र संबद्ध (associate) सदस्य थे। वास्तव में, यूरोपीय सदस्यता स्वयं पश्चिमी यूरोपीय देशों तक सीमित थी, क्योंकि सोवियत रूस और पूर्वी यूरोपीय देशों ने इसमें सम्मिलित होने से इंकार कर दिया था। 1950 के दशक के अंत में आर्थिक निर्भरता में वृद्धि ने एक ऐसे व्यापक संगठन के गठन की आवश्यक बना दिया, जिसमें उत्तरी अमेरिकी देश सम्मिलित हो सकते थे। इस प्रकार, ओईसीडी का प्रादुर्भाव हुआ। उत्तरवर्ती वर्षों में आर्थिक रूप से विकसित अनेक देश इस संगठन के सदस्य बने, यथा-जापान (1964), फिनलैण्ड (1969) आस्ट्रेलिया (1971), न्यूजीलैंड (1978), मैक्सिको (1994), चेक गणराज्य (1995) तथा हंगरी, पोलैंड और दक्षिण कोरिया (1996)।


उद्देश्य

ओईसीडी के मुख्य उद्देश्य हैं-नीति में समन्वय के माध्यम से सदस्य देशों को आर्थिक प्रगति, रोजगार और बेहतर जीवन-स्तर प्राप्त करने में सहायता देना; विश्व के ठोस और सुसंगत आर्थिक विकास में सहायता देना, तथा; विकासशील देशों (विशेषकर निर्धनतम) की स्थिति में सुधार लाना।

संरचना

ओईसीडी अपने कार्यों का निष्पादन परिषद्, कार्यकारी समिति, सचिवालय तथा अनेक सहायक अंगों के माध्यम से करता है।

ओईसीडी का प्रधान अंग परिषद् है, जिसमे सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित होते हैं। इसकी मंत्री स्तर पर कम-से-कम एक और स्थायी प्रतिनिधि (अर्थात् राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों के प्रधान) के स्तर पर कम-से-कम दो बैठकें आवश्यक रूप से आयोजित होती हैं। परिषद संगठन की सामान्य नीति का निर्धारण करती है। स्थायी समिति परिषद द्वारा प्रत्येक वर्ष निर्वाचित 14 सदस्यों से बनी होती है। इसका कार्य ओईसीडी की गतिविधियों का पर्यवेक्षण करना है तथा सप्ताह में सामान्यतया इसकी एक बैठक होती है। सचिवालय का प्रधान अधिकारी महासचिव होता है, जो परिषद और कार्यकारी समिति के निर्णयों की क्रियान्वित करने के लिये उत्तरदायी होता है। इसके अतिरिक्त, महासचिव वार्षिक और सहायक बजटों को भी प्रस्तुत करता है।

परिषद विभिन्न कार्यों के लिये सहायक अंगों को गठित करने के लिये अधिकृत होती है। विकास सहायता समिति (डीएसी) ओईसीडी के प्रमुख पूंजी-निर्यातक देशों और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों से बनी होती है तथा सदस्यों के अधिकारिक संसाधनों के हस्तांतरण के लिये जिम्मेदार होती है। डीएसी का मुख्य उद्देश्य स्थायी आर्थिक और सामाजिक विकास के लिये अंतरराष्ट्रीय वितीय पोषण में समन्वित, एकीकृत और प्रभावशाली प्रयास को प्रोत्साहन देना है। सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों से बनी आर्थिक नीति समिति सदस्य देशों की आर्थिक गतिविधियों की समीक्षा करती है। आर्थिक और विकास समीक्षा समिति किसी सदस्य देश विशेष का वार्षिक सर्वेक्षण तैयार करती है। व्यापार समिति व्यावसायिक नीतियों और अभ्यासों तथा विशिष्ट व्यापार समस्याओं से जुड़ी होती है। अंतरराष्ट्रीय निवेश और बहुराष्ट्रीय उद्यम समिति ने बहुराष्ट्रीय कपनियों के लिये स्वैच्छिक आचार संहिता तैयार की, जिसे ओईसीडी ने वर्ष 1976 में अपनाया।

इसके अतिरिक्त, कृषि, उपभोक्ता नीति, शिक्षा, उर्जा, पर्यावरण, वित्तीय बाज़ार, राजकोषीय मामले, उद्योग, परोक्ष लेन-देन, मानवशक्ति और सामाजिक मामले, समुद्री परिवहन, प्रतिबंधकव्यापर अभ्यासों, वैज्ञानिक और तकनीकी नीति और पर्यटन के क्षेत्र में समितियां गठित की गयी हैं। वस्तुओं, सकारात्मक समायोजन नीतियों और महिला रोजगार पर उच्च स्तरीय समूहों तथा उत्तर-दक्षिण आर्थिक सिशयों के लिए कार्यकारी समिति समूह कार्यरत हैं।

कई परिचालन अभिकरण गठित किए गए हैं, जैसे-विश्व के निर्धनतम लोगों की मौलिक आवश्यकताओं पर केंद्रित ओईसीडी विकास केंद्र; सदस्य देशों की शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के उद्देश्य से गठित शैक्षणिक अनुसंधान और नवाचार केंद्र (सीईआरआई); शांतिपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा विकास के लिये नाभिकीय ऊर्जा एजेंसी (एनईए); मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय देशों की प्रजातंत्र तथा बाजारोन्मुखी अर्थव्यवस्था विकसित करने में सहायता देने के उद्देश्य से गठित यूरोपीय अर्थव्यवस्था पारगमन सहयोग केंद्र (सीसीईटी)।

गतिविधियां

सदस्य देशों की व्यापार नीतियों की अनवरत समीक्षा में ओईसीडी की प्रमुख भूमिका रही है। यह संगठन अस्थिर मुद्रा, व्यापक व्यापार असंतुलन, तृतीय विश्व की ऋणग्रस्तता तथा औद्योगिक देशों में बेरोजगारी से लड़ने के लिये भी प्रयास कर रहा है। ओईसीडी के गैर-सदस्यों के साथ संबंधों पर नजर रखने के लिये 1998 में गैर-सदस्यों के साथ सहयोग के लिये केंद्र (सीसीएनएम) का गठन किया गया। सीसीएनएम ओईसीडी और गैर-सदस्यों के मध्य नीति संवाद (policy dialogue) के विकास में केंद्रीय भूमिका अदा करता है। सीसीएनएम बहुदेशीय विषयक (thematic), क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कार्यक्रमों का संचालन करता है। विषयक कार्यक्रमों, जो सामूहिक समस्या वाले देशों के विशिष्ट समूह पर केंद्रित होते हैं, में उभरती बजार अर्थव्यवस्था मंच (ईएमईएफ), परिवर्तित आर्थिक कार्यक्रम (टीईपी) तथा उभरते एशिया कार्यक्रम (ईएपी) सम्मिलित हैं। बाल्टिक राज्यों, दक्षिण-पूर्वी यूरोप और लैटिन अमेरिका के लिये क्षेत्रीय कार्यक्रम चालू या निर्माणाधीन हैं।

ओईसीडी एक स्वैच्छिक संगठन है; यह निश्चित रूप से एक परामर्शदात्री संगठन है, जो अपने कार्यक्रमों को नैतिक अनुनय, सम्मेलनों, गोष्ठियों और विविध प्रकाशनों के माध्यम से आगे बढ़ाता है। यद्यपि संगठन के निर्णयों के क्रियान्वयन के संबंध में अंतिम निर्णय के लिये प्रत्येक देश उत्तरदायी होता है तथा इसके सभी निर्णय सर्वसम्मति (unanimity) से लिये जाते हैं, फिर भी ओईसीडी कई क्षेत्रों में समन्वय स्थापित करने में सफल रहा है, जैसे-अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियम, पूंजी स्थानान्तरण, निर्यात साख तथा विकासशील देशों को अनुदान, आदि। ओईसीडी सामान्य सांख्यिकी, कृषि, वैज्ञानिक अनुसंधान, पूंजी बाजार और कर-प्रणाली से लेकर ऊर्जा संसाधन, प्रदूषण, शिक्षा और विकास सहायता तक के विषयों से संबंधित विस्तृत आर्थिक आंकड़ों के लिये निकास गृह (clearing house) भी बन गया है। यह प्रत्येक वर्ष लगभग 300 नये शीर्षकों (titles) का प्रकाशन करता है, जो आर्थिक और संबंधित सामाजिक विषयों से जुड़ी सूचनाओं के लिये अति महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

सदस्य देशों (विशेषकर यूरोपीय देश और संयुक्त राज्य अमेरिका) के मध्य मतभेदों के मुख्य विषय कृषि और व्यापार रहे हैं।

1990 के दशक में ओईसीडी का मुख्य कार्य पूर्वी यूरोप और पूर्व सोवियत संघ में सुधार की प्रक्रिया की सहायता देना तथा जीवित रखना था। जून 1994 में विश्व अर्थव्यवस्था में रूस के आर्थिक एकीकरण के उद्देश्य से रूस के साथ एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

1999 में ओईसीडी की प्रमुख गतिविधियां आर्थिक नीति, ऊर्जा, विकास सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वित्त, राजकोषीय और उद्यम मामलों, सांख्यिकी, स्थायी विकास, खाद्य., कृषि और मत्स्य पालन, क्षेत्रीय विकास, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रद्योगिकी तथा उद्योग, शिक्षा, रोजगार, श्रम और सामाजिक विषयों से जुड़ी थीं।

ओईसीडी अभिसमय के पूरक प्रोटोकॉल में, हस्ताक्षरकर्ता देशों ने निर्णय लिया कि यूरोपीय समुदाय आयोग ओईसीडी के कार्यों में हिस्सेदारी करेगा। यह भागीदारी मात्र पर्यवेक्षक से अधिक हो गई, और वास्तव में आयोग की अर्द्ध-सदस्य का दर्जा देता है।

मई 2007 में, ओईसीडी देश संगठन की सदस्यता के लिए खुली चर्चा के लिए चिली, एस्टोनिया, इजरायल, रूस और स्लोवेनिया को आमंत्रित करने पर सहमत हुए तथा ब्राजील, चीन, भारत, इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका तक की संलग्न करने का प्रस्ताव रखा। दिसंबर 2007 में अनुमोदन का रोड मैप चिली, एस्टोनिया, रूस और स्लोवेनिया के साथ बातचीत के साथ शुरू हुआ। 7 मई, 2010 को चिली संगठन का एक सदस्य बन गया।

चिली, स्लोवेनिया, इजरायल और एस्टोनिया सभी 2010 में सदस्य बन गए। वर्ष 2011 में, कोलम्बिया ने ओईसीडी का सदस्य बनने की इच्छा जाहिर की।

वर्ष 2013 में, ओईसीडी ने कोलम्बिया और लाटविया के साथ सदस्यता पर बात करने का निर्णय लिया। ओईसीडी ने 2015 में कोस्टारिका और लिथुआनिया के साथ भी बातचीत करने की इच्छा की घोषणा की। ओईसीडी में सदस्यता की इच्छा जताने वाले अन्य देशों में पेरू और मलेशिया शामिल हैं।

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